(सांप्रदायिक असामंजस्य और आतक के मसलो के सन्दर्भ )

पिछले दिनों हाशिमपुरा निर्णय अखबार की सुर्ख़ियो में छाया रहा और अपने साथ ढेर सारे अनगिनत प्रश्नो को भी हम सब के समक्ष खड़ा कर गया , चाहे वो किसी समुदाय विशेष के अस्तित्व का प्रश्न हो, समुदाय का समाज में पूर्ण रूप से स्वीकारता का सवाल हो या लचर होती कानूनी वयवस्था या फिर सरकारी असंवेदनशीलता और गैर जिम्मेदाराना रवैया ।

सिर्फ हाशिमपुरा ही क्यों ?, हमे ये सवाल २०१४ के मुज़फ्फरनगरके पीड़ित , लखनऊ के तारिक़ कासमी , या अक्षरधाम में निर्दोष साबित हुए अब्दुल कयूम मंसूरी के रिहाई के बाद निरंतर चलते संघर्ष के विषय में भी प्रासंगिक है , ये सवाल हमारी भूमिका को भी विश्लेषण करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए और सोचने के लिए भी बाध्य करते है ।

हमारी क्रियाशीलता इसलिए इस सन्दर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब एक सिरे से बाबू बजरंगी (दोषी २००२ दंगे ), माया कोडनानी और अमित शाह जैसे लोगो को जमानत मिल चुकी है , वही दूसरी और डॉक्टर साईं बाबा , तारिक क़ासमी जैसे निर्दोष लोग सलाखों के पीछे यातना झेल रहे है । अगर यहाँ हम दोनों पक्षों की तुलना करे तो न्याय प्रणाली का एक पक्षपात पूर्ण व्यवहार भी परिलक्षित होता है ।

सरकार की अनदेखी भी हम नकार नहीं सकते , एक तरफ जब हाशिमपुरा निर्णय में ४० से ज्यादा मुस्लिम युवको /पुरुषो की हत्या की पुस्ति निचली अदालत करती है तो फिर उनके परिवारजानो को मुआवजा देने में सरकार की और से हिचकिचाहट क्यों ?

ऐसे दौर में इस विषय में चिंतन और विश्लेषण करके इन सवालो के जवाब पाने व सही हल निकालने के उददेश्य से हमे ठोस कदम उठाने चाहिए ।

इसी सन्दर्भ में खुदाई खिदमतगार और सोशलिस्ट युवजन सभा की ओर से दिनाक २३ मई २०१५ साय ५ बजे से गांधी शान्ति प्रतिष्ठान में एक परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है ।
इस परचर्चा में मुख्य वक्तागण निम्लिखित होंगे :-
१. जस्टिस राजेंदर सच्चर
२. संजय पारीख , अधिवक्ता , सर्वोच्च न्यायालय
३. अनिल नौरिया, अधिवक्ता , सर्वोच्च न्यायालय
४. अपूर्वानंद,
५.एन डी पंचोली ,पी यू सी एल
६. कबीर दिक्षित , अधिवक्ता , सर्वोच्च न्यायालय

समय , साय ५ बजे
कार्यक्रम स्थल – गांधी शांति प्रतिष्ठान ,आई टी ओ

संपर्क सूत्र :-१. तहमीना लश्कर , संपर्क 8800349400, २. नीरज भाई, संपर्क 9911970162, ३. रिज़वान अहमद संपर्क 9911275818 ४. शशांक ,संपर्क 09654413791

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