Right to education(RTE)

[SP(I)] press release on right to education in u.p

रेस विज्ञप्तिदिनांकः 16 नवम्बर, 2021शिक्षा के अधिकार की धज्जियां उड़ा रही योगी सरकार
इधर योगी सरकार ने दो नए फैसले लिए हैं। एक तो मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि यदि किसी विद्यालय या महाविद्यालय में दो बहनें पढ़ रही हों तो शैक्षणिक संस्थान दोनों में से एक की शुल्क माफ करे अथवा सरकार उसकी प्रतिपूर्ति करेगी। दूसरा बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के खाते में पोशाक-जूता-मोजा-स्वेटर-बैग खरीदने के लिए रु. 1,100 डाले गए। ये सामान पहले सरकार खुद खरीद कर देती थी।  योगी आदित्यनाथ को नई नई योजनाओं की घोषणा करने का शौक है किंतु सरकार की असफलताओं पर वे मौन रहते हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 12(1)(ग) के तहत निशुल्क शिक्षा हेतु निजी विद्यालयों में दाखिला पाने वाले बच्चों की स्थिति बड़ी नाजुक है। दो वर्ष हो गए सरकार निजी विद्यालयों को दाखिला पाए प्रत्येक बच्चे की रु. 450 प्रति माह शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं कर रही जिसका नतीजा यह है कि निजी विद्यालय ऐसे बच्चों का दाखिला लेने से कतरा रहे हैं। कुछ ने तो बच्चों को निकाल ही दिया है या फिर वे बच्चों से शुल्क लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों की किताब व पोशाक के लिए पिछली सरकार ने रु. 5,000 प्रति छात्र प्रति वर्ष का जो प्रावधान किया था वह इस वर्ष किसी को नहीं मिला और पिछले वर्ष कुछ ही बच्चों को मिल पाया। कुछ ऐसे भी अभिभावक हैं तो उससे भी पहले के वर्षों के पैसे से वंचित रहे। ऐसे लग रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार जो एक तरफ बच्चों की हितैषी बनने का नाटक करती है दूसरी तरफ शिक्षा के अधिकार को खत्म ही कर देना चाहती है।लखनऊ के 11 निजी विद्यालय – भारतीय मिशन, नौबस्ता, ड्रीम इण्डिया, आदिल नगर, ड्रीम इण्डिया, गोमती नगर, गुड शेपर्डस्, विकास नगर, जिंगल बेल कान्वेण्ट, जानकी पुरम, न्यू कैरियर स्कूल, कश्मीरी मोहल्ला, सेको कान्वेण्ट स्कूल, सरोजनी नगर, सेवेन सीज़्, मोहिबुल्लापुर, दी राइसिंग सन एकेडमी, निशागंज, विज़डम पब्लिक स्कूल, मदेगंज खदरा व प्रगति पब्लिक स्कूल, सादतगंज – बंद हो चुके हैं। इसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 12(1)(ग) के तहत पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य क्या होगा?पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी कई विद्यालय दाखिला नहीं ले रहे। सिटी मांटेसरी स्कूल जैसे बड़े विद्यालयों की देखा देखी अब छोटे विद्यालयों ने दाखिला लेने से मना करना शुरू कर दिया है। इनमें सेण्ट एंथनी, पारा, एस.बी.एन. इण्टर कालेज, नरपत खेड़ा शामिल हैं। डी.एन.एस. पब्लिक स्कूल ने सिर्फ दो बच्चों का दाखिला लिया है। सूर्योंदय दाखिला लेने के लिए रु. 800 जबकि माॅडल सिटी व मेरीडियन पब्लिक स्कूल रु. 1000 मांग रहे हैं।हमारी मांग है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 12(1)(ग) के तहत सरकार सुनिश्चित करे कि बच्चों के दाखिले बिना किसी दिक्कत के हों और सरकार विद्यालयों को और अभिभावकों को रोका हुआ पैसा देना शुरू करे। यदि सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अवहेलना करने वाला अपना रवैया नहीं बदला तो हफ्ते भर बाद सोशलिस्ट अभिभावक मंच मुख्य मंत्री आवास पर धरना देने पहुंचेगा।
रवीन्द्र, 6394945890, आदित्य सिंह, 9695854102, सुरेन्द्र मौर्य, अमृता सिंह, प्रवीण श्रीवास्तव, 9415269790, उजैफ, 8957944137, संदीप पाण्डेय, 0522 2355978, 3564437सोशलिस्ट अभिभावक मंच

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