6 अप्रैल, 2015 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत सिटी मांटेसरी विद्यालय की इंदिरा नगर शाखा में 31 बच्चों के दाखिले का आदेश किया। ये सब अलाभित समूह व दुर्बल वर्ग के बच्चे हैं। संस्थापक-प्रबंधक जगदीश गांधी ने दाखिला देने के बजाए उच्च न्यायालय जाना पसंद किया। उच्च न्यायालय ने उनके द्वारा उठाए गए बिंदुओं को निराकरण करते हुए 6 अगस्त, 2015 को 14 (जो आदेश में गिनती की गल्ती से 13 लिखा गया है) वाल्मीकि समुदाय के बच्चों के एक सप्ताह के अंदर दाखिले का आदेश किया। जगदीश गांधी ने इसके खिलाफ विशेष अपील की जो 10 सितम्बर, 2015 को खारिज हो गई। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इससे पहले 26 अगस्त को न्यायालय की अवमानना का मुकदमा किया तो न्यायालय ने उन्हें कारण बताने हेतु 30 सितम्बर तक का समय दे दिया। जब बच्चे विद्यालय दाखिला कराने पहुंचते हैं तो जगदीश गांधी दाखिला देने से मना कर देते हैं हलांकि न्यायालय से दाखिले पर कोई रोक नहीं है।

हम न्यायालय से जानना चाहते हैं जगदीश गांधी को इतनी छूट क्यों दी जा रही है? शैक्षणिक सत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। न्यायालय बच्चों का दाखिला क्यों नहीं करा रहा? यदि जगदीश गांधी को मुकदमा लड़ना है तो बच्चों को दाखिला देने के बाद भी लड़ सकते हैं। यदि ये बच्चे अमीरों के होते तो भी क्या न्यायालय जगदीश गांधी को इतनी मोहलत देता? जगदीश गांधी के पास इतना पैसा है कि वे 14 वाल्मीकि समुदाय के बच्चों को रोकने के लिए दिल्ली से शांति भूषण जैसे महंगे वकील को ले आते हैं? आखिर इतना पैसा जगदीश गांधी के पास आया कहां से? यदि यह बच्चों की फीस का पैसा है तो इसका मतलब कि वे अत्याधिक फीस ले रहे हैं? यदि से पैसा कहीं और से आ रहा है तो इसकी जांच होनी चाहिए।

यह सबको मालूम है कि जगदीश गांधी न्यायाधीशों व वकीलों के बच्चों को फीस में छूट देते हैं। क्या इसीलिए न्यायालय का रुख उनके प्रति नरम है? उनके पास पैसा है तो वे मनमर्जी से न्यायालय में मामले का खींच रहे हैं। बच्चों के माता-पिता के पास पैसा नहीं तो वे अपने बच्चों का दाखिला नहीं करा पा रहे। क्या न्याय सिर्फ पैसे वालों के लिए है?

जगदीश गांधी दुनिया भर के न्यायाधीशों को बुलाकर सम्मेलन करते हैं। यह न्यायाधीशों को सोचना चाहिए कि जो व्यक्ति राष्ट्रीय कानून मानने को तैयार नहीं, न्यायालय का फैसला मानने को तैयार नहीं क्या उसके यहां समारोहों में जाना उचित है?

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