Day 7 of Fast | उपवास दिन-7: चैतरफा पड़ोसियों के साथ संबंध संकट में

प्रधान मंत्री ने अपने शुरुआती दिनों में खूब विदेश यात्राएं की। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे विदेश मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाले हुए हैं जबकि वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्चराज पूर्णकालिक विदेश मंत्री थीं। नरेन्द्र मोदी के समर्थकों ने कहना शुरु कर दिया कि प्रधान मंत्री की इन यात्राओं से दुनिया में भारत की साख बढ़ गई है। चीन, जापान, अमरीका जैसे बड़े देशों के राष्ट्र प्रमुखों के साथ व्यक्तिगत सम्बंध भी उन्होंने प्रगाढ़ करने की कोशिश की। उनकी सबसे पहली विदेश यात्रा नेपाल की थी यह मानकर कि हिंदू बहुल देश को भारत विशेष महत्व देगा।

लेकिन आज हालात क्या हैं? चीन ने भारत में घुसपैठ कर ली है और प्रधान मंत्री अपने भाषणों में चीन का नाम तक नहीं लेते। उसे सिर्फ एक विस्तारवादी नीति वाले देश के रूप में सम्बोधित करते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ जहर उगलने व सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले प्रधान मंत्री चीन, जो पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन है, से दबते नजर आते हैं। चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने वाली सरकार की यह हिम्मत नहीं कि चीन से आने वाले मोबाइल फोन, कम्प्यूटर व दवाओं पर पूरी तरह से रोक लगा सके। चीन के भारत में घुसपैठ के बाद से प्रधान मंत्री ने अभी तक शीर्ष स्तर पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिनसे पहले तो वे अपनी दोस्ती बढ़ा रहे थे, एक बार भी बात क्यों नहीं की?

पाकिस्तान के साथ तो सम्बंध और खराब हो गए हैं। हलांकि पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान ने सिक्ख धर्मावलम्बियों के लिए करतारपुर गुरुद्वारे का रास्ता खोल दोस्ती की एक पहल की थी। भारत को भी चाहिए था कि अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती की दरगाह का रास्ता पाकिस्तानी नागरिकों के लिए खोलता तो शायद हमारे सम्बंध सुधरते। आतंकवाद की समस्या से तो दोनों देशों को मिलकर ही निपटना होगा क्योंकि पाकिस्तान को आतंकवादियों से ज्यादा नुकसान होता है। वहां की जनता भी त्रस्त है।

यह बात बहुत साफ है कि चाहे चीन हो या पाकिस्तान हमारी समस्या बातचीत से ही सुलझने वाली है। युद्ध और युद्धोन्माद कोई हल नहीं है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम लाने के बाद बंग्लादेश हमारे प्रति सशंकित हो गया है और हमारे सम्बंधों पर आंच आई है। और तो और नेपाल जो हम मान की चल रहे थे कि हमारा साथ देगा वह भी भारत के खिलाफ हो गया क्यों हमारी सरकार उसकी भूमि पर तिब्बत जाने के एक मार्ग का निर्माण कर रही है। इसका विरोध नेपाल ने एक नक्शा छाप कर किया जिसमें भारत के कुछ हिस्से को नेपाल में बताया गया। पहली बार नेपाल सीमा पर भी गोली चली और एक भारतीय नागरिक मारा गया।

श्रीलंका भी चीन को भारत के ऊपर प्राथमिकता दे रहा है।

नागालैण्ड के संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागलिम के साथ भी संबंध बिगड़ गए हैं और 2015 में एक समझौता करने के बाद अब यह संगठन कह रहा है कि भारत सरकार से प्रधान मंत्री स्तर पर ही विदेश की भूमि पर वार्ता करेगा। यह सरकार के लिए शर्म की बात होनी चाहिए।

भारत के एक साथ सभी पड़ोसियों के साथ रिश्ते खराब हो गए हैं। प्रधान मंत्री को चाहिए कि पहल लेकर बातचीत कर सभी रिश्तों को सुधारें और पड़ोसियों की आशंका को दूर करें। जो सीमा विवाद हैं उन्हें हल करें। जो विवादित सीमा है वहां कुछ संयुक्त प्रबंधन की बात सोची जानी चाहिए।

संदीप पाण्डेय, 0522 2355978

सलमान राईनी, 9335281976

मोहम्मद अहमद, 7007918600

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) जिला कार्यालय
कल्बे आबिद मार्ग, पुरानी सब्जी मण्डी के पास, मुख्तारे हलवाई के सामने, लखनऊ

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