सोनभद्र इलाके में वन विभाग की जमीन पर अवैध खनन के खिलाफ पदयात्रा (2 से 5 अप्रैल, 2015)

2 से 5 अप्रैल, 2015

वाराणसी से राबर्ट्सगंज

सोनभद्र के इलाके में वन विभाग की जमीन पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन चल रहा है किंतु सरकार इसे रोकने का तैयार नहीं है। केन्द्रीय सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उ.प्र. सरकार द्वारा वन विभाग की जमीन पर खनन हेतु मांगी गई अनुमति को अस्वीकार कर दिया। फिर भी उ.प्र. सरकार ने अवैध खनन को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। सूप्रीम कोर्ट के निर्देश और मंत्रालय की मार्गनिर्देशिका के अनुसार, अभयारण्य (वन्य जीव-जन्तु नेशनल पार्क) से 10 किमी तक कोई भी खनन नहीं हो सकता। इसके बावजूद कैमूर वन अभयारण्य के कनाछ वन क्षेत्र से 1 किमी दूरी से कम जगह पर खनन की संस्तुति दी गयी।

केन्द्रीय सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उ.प्र. सरकार को चेतावनी देते हुए सोनभद्र के जिलाधिकारी तक को इसके लिए दोषी ठहराया है किंतु फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। 22 अगस्त 2012 को केंद्र वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उप्र सरकार के वन सचिव को लिखा कि सोनभद्र में 2009 से अवैध खनन जारी है, जिसकी संस्तुति देने के लिए जिम्मेदार हैं सोनभद्र के जिला अधिकारी, खनन अधिकारी/ खनन सर्वेयर क्योंकि वन (संगरक्षण) अधिनियम के तहत केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी नहीं ली गयी है; और ओबरा के मंडलीय वन अधिकारी (डीएफ़ओ) को भी जिम्मेदार माना जाये यदि उन्होने इन खनन के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया हो। इस मुद्दे पर सूप्रीम कोर्ट में एक जन हित याचिका भी दाखिल है।

जे.पी. एसोसिएट अवैध रूप से अभ्यारण्य से 1.5 कि.मी. दूरी पर अपना बिजली घर (4×60 मेगावाट), 1 एमटीपीए सीमेंट ग्रैंडिंग यूनिट और कोयला ‘वैशरी’ भी बना रहा है।

अवैध खनन से भ्रष्टाचार तो फल-फूल रहा ही है, इस इलाके के लोग खनन गतिविधि के कारण गम्भीर रोगों को षिकार हो रहे हैं और पर्यावरण को अपूर्तिनीय क्षति पहुंच रही है। 27 फरवरी 2012 को, बिललीमरकुंडी की एक खनन में हुई एक दुर्घटना में एक दर्जन मजदूर मृत हुए थे, जिनको आज तक उप्र सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है।

खनन से बड़ी कमाई और इसमें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की संलिप्तता और माफिया के साथ गठजोड़ के कारण इस अवैध गतिविधि को रोकना मुष्किल है।

चूंकि राजनेता-ठेकेदार-अफसर इस अवैध गतिविधि को कभी बंद नहीं होने देंगे और कुछ पत्रकार भी इसी गठजोड़ में शामिल हो गए हैं अब आम जनता ही अपनी आवाज बुलंद कर इसके खिलाफ कुछ कर सकती है।

इसी वजह से, हम लोगों ने, जो सांझा संस्कृति मंच वाराणसी और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), भारत की ‘ग्रीन पार्टी’ से जुड़े हैं, यह पदयात्रा आयोजित की है ताकि नागरिक समाज इन अवैध गतिविधियों को रोकने में सहयोग कर सके।

पदयात्रा के विभिन्न पड़ावों के सम्पर्कः

2 अप्रैल, 2015, सुबह, वाराणसी, नंदलाल, 9415300520, मोनीष बब्बर, 8953988126, चिंतामणि सेठ, 9450857038
2 अप्रैल, 2015, दोपहर व रात्रि, खजुरौल, कृष्ण मुरारी सिंह पटेल, ग्राम प्रधान, 9721089479
3 अप्रैल, 2015, दोपहर व रात्रि, अहरौरा, दिलदार सोनकर, चेयरमैन, 9415360234, रामआसरे विष्वकर्मा, 8009370148
4 अप्रैल, 2015, दोपहर व रात्रि, मधुपुर,अजय शेखर, 9794091446
5 अप्रैल, 2015, दोपहर, राबर्ट्सगंज, अजय शेखर, भूतपूर्व अध्यक्ष, नगर पालिका, 9794091446

सम्पर्कः अजय शेखर, 9794091446, नंदलाल, 9415300520, उर्मिला विष्वकर्मा, 7639755761, महेन्द्र, 9936473073, सुरेष, 9839017693, वल्लभाचार्य, 9415256848, चिंतामणि सेठ, 9450857038, मोनीष बब्बर, 8953988126, हेमंत कनौजिया, 8795217652, गुरु 9845294184, संदीप पाण्डेय, 0522 2347365, 0542 6702702, 2575389

साझा संस्कृति मंच, वाराणसी व सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) द्वारा आयोजित

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