Pannalal Surana | Citizenship Act 1955 contains section 6 which says that, “Where an application is made in the prescribed manner by any person of full age and capacity ( not being an illegal migrant ) for the grant of a certificate of naturalisation to him, the Central Government may, if satisfied that the applicant is qualified for naturalization … grant to him a certificate of naturalization.”
UP Violence: Modus Operandi is to Make the Victim the Accused
In an atmosphere reminiscent of freedom movement, while the rulers are trying their best to divide people on communal lines, the common Muslims and Hindus are together on street in this struggle against a repressive government.
Niti Aayog Must Stop Plan to Privatise Public Health
One cannot ignore the fact the private players are there only so long as profits are to be made. Will these private players continue to play their role in so-called ‘public private partnerships’ if cost-benefit ratio is not in their interest?
परिसर या छावनी
प्रेम सिंह | विश्वविद्यालय अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी परिसर में सुरक्षित, भय-मुक्त और रचनात्मक वातावरण बनाना है, न कि इस या उस सरकार का आदेश पालन करना.
Arrest of Md Shoaib, SR Darapuri in UP Insults Their Human Rights Work Legacy
Sandeep Pandey | Most surprising was the incarceration of Darapuri, a retired inspector general of police.
हिन्दू और मुसलमान
डॉ. राममनोहर लोहिया |
लोक परिसम्पत्तियां बेचने को उतावली सरकार
16वीं लोक सभा की 2017-18 की संसदीय रक्षा समिति ने भारत में ही अभिकल्पित, विकसित व निर्मित की अवधारणा पर जोर दिया। समिति ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान, आर्डनेंस कारखाने व रक्षा विभाग से सम्बद्ध सार्वजनिक उपक्रमों में निर्मित एवं विकसित उपकरणों में आयात के अंश पर चिंता प्रकट की जिसकी वजह से सेना […]
Belated effort at justifying repression
Date: 28.9.2019 ” Subject (meaning there by Faruq Abdulla) has tremendous pote for creating an environment of public disorder within shrinagar district and other parts of the valley. The conduct of the is seen as fanning the emotions of general masses against the Union of uIndia and instigating the public with statement against […]
महात्मा गांधी और हमारी अप्रसांगिकता
सोपान जोशी [ यह लेख मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद की साहित्य अकादमी की भोपाल से छपने वाली पत्रिका ‘साक्षात्कार’ के अक्टूबर–नवम्बर–दिसम्बर 2019 के महात्मा गांधी विशेषांक छपा है। ] कोलकाता में एक चमत्कार बस हुआ ही था। दंगा करने वाले अपने हथियार जमा करवा रहे थे, प्रायश्चित की बात चल रही थी। हिंदू–मुस्लिम दगों की जिस आग को सरकार और […]
कारपोरेट राजनीति के बदलाव का गांधीवादी तरीका-प्रेम सिंह
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने पर कई संजीदा साथियों ने गहरी चिंता व्यक्त की कि नरेंद्र मोदी की एक बार फिर जीत संविधान और लोकतंत्र के लिए बहुत बुरा संकेत है. पिछले पांच सालों के दौरान धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील साथियों से यह बात अक्सर सुनने को मिलती है कि हम बहुत बुरे समय से […]