17 मई को कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का स्थापना दिवस है। 86 वर्ष पूर्व स्वाधीनता आंदोलन के दौरान ही डॉ राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव, जय प्रकाश नारायण ,अच्युत पटवर्धन, युसूफ मेहर अली, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, मीनू मसानी , अरुणा आसफ अली सहित 100 से ज्यादा नेताओं ने इसकी स्थापना की थी। इन 86 वर्षों में सोशलिस्ट पार्टी कई कई बार टूटी जुड़ी और आज कई दल हैं जो अपने स्वयं को समाजवादी दल कहते हैं, हालांकि उनमें से कई दल समाजवाद के सिद्धांतों से कोसों दूर चले गए हैं । मगर यह भरोसे की बात है इन 86 सालों में ना केवल समाजवाद की विचारधारा की स्वीकार्यता बढ़ी है, बल्कि हजारों की संख्या में ऐसे नए कार्यकर्ता तैयार हुए हैं जो इस विचारधारा को लेकर सक्रिय हैं, और अलग-अलग हिस्सों में विचार को अपने कर्म के जरिए फैलाने का काम भी कर रहे हैं ।
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना ही कांग्रेश के विचारों के मतभेद के चलते हुई थी और इससे जुड़े नेताओं ने विचार पर ही अधिक जोर दिया । जिसके चलते ही सोशलिस्टो में सुधरो अथवा टूटो का खेल भी बहुत चला । संघर्ष के अलावा विचार की मजबूती देने के लिए सोशलिस्ट आंदोलन से जुड़े नेताओं ने साहित्य प्रकाशन और अपने समाचार पत्र निकालने का काम भी बड़े स्तर पर किया । कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना के समय से ही इस आंदोलन के बड़े नेताओं का मानना था कि विचार वान कार्यकर्ता ही देश में संघर्ष और समता की राजनीति कर सकता है। इसलिए उन तमाम नेताओं ने विचार फैलाने के लिए लेखन को भी अपने कर्मो में शामिल किया।
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना के वक्त ही सीएसपी ने कांग्रेस सोशलिस्ट के नाम से एक साप्ताहिक अखबार शुरू किया । जिसके संपादक डॉ राम मनोहर लोहिया थे । तभी से इस पत्र के अलावा देश के तमाम समाचार पत्रों में समाजवादी विचारों पर लेखन की शुरुआत हुई । डॉक्टर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्र देव, मीनू मसानी सहित उस समय के तमाम नेताओं ने विचार फैलाने के लिए लेख लिखें, पुस्तके लिखी तथा कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया ।
1948 में सोशलिस्ट नेताओं के कांग्रेस से अलग होने के बाद सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा और डॉ लोहिया ने मेनकाइंड अंग्रेजी मासिक और हिंदी में जन के नाम से मासिक पत्र शुरू किया । इस पत्र के संपादक मंडल में उस वक्त के नामी-गिरामी नेता और लेखक थे इसी के साथ तब के प्रमुख पत्रों के संपादक और पत्रकार भी डॉ लोहिया से बेचारीक खुराक लेते रहे यह सिलसिला लगातार चलता रहा ।
जिस तरह से आज देश के बड़े मीडिया घरानों पर प्रमुख पूंजी पतियों का कब्जा है और वे सत्तारूढ़ दल की चापलूसी में ही लगे हुए हैं उसी तरह डॉक्टर लोहिया के जमाने में भी पत्र-पत्रिकाओं पर पूंजीपतियों का कब्जा था और समाजवादी आंदोलन की खबरें बहुत कम छपा करती थी। डॉक्टर लोहिया के संपादक त्व में शुरू हुए जन और मैनकाइंड के अंक कई लोगों के पास आज भी संग्रहित है । जिन्हें देखने पर लगता है कि निश्चित रूप से जिन विषयों को इन पत्रिकाओं में छुआ गया है, वह आज भी मौजू है। डॉक्टर लोहिया के निधन के बाद जन का प्रकाशन बंद हो गया था जिसे दो बार बाद में फिर शुरू किया गया एक बार दिल्ली से तो दूसरी बार लखनऊ से कुछ एक साल यह चला भी लेकिन फिर बंद हो गया ।
राजनारायण के अलावा जॉर्ज फर्नांडिस ऐसे नेता हुए जिन्होंने पत्रिका के जरिए समाजवादी आंदोलन और ट्रेड यूनियन मूवमेंट को मजबूती देने का काम किया । उनके प्रधान संपादक तत्व में दिल्ली से प्रतिपक्ष का प्रकाशन शुरू हुआ जो कई सालों तक चलता रहा ।प्रतिपक्ष के संपादक मंडल में शंभूनाथ सिंहविभाष दास, राधेश्याम मंगोलपुरी, विनोद प्रसादअर्जुन देथा, मानिकचंद सुराणा, अजय सूद, असीम राय ,दिनेश दास गुप्त ,भवानी शंकर होता, रवि राय, अजय अलमस्त, कपिल देव सिंह, विजय नारायण, जया जेटली ,नरेंद्र गुरु, मोहन सिंह, रघु ठाकुर, मुख्तारअनीस, रमेश वर्लियानी , डॉ सुनीलम, अनुराधा बख्शी, बृजेंद्र तिवारी आदि शरीक थे। प्रतिपक्ष ने भी देशभर के समाजवादी कार्यकर्ताओं को खुराक देने का काम किया, साथ ही प्रतिपक्ष में छपने वाले लेखों ने सरकार की गलत नीतियां और उसे पढ़ने वाले दुष्प्रभाव को भी रेखांकित करने का काम किया ।
डॉ लोहिया के बाद मधु लिमये और किशन पटनायक ने भी अपने लेखन के जरिए समाजवादी साहित्य और विचारों को मजबूती देने का काम किया । इसके अलावा सच्चिदानंद सिन्हा, आनंद कुमार, योगेंद्र यादव ,रघु ठाकुर, डॉ सुनीलम सहित देश भर में ऐसे कई नाम हैं जो आज भी अपनी लेखनी के जरिए समाजवादी विचारों को फैलाने का काम कर रहे हैं निश्चित रूप से अगर उनके विचारों को कर्म में उतार दिया जाए तो परिवर्तन को रोका नहीं जा सकेगा ।
आज भी देश में कई समाचार पत्रों पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है और वह समाजवादी विचार को फैलाने का काम कर रहे हैं किशन पटनायक द्वारा शुरू की गई सामयिक वार्ता इंदौर से डॉक्टर लोहिया के जमाने में ही शुरू हुआ चौखंबा ,लोहिया संवाद, लोहिया वाणी,दुखिया वाणी सहित 100 से अधिक मासिक साप्ताहिक पत्र पत्रिकाएं शुरू हुई इनमें से आज भी कई पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही है और कार्यकर्ताओं को वैचारिक खुराक दे रही है ।पत्र-पत्रिकाओं के अलावा देशभर से प्रकाशित समाजवादी साहित्य ने भी कार्यकर्ताओं को वैचारिक मजबूती देने का काम किया हैदराबाद में बद्री पीत्तती जी के निर्देशन और मार्गदर्शन में समाजवादी और लोहिया साहित्य की सैकड़ों पुस्तकें प्रकाशित हुई । जिन्होंने अपने आप में समाजवादी साहित्य को इतना समृद्ध किया कि आज भी देशभर के कार्यकर्ताओं के पास हैदराबाद से प्रकाशित पुस्तकें मिल जाएगी । एक तरह से चारमीनार का यह शहर लोहिया साहित्य का संग्रहालय कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
इसी के साथ नागपुर ,मुंबई ,पुणे ,इलाहाबाद ,दिल्ली ,लखनऊ, भोपाल, पटना, कोलकाता ,इंदौर सहित देश के कई हिस्सों, शहरों में समाजवादी विचार फैलाने के लिए साहित्य प्रकाशन का सिलसिला कई वर्षों से चल रहा है ।कई केंद्र तो आज भी प्रकाशन का काम कर रहे हैं जो स्तुत्य कार्य है । समाजवादी विचार ही देश में वैकल्पिक राजनीति का आधार बनेगा यह तय है और इस विचार को फैलाने मजबूती देने के लिए साहित्य प्रकाशन बहुत जरूरी है। जो नेता और साथी इस काम में लगे हुए हैं वे बधाई के पात्र हैं ।
सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की 86 वी वर्षगांठ पर देशभर में काम कर रहे सभी समाजवादी ग्रुपों और नेताओं को इस बात का भी संकल्प लेना चाहिए कि हमारे विचार को मजबूती देने के लिए वे सब साहित्य प्रकाशन का बीड़ा उठाएं और समसामयिक विषयों पर कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करने के लिए पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखें । स्वयं प्रकाशन करें। पुस्तकों का प्रकाशन निरंतर जारी रहे, और उन्हें लागत मूल्य पर कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने का प्रयास करें। विचार से मजबूत कार्यकर्ता ही समाजवादी आंदोलन का नेतृत्व करेगा और जुल्मी सरकार का मुकाबला भी।
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस पर देशभर के सभी समाजवादी साथियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं
रामस्वरूप मंत्री
प्रदेश अध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) मध्य प्रदेश
Ph: 9425902303