विद्यालय में दाखिला न दिला पाने वाली सरकार कर रही प्रचार बाल दासता खत्म करने का!

प्रेस विज्ञप्ति
दिनांकः 14 अक्टूबर, 2016

विद्यालय में दाखिला न दिला पाने वाली सरकार कर रही प्रचार बाल दासता खत्म करने का!

जो जिलाधिकारी निजी विद्यालय का मालिक वह कैसे दिलाएगा गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा?

शिक्षा के अधिकार कानून को न मानने वाले निजी विद्यालयों का सरकारीकरण हो

राज्य सरकार का बाल संरक्षण आयोग प्रचार कर रहा है कि बाल दासता खत्म कर बच्चे का विद्यालय में दाखिला कराया जाए। किंतु जिला प्रशासन और राज्य सरकार लखनऊ में शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के करीब 120 बच्चों का सिटी मांटेसरी, नवयुग रेडियंस, राजेन्द्र नगर, सिटी इण्टरनेशनल, मानस विहार, विरेन्द्र स्वरूप, महानगर, सेण्ट मेरी कान्वेण्ट, जानकीपुरम, सेण्ट मेरी इण्टर कालेज, मटियारी व दिल्ली पब्लिक स्कूल में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने हेतु दाखिला करा पाने में असमर्थ हैं। तब सवाल यह उठता है कि बाल दासता से मुक्त बच्चा कहां जाएगा? सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) यह सवाल उठाना चाहती है कि उ.प्र. सरकार गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है?
मुख्य मंत्री अखिलेश यादव शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कराए गए दाखिलों को अपनी उपलब्धि मानते हैं। उ.प्र. में यदि सभी निजी विद्यालयों में इस अधिनियम के तहत 25 प्रतिशत भी दाखिले हो पाते तो कुल 6,37,150 बच्चे लाभान्वित हो सकते थे। इसके सापेक्ष 2016-17 शैक्षणिक सत्र में दाखिलों का आदेश हुआ है मात्र 15,000 बच्चों का, यानी 2 प्रतिशत, जिसमें से उपर्युक्त जैसे कई का असल में दाखिला हुआ ही नहीं। यदि मुख्य मंत्री के लिए यह उपलब्धि है तो हमें उनकी समझ पर तरस ही आती है।
यदि अखिलेश यादव नर्सरी और कक्षा 1 में एक कानून के तहत बच्चों का दाखिला नहीं करा सकते तो वे और कठिन काम, जैसे कानून और व्यवस्था बनाए रखना या अवैध कब्जों को खाली कराना, कैसे करेंगे? उ.प्र. के इतिहास में उनके जैसे कमजोर मुख्य मंत्री शायद ही हुआ हो जो पहल लेने से घबराता है।
लखनऊ के नए जिलाधिकारी सत्येन्द्र सिंह का अपना निजी विद्यालय न्यू मिलेनियम है। जिस जिलाधिकारी का अपना निजी विद्यालय हो हम उससे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह निजी विद्यालयों में कम से कम 25 प्रतिशत अलाभित समूह व दुर्बल वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा हेतु दाखिला दिलाएगा? सत्येन्द्र सिंह के पास सौ से ऊपर बच्चों के आवेदन, जिनका दाखिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी ने स्वीकृत कर दिया है, एक माह से ऊपर हो गया लम्बित पड़े हैं। दाखिले का समय खत्म हो रहा है। क्या सत्येन्द्र सिंह नहीं चाहते कि गरीब बच्चों को सम्पन्न परिवारों के बच्चों के साथ पढ़ने का मौका मिले? यह न सिर्फ लापरवाही है बल्कि गरीब बच्चों के कानूनी अधिकार का हनन भी।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) यह मांग करती है कि जो विद्यालय शिक्षा के अधिकार कानून का पालन नहीं कर रहे उनकी मान्यता रद्द करने की दिशा में उनको दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र वापस लिया जाए। यदि सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) आगामी विधान सभा चुनाव में सफल रहती है और सरकार गठन करती है तो निजी विद्यालयों का सरकारीकरण किया जाएगा। इस दिशा में सबसे पहले उच्च न्यायालय का फैसला कि सभी सरकारी तनख्वाह पाने वालों के बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ें को तत्काल लागू किया जाएगा। हम अंततः 1968 के कोठारी आयोग की समान शिक्षा प्रणाली की सिफारिश को लागू करेंगे ताकि भारत के हरेक बच्चे को एक गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके।

प्रवीण श्रीवास्तव, 9415269790, रवीन्द्र, 7388602954, मोहम्मद नाजिम, शब नूरी, शरद पटेल, 9506533722, संदीप पाण्डेय
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया), लोहिया मजदूर भवन, 41/557 तुफैल अहमद मार्ग, नरही, लखनऊ-226001, फोनः 2286423

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