अरुण कुमार त्रिपाठी | ध्यान देने की बात है कि जनता और औद्योगिक क्षेत्रों की यह मदद वे सरकारें भी कर रही हैं जो दक्षिणपंथी हैं और सरकारों के कल्याणकारी काम में कम से कम यकीन करती हैं। मतलब बाजार हर समस्या का समाधान कर लेगा यह अवधारणा ध्वस्त हो रही है।
जस्टिस सच्चर के पुण्य तिथि पर याद करते हुए
नीरज कुमार | जस्टिस राजिंदर सच्चर अपनी पीढ़ी के एक निष्ठावान और किवदंती थे । उन्होंने न्यायविद के रूप में कमान संभाली लेकिन इन सबसे ऊपर, उन्हें एक बेहतरीन और अद्भुत इंसान के रूप में याद किया जाएगा ।
Corona Epidemic: Deep Foundation of Counter-revolution (1)
Corona Epidemic: Deep Foundation of Counter-revolution (1) Prem Singh 1 By the end of the last decade of the twentieth century, the discussion in India on or about poverty by all mainstream political parties, forums and mediums had almost ended. There was a general consensus among the ruling classes that there is no poverty in […]
डॉ. अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर
नीरज कुमार | डॉ. अम्बेडकर यह मानते थे कि मनुष्यों में केवल राजनीतिक समानता और कानून के समक्ष समानता स्थापित करके समानता के सिद्धांत को पूरी तरह सार्थक नहीं किया जा सकता | जब तक उनमें सामाजिक-आर्थिक समानता स्थापित नहीं की जाती, तब तक उनकी समानता अधूरी रहेगी |
कोरोना महामारी : प्रतिक्रांति की गहरी नींव (1)
प्रेम सिंह | ताला-बंदी के चार-पांच दिनों के भीतर यह सच्चाई सामने आ गई कि अमीर भारत असंगठित क्षेत्र के करीब 50 करोड़ प्रवासी/निवासी मेहनतकशों की पीठ पर लदा हुआ है. इनमें करीब 10 प्रतिशत ही स्थायी श्रमिक हैं. बाकी ज्यादातर रोज कुआं खोदते हैं और पानी पीते हैं.
Corona Epidemic: Deep Foundation of Counter-Revolution (1)
Prem Singh | Within four-five days of the lock-down, the truth came to the fore that the rich India is lying on the backs of about 50 crore migrant/resident working people mostly of the unorganized sector.
महात्मा ज्योतिबा फुले के जन्मदिवस पर विशेष
नीरज कुमार | महात्मा फुले ने ऐसी राजनीति का समर्थन किया जिसका ध्येय पद-दलित जातियों का उत्थान करना हो – जो शूद्रों और आदिशुद्रों को उच्च जातियों की दासता से मुक्त करा सके | अतः उन्होंने हिन्दू धर्म की पुराण-कथाओं खंडन किया जो वर्ण-व्यवस्था के क्रूर और अमानवीय नियमों का समर्थन करती थीं |
कोरोना संकट ने गैर-बराबरी खत्म करने का मौका दिया है
प्रवीण श्रीवास्तव, डॉ संदीप पाण्डेय, बॉबी रमाकांत | हलांकि कोरोना वायरस रोग दुनिया भर में हवाई यात्रा करने वाले अमीर वर्ग से अनजाने में फैला है लेकिन इसका सबसे अधिक खामियाजा गरीब वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। कोरोना वायरस रोग ने समाज में व्याप्त गैर-बराबरी को जग जाहिर कर दिया है।
हिन्दू बनाम हिन्दू
डॉ. राममनोहर लोहिया | अब समय है कि हिंदू सदियों से इकट्ठा हो रही गंदगी को अपने दिमाग से निकाल कर उसे साफ करे। जिंदगी की असलियतों और अपनी परम सत्य की चेतना, सगुण सत्य और निर्गुण सत्य के बीच उसे एक सच्चा और फलदायक रिश्ता कायम करना होगा।
Seeds of a More Equal, Equitable and Environment-Friendly Society in the Coronavirus Lockdown
Sandeep Pandey | The crisis has brought out the best in us. People are trying to help fellow human beings survive. A sense of camaraderie has been evoked in people.