महात्मा ज्योतिबा फुले के जन्मदिवस पर विशेष

ब्रिटिश दार्शनिक टॉमस पेन के क्रन्तिकारी उदारवाद से प्रभावित होकर महात्मा ज्योतिबा फुले (1827-90) ने यह तर्क दिया कि समस्त स्त्री-पुरुष जन्म से स्वतंत्र और समान हैं | जब ईश्वर ने उन्हें स्वतंत्र और समान बनाया है तब किसी व्यक्ति को दुसरे का दमन करने का अधिकार नहीं रह जाता | उन्हें न केवल कानून के समक्ष समानता प्राप्त होनी चाहिए, बल्कि प्रशासनिक सेवा तथा नगरपालिका प्रशासन में प्रवेश के लिए अवसर की समानता भी प्राप्त होनी चाहिए |

महात्मा फुले ने ऐसी राजनीति का समर्थन किया जिसका ध्येय पद-दलित जातियों का उत्थान करना हो – जो शूद्रों और आदिशुद्रों को उच्च जातियों की दासता से मुक्त करा सके | अतः उन्होंने हिन्दू धर्म की पुराण-कथाओं खंडन किया जो वर्ण-व्यवस्था के क्रूर और अमानवीय नियमों का समर्थन करती थीं |

महात्मा फुले आधुनिक भारत के प्रसिद्ध समाज-सुधारक थे | वे स्वयं शुद्र जाती में पैदा हुए थे, अतः उन्हें हिन्दू वर्ण-व्यवस्था से जुड़े हुए सामाजिक अन्याय का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ था | उन्होंने निम्न जातियों को इस अन्याय के विरुद्ध संगठित करने के उद्देश्य से अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 1873 में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की | महात्मा फुले ने वर्ण-व्यवस्था पर तीव्र प्रहार किया और अछूतों के उद्धार के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया |

महात्मा फुले से प्रेरित होकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भी जनसाधारण की शिक्षा पर बल देते हुए शिक्षा के सहारे ‘अस्पृश्य जातियों’ के उत्थान का रास्ता दिखाया |

महात्मा ज्योतिबा फुले को नमन

नीरज कुमार
अध्यक्ष
सोशलिस्ट युवजन सभा

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