9 अगस्त क्रांति दिवस पर 250 किसान संगठनों द्वारा कॉरपोरेट भगाओ, किसानी बचाओ आंदोलन का होगा शंखनाद

9 मुद्दों पर प्रधानमंत्री के नाम सौंपा जाएगा ज्ञापन

वन अधिकार कानून को अप्रासंगिक बना देना चाहती है केंद्र सरकार 

इंदौर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आव्हान पर 9 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर “कार्पोरेट भगाओ, किसानी बचाओ” आंदोलन देश भर में आयोजित किया जा रहा है। किसान संघर्ष समिति द्वारा मध्यप्रदेश के सभी जिलों में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

जानकारी देते हुए सोशलिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश के अध्यक्ष एवं किसान संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष तथा मालवा निमाड़ के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने बताया कि इंदौर में यह कार्यक्रम 10 अगस्त को दोपहर 12:00 बजे श्रम शिविर पर आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान किसान विरोधी अध्यादेशों को जलाया जाएगा तथा किसानों के मुद्दों पर संघर्ष चलाने का संकल्प लिया जाएगा। इस आयोजन में विभिन्न श्रम संगठन और किसान संगठनों के समर्थन से बड़ी संख्या में ग्रामीण और किसान मजदूर हिस्सेदारी करेंगे आयोजन संयुक्त रूप से किया जा रहा है और सीपीआई सीपीएम सोशलिस्ट और समाजवादी संगठन के साथी भी भागीदारी करेंगे।

इससे पूर्व 9 अगस्त के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए किसान सभा तथा सीपीएम से जुड़े वर्ग संगठनों और अन्य संगठनों द्वारा कामरेड अरुण चौहान व अन्य साथियों द्वारा इंदौर जिले में विभिन्न ग्रामीण अंचलों में जागरूकता के लिए छोटी-छोटी सभाएँ की जा रही है। श्री मंत्री और किसान संघर्ष समिति के सचिव दिनेश सिंह कुशवाहा ने बताया कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 9 अगस्त को 9 मुद्दों पर कर्जा मुक्ति पूरा दाम, किसान विरोधी अध्यादेश रद्द करो आदि मुद्दों पर यह कार्यक्रम किया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान केद्र सरकार से इस साल कोरोना दौर के लिए सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करने और खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करने, समूहों के कर्ज का ब्याज माफ कर उनकी वसूली पर रोक लगाने, उसके बाद सरकार हर किसान को संपूर्ण कर्जा मुक्ति का कानून पास करने, प्रत्येक फसल, सब्जी, फल और दूध का एमएसपी कम से कम सी-2 लागत से 50 फीसदी अधिक घोषित हो। इस दाम पर फसल खरीद की गारंटी दे सरकार। एमएसपी से कम रेट पर खरीद करना फौजदारी जुर्म घोषित हो।

दिनांक 05.06.2020 को जारी तीनो अध्यादेशों-क)  कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 ख)  मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020ग)  आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को सरकार वापस ले। ये किसान विरोधी हैं। इनसे फसल के दाम घट जाएंगे। खेती की लागत महंगी और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। खाद्य सुरक्षा तथा सरकारी हस्तक्षेप की सम्भावना समाप्त हो जाएगी। यह पूरी तरह कॉरपोरेट सेक्टर को बढ़ावा देते हैं, उनके द्वारा खाद्यन्न आपूर्ति पर नियंत्रण, जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा।

किसानों को “वन नेशन वन मार्केट” नहीं “वन नेशन वन एमएसपी” चाहिए। अंतरराष्ट्रीय रेट 2014 से 60 फीसदी घटा है लेकिन भारत सरकार का टैैक्स दो गुना बढ़ा है। कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे व सूक्ष्म उद्यमियों तथा आम जन का बिजनी का बिल माफ करने। डीबीटी योजना ना मंजूर। फरवरी-मार्च 2020 में ओलावृष्टि, बिन मौसम बरसात और लॉक डाउन के कारण किसानों की सब्जी, फल, फसल एवं दूध के नुकसान का मुआवजा दे सरकार । मनरेगा के तहत काम की गारंटी को बढ़ाकर 200 दिन किया जाय और न्यूनतम मजदूरी की दर से भुगतान किया जाय ताकि खेतिहर मजदूर, छोटे किसान, मजदूरी छोड़ गाँव वापिस आये प्रवासी किसान को इस संकट में काम मिल सके।

कोरोना संकट के पूरे दौर में सरकार हर व्यक्ति को पूरा राशन उपलब्ध कराये ताकि किसान की मेहनत से बने देश के खाद्यान्न भंडार का प्रयोग हो सके। राशन में हर महीने प्रति यूनिट, 15 किलो अनाज, 1 किलो तेल, 1 किलो दाल, 1 किलो चीनी दे सरकार।देश में किसानो, आदिवासियों की खेती की जमीन के अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए और जंगल की जमीन कैम्पा कानून के नाम पर जबरन प्लान्टेशन लगाना बंद किया जाए।वनाधिकार कानून लागू किया जाए।    

इन मुद्दों  को लेकर 10 तारीख को दोपहर 1:00 बजे सम्भायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।

रामस्वरूप मंत्री

प्रदेश अध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) मध्य प्रदेश 

दिनेश सिंह कुशवाह 

सचिव, किसान संघर्ष समिति मध्य प्रदेश

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