क्या प्रवासी मजदूरों के लिए कोई ‘वंदे भारत’ कार्यक्रम है?

क्या प्रवासी मजदूरों के लिए कोई ‘वंदे भारत’ कार्यक्रम है?

रूबीना अयाज़ व संदीप पाण्डेय | कोरोना का संकट तो पूरी दुनिया में है और तालाबंदी भी दुनिया के अधिकतर देशों ने लागू की लेकिन जिस तरह मजदूरों की सड़कों पर अपने अपने साधनों से घर जाने की होड़ लगी हुई है वह पूरी दुनिया में किसी और देश में दिखाई नहीं पड़ी। ऐसा क्यों हुआ?

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) 22 मई को अखिल भारतीय श्रमिक हड़ताल का समर्थन करती है और मांग करती है कि सरकार श्रम कानूनों के सभी परिवर्तनों को तुरंत वापस ले

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) 22 मई को अखिल भारतीय श्रमिक हड़ताल का समर्थन करती है और मांग करती है कि सरकार श्रम कानूनों के सभी परिवर्तनों को तुरंत वापस ले

ये परिवर्तन उन कुछ मूल अधिकारों और संरक्षणों को भी छीन लेंगे, जो हमारे देश में दशकों से चली आ रही नवउदारवादी और मजदूर विरोधी नीतियों के बावजूद बचे हुए हैं । दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इन उपायों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) में शिकायत दर्ज कराई है।

किसान मजदूर ही बन सकते हैं परिवर्तन का हरावल दस्ता

किसान मजदूर ही बन सकते हैं परिवर्तन का हरावल दस्ता

दिनेश सिंह कुशवाह | आज पूरा देश संकट में है और ऐसे में तमाम समाजवादी विचारों से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इस बात पर विचार करना चाहिए कि आज यदि डॉक्टर लोहिया जैसा नेतृत्व होता तो वह इस सरकार की जनविरोधी, मजदूर-किसान विरोधी नीतियों का विरोध कैसे करता.