लड़खड़ाते लोकतंत्र में सोशलिस्ट नेता मधु लिमए को याद करने के मायने

लड़खड़ाते लोकतंत्र में सोशलिस्ट नेता मधु लिमए को याद करने के मायने


रामस्वरूप मंत्री | आज भारतीय लोकतंत्र का जिस्म तो बुलंद है, पर इसकी रूह रुग्ण हो चली है। ऐसे में जोड़, जुगत, जुगाड़ या तिकड़म से सियासत को साधने वाले दौर में मधु लिमए की बरबस याद आती है। राजनीति के चरमोत्कर्ष पर हमें सन्नाटे में से ध्वनि, शोर में से संगीत और अंधकार में से प्रकाश-किरण ढूँढ लेने की प्रवीणता हासिल करने का कौशल मधु लिमये में दिखता है। प्रखर समाजवादी, उत्कृष्ट वक्ता व शानदार लेखक मधु लिमये (1 मई 1922 – 8 जनवरी 1995) की आज 98वीं जयंती है।