प्रवीण श्रीवास्तव, डॉ संदीप पाण्डेय, बॉबी रमाकांत | हलांकि कोरोना वायरस रोग दुनिया भर में हवाई यात्रा करने वाले अमीर वर्ग से अनजाने में फैला है लेकिन इसका सबसे अधिक खामियाजा गरीब वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। कोरोना वायरस रोग ने समाज में व्याप्त गैर-बराबरी को जग जाहिर कर दिया है।
हिन्दू बनाम हिन्दू
डॉ. राममनोहर लोहिया | अब समय है कि हिंदू सदियों से इकट्ठा हो रही गंदगी को अपने दिमाग से निकाल कर उसे साफ करे। जिंदगी की असलियतों और अपनी परम सत्य की चेतना, सगुण सत्य और निर्गुण सत्य के बीच उसे एक सच्चा और फलदायक रिश्ता कायम करना होगा।
Seeds of a More Equal, Equitable and Environment-Friendly Society in the Coronavirus Lockdown
Sandeep Pandey | The crisis has brought out the best in us. People are trying to help fellow human beings survive. A sense of camaraderie has been evoked in people.
कोरोना क्रांति के बाद
अरुण कुमार त्रिपाठी | हमारी अजेय वैज्ञानिक क्षमताएं वास्तव में कितनी अजेय हैं। कुदरत अभी भी हमसे ज्यादा ताकतवर है या हम उससे अधिक शक्तिशाली हो चुके हैं। लोकतंत्र ही सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था है या मनुष्य के लिए अधिनायकवाद की ओर लौटना लाजिमी होगा?
कोरोना वायरस के नाम पे
संदीप पाण्डेय | कोरोना वायरस को रोकने नाम पर प्रचार ज़्यादा है. अयोध्या में राम लल्ला को संस्थानान्तरित करने का धार्मिक अनुष्ठान जारी है.
जब मुस्लिम महिलाएं मेरी रक्षक बन गईं
संदीप पाण्डेय | यह बहादुरी तो मैंने दूर से देखी और सुनी थी। किंतु 21 मार्च को तो प्रत्यक्ष मैंने महिलाओं की बहादुरी को देखा।
In the Name of Coronavirus
Sandeep Pandey | Steps taken to check the spread of coronavirus appears merely to be a public relations exercise. Otherwise, how is the Parliament still functioning, when all other public institutions have been closed; why are religious activities in temples of Ayodhya or Gorakhpur still continuing?
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के स्मृति में विशेष
नीरज कुमार | भगत सिंह की यह निश्चित मान्यता थी कि “व्यक्तियों को नष्ट किया जा सकता है, पर क्रांतिकारी विचारों को नष्ट नहीं किया जा सकता।
डॉ॰ राममनोहर लोहिया के जन्मदिवस पर विशेष
नीरज कुमार | डॉ॰ लोहिया का जीवन और चिंतन दोनों एक प्रयोग था । यदि महात्मा गांधी का जीवन सत्य के साथ प्रयोग था तो डॉ॰ लोहिया का जीवन और चिंतन समतामूलक समाज की स्थापना के लिए सामाजिक दर्शन और कार्यक्रमों के साथ एक प्रयोग था ।
कोविड-19 : चार सुझाव
प्रेम सिंह | वायरस का सामाजिक संक्रमण होता है तो हालत भयावह होंगे. विशाल आबादी, नितांत नाकाफी स्वास्थ्य सेवाएं, अस्वच्छ वातावरण, व्यापक पैमाने पर फैली बेरोजगारी, जर्जर अर्थव्यवस्था जैसे कारको के चलते बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं