किसान आंदोलन के समर्थन और तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर इंदौर में भी राष्ट्रपति के नाम दिया गया ज्ञापन

यदि तीनों कानून रद्द नहीं हुए तो किसानों का आंदोलन और तेज किया जाएगा

 इंदौर। अखिल भारतीय  किसान संघर्ष समन्वय समिति और अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा की इंदौर इकाई द्वारा आज देश व्यापी आह्वान के तहत किसान आंदोलन केे समर्थन में भी संभागायुक्त के माध्यम सेे राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया यह ज्यादा किसान संघर्ष समिति अखिल भारतीय  किसान खेत मजदूर संगठन एटक और इंदौर के विभिन्न जन संगठनों की ओर से दिया गया  इंदौर की ज्वाइंट कमिश्नर सपनाा सोलंकी को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई थी तीनों क्र्रृषि कानून तत्काल रद्ध्ध करे । प्रतिनिधिमंडल में रामस्वरूप मंत्री, रूद्र पाल यादव,  प्रमोद नामदेव,  छेदी लाल यादव , मोहम्मद अली सिद्दीकी, अकबर अहमद, भरत चौहान  आदि शामिल थे । 

गौरतलब है कि18 मार्च  को  किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े देश भर के 500 से ज्यादा किसान संगठनों की ओर से आज देश भर में प्रदर्शन और चेतावनी ज्ञापन दिए जाकर  सरकार से  कहा जा रहा है कि विधेयक वापस नहीं लिए तथा बिजली बिल 2020 संशोधन कानून को लागू करने की कोशिश की तो देशव्यापी किसानों का आंदोलन  और बढ़ जाएगा । उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी ।

ज्ञापन में कहा गया है की  देश के किसानों द्वारा दिल्ली में 26-27 नवंबर से  तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने और बिजली बिल वापस लेने  की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन किया जा रहा है। पंजाब – हरियाणा – उत्तरप्रदेश मध्य प्रदेश महाराष्ट्र सहित देश  के लाखों किसान दिल्ली मेंडेरा डाले हुए हैं।   

114 दिन होने के बावजूद अब तक सरकार द्वारा तीनों कानूनों को रद्द करने एवं बिजली बिल वापस लिए जाने की घोषणा नहीं की है।केंद्र   सरकार के मंत्री और प्रधानमंत्री  द्वारा कानूनों के पक्ष में लगातार बयान देकर किसानों को विपक्षियों द्वारा भ्रमित  बतलाया जा रहा है। गोदी मीडिया द्वारा किसानों के आंदोलन  को खालिस्तानी ,विपक्षी दलों की कठपुतली ,विदेशी पैसों से आंदोलन चलाने वाला बतलाकर अपमानित किया जा रहा है ।         

सरकार  द्वारा जबरजस्ती बनाये गए तीन कृषि कानूनों का मकसद खेती का कार्पोरेटिकरण करना है। सरकार कारपोरेट को खेती सौंपना चाहती हैं। हमारी समझ है कि  कानून किसानों की जमीन छीनने के उद्देश्य से लाए गए हैं ताकि किसान, किसानी और गांव खत्म कर कारपोरेट के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध कराया जा सकें।

एक तरफ सरकार आत्मनिर्भर भारत और किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही हैं, दूसरी तरफ कानूनों के माध्यम से सरकार ने कारपोरेट को खेती में असीमित निवेश करने, कृषि उत्पादों की खरीद करने, भंडारण करने, खाद्य प्रसंस्करण करने तथा कृषि उत्पादों की जमाखोरी करने की खुली छूट  दे दी है जिससे मंडी व्यवस्था, एमएसपी व्यवस्था, जन वितरण प्रणाली (खाद्य सुरक्षा) खत्म होना तय है। 

हम खेती के कारपोरेटीकरणके खिलाफ आंदोलनरत   किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने और आपको चेतावनी देने के लिए यह ज्ञापनपत्र सौंप रहे हैं। इस ज्ञापन के माध्यम से हम मांग करते हैं तत्काल किसान विरोधी कानून और बिजली बिल 2020 रद्द नहीं किए गए तो देश भर के किसान भी दिल्ली में डेरा डाले किसानों की तरह हम भी अनिश्चितकालीन आंदोलनात्मक कार्यवाही करने के लिए बाध्य होंगे। इसी तरह के ज्ञापन धार, उज्जैन, देवास, रीगा,  ग्वालियर मुल्ताई, बेतूल ,हरदा, टिमरनी ,सिवनी मालवा ,बालाघाट, मंदसौर ,सहित प्रदेश के 30 से ज्यादा जिलों में दिए गए ।

रामस्वरूप मंत्री 

संयोजक, किसान संघर्ष समिति, मालवा निमाड़

Ph: 9425902303

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