किसान मजदूर ही बन सकते हैं परिवर्तन का हरावल दस्ता

कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के 86 वें स्थापना दिवस पर देश के तमाम समाजवादी साथियों को बधाई, शुभकामनाएं. आज पूरा देश संकट में है और ऐसे में तमाम समाजवादी विचारों से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इस बात पर विचार करना चाहिए कि आज यदि डॉक्टर लोहिया जैसा नेतृत्व होता तो वह इस सरकार की जनविरोधी, मजदूर-किसान विरोधी नीतियों का विरोध कैसे करता. डॉ लोहिया ने सोशलिस्ट पार्टी को धारदार बनाने के लिए युवा किसान मजदूर और दलित पिछड़े अल्पसंख्यकों को संगठित करने का बीड़ा उठाया था और इसी के चलते हिंद मजदूर पंचायतों, हिंद किसान पंचायत की स्थापना की थी. साथ ही उन्होंने पिछड़ा पावे शो में 60 का नारा देकर इस बात की पैरवी की थी कि पिछड़ों दलितों अल्पसंख्यकों और महिलाओं को विशेष अवसर मिलना चाहिए. लेकिन आज यह सारी बातें गर्त में चली गई है ना तो हमारा कोई मजबूत मजदूर संगठन है ना ही किसान संगठन.

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विंध्य प्रदेश में किसान आंदोलनों का नेतृत्व करते हुए डॉ लोहिया ने किसानों को संगठित करने की कोशिश की थी. लखनऊ में हुआ 100000 किसानों का प्रदर्शन और रीवा में हुआ प्रदर्शन जिस में भी एक लाख से ज्यादा किसान शामिल हुए थे उसने पूरे देश में सोशलिस्ट पार्टी को किसानों की हमदर्द पार्टी के रूप में स्थापित किया और उसके बाद ही उत्तर प्रदेश और विंध्य में सोशलिस्टओं का दबदबा कायम हुआ. लेकिन आज पूछे कि नेताओं को छोड़ दिया जाए तो किसानों का नेतृत्व करने के लिए ना तो वर्तमान कोई समाजवादी दल तैयार है ना ही कोई नेता. जबकि आज सबसे ज्यादा मुसीबत में किसान और मजदूर ही है.

किसान और मजदूर ही परिवर्तन ला सकते हैं और यदि उनको आवाज देने का काम, उनका नेतृत्व करने का काम सोशलिस्ट ने किया, तो निश्चित रूप से फिर से सोशलिस्ट मजबूती से देश में उभर सकते हैं. हमें मजबूती से भरने के लिए जरूरी है कि हम अपने वर्ग संगठनों को मजबूत करें, वर्ग संगठनों की ओर ध्यान दें. पीतमपुर देश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, वहां मजदूरों की हालत अत्यंत धीमी है. कारखाने बंद हो रहे हैं, मजदूर बेकार हो रहे हैं. मजदूरों नीने यूनियने ठप हो रही है. दूसरी ओर किसानों की स्थिति भी बद से बदतर हो रही है. ना तो उन्हें उपज का लाभकारी मूल्य मिल रहा है और ना ही समय पर खाद बीज की व्यवस्था हो रही है. सरकार केवल वादे कर रही है जिसके चलते किसान भी आत्महत्या करने को मजबूर है. अतः जरूरी है कि देश भर के तमाम सोशलिस्ट नेता कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के 86 स्थापना दिवस पर संकल्प ले कि वे आने वाले 1 साल तक पूरे देश में घूम घूम कर किसानों और मजदूरों को संगठित करने और उनकी समस्याओं का हल निकालने का संकल्प लेंगे।

दिनेश सिंह कुशवाह
सचिव, किसान संघर्ष समिति
महासचिव, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) मध्य प्रदेश

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