दिनांक 8 जनवरी, 2015, बृहस्पतिवार से

गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ

24 नवम्बर और 15 दिसम्बर, 2014 को सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने उन्नाव धरना देकर इस बात का विरोध किया था कि जिले में सरकारी धान केन्द्रों पर धान नहीं खरीदा जा।

दूसरे धरने के बाद जिले में दस केन्द्र खोले गए किंतु खरीद कहीं नहीं हो रही। ऐसा बताया जा रहा है कि ऊपर से आदेश है कि धान नहीं खरीदना है। निजी राइस मिलों को लाभ पहुंचाने के लिए दलालों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम, करीब रु. 1000 प्रति क्विंटल, पर धान खरीद किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है।

किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य, रु. 1400 व रु. 1360 क्रमशः ए एवं बी ग्रेड धान के लिए, की गारण्टी होनी चाहिए ओर सभी सरकारी केन्द्रों को ठीक से खोल कर चलाया जाना चाहिए। किसानों की खस्ता हालत एवं देश के कुछ इलाकों में किसानों की आत्महत्या की खबरों से सब वाकिफ हैं।

सरकार पहले राइस मिलों से 60 प्रतिशत चावल लेवी के रूप में लेती थी। अब इसको कम कर 25 प्रतिशत कर दिया गया है और अगले वर्ष से 0 प्रतिशत कर दिया जाएगा। सरकार द्वारा यह कदम किसान को बाजार पर निर्भर बनाएगा।

राज्य सरकार ने 2012 में राज्य पूल बंद कर भी किसानों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। जहां पहले 30-40 लाख टन अनाज खरीदा जाता था अब सिर्फ 9-10 लाख टन खरीदा जाता है। जबकि उ.प्र. पहला राज्य है जिसने राज्य पूल शुरु किया था।

दूसरी तरफ भू अधिग्रहण कानून में 2013 में किए गए संशेधनों को कमजोर कर उसे भी किसान विरोधी बनाया जा रहा है। पहले जो अधिग्रहण के लिए 70 प्रतिशत किसानों की सहमति अनिवार्य थी उसे समाप्त किया जा रहा है। इसी तरह भू अधिग्रहण के पहले जन सुनवाई तथा सामाजिक प्रभाव के अध्ययन की आवश्यकता को समाप्त किया जा रहा है। स्पष्ट है कि सरकार किसानों की जमीन मनमाने तरीके से हड़प कर उद्योगपतियों को औने-पौने दामों पर देना चाहती है।

स्पष्ट है कि सरकार कृषि को भी बाजार के हवाले करना चाहती है जो जन विरोधी कदम होगा। केन्द्र व राज्य सरकारों की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ सोशलिस्ट पार्टी के नेता अनिल मिश्र 8 जनवरी, 2015 से आमरण अनशन पर बैठेंगे।

– किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी दी जाए।

– सरकारी धान खरीद केन्द्रों को सक्रिय किया जाए।

– लेवी खत्म करने का निर्णय वापस लिया जाए।

– राज्य पूल को पुनस्र्थिापित किया जाए।

– भू-अधिग्रहण कानून में अध्यादेश लाकर किए गए संशोधन को वापस लिया जाए। भूमि अधिग्रहण हेतु 70 प्रतिशत किसानों की सहमति, जन सुनवाई व सामाजिक प्रभाव अध्ययन को अनिवार्य बनाया जाए।

– स्वास्थ्य बजट में रु. 6000 करोड़ की कटौती वापस ली जाए।

– बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश आमंत्रित करने का निर्णय वापस लिया जाए।

– निजीकरण की नीति पर रोक लगाई जाए। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र इससे पूर्णतया मुक्त रखे जाएं।

– समान शिक्षा प्रणाली व पड़ोस के विद्यालय की अवधारणा लागू की जाए। सरकारी वेतन पाने वाले व जन प्रतिनिधियों के बच्चों का सरकारी विद्यालयों में पढ़ना अनिवार्य किया जाए।

– न्यूनतम दैनिक मजदूरी रु. 440 प्रति दिन व संविदा कर्मचारियों की तनख्वाह रु. 11,000 प्रति माह की जाए।

– रोजगार का अधिकार मौलिक अधिकार बनाओ।

– 80 प्रतिशत बिजली एवं अन्य संसाधन गांवों के लिए आरक्षित किए जाएं।

– रु. 500 व रु. 1000 के नोट पर रोक लगे ताकि बड़े भ्रष्टाचार पर रोक लगे।

– जेलों में बंद निर्दोष लोगों या जो लम्बे समय से जेल में हैं को रिहा किया जाए।

गिरीश कुमार पाण्डेय, डाॅ शुचिता कुमार, सहदेव सिंह गौतम, गुलशन भसीन, इमरान सिद्दीकी, जयसिंह वर्मा, अजय शेखर, श्रीवल्लभ, धर्मराज सिंह, उमाशंकर मिश्र, शालिनी सिंह, मीनाक्षी सिंह, चुन्नी लाल, मोहम्मद शोएब, ओंकार सिंह, संदीप पाण्डेय
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया), 41/557 डाॅ तुफैल अहमद मार्ग, लोहिया मजदूर भवन, नरही, लखनऊ, फोनः 0522 2286423, फैक्सः 2287981, मो.ः 9415402311, ashaashram@yahoo.com

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