असहिष्‍णुता के विरुद्ध प्रतिरोध में एक स्‍वर यह भी

– नीरज देश में बढती असहिष्‍णुता के खिलाफ कुछ लेखकों–बुदि़्धजीवियों के प्रतिरोध को लेकर बहस खड़ी हो गई है। लेखकों– बुदि़्धजीवियों के समर्थकों के अपने और उनके प्रतिरोध का विरोध करने वालों के अपने तर्क हैं। लेखकों–बुदि़्धजीवियों के प्रतिरोध के तरीके का विरोध करने वाले लेखक–बुदि़धजीवी भी हैं और उनके अपने तर्क हैं। इस मामले […]

गाय से दूध निकालने पर ही क्यों न प्रतिबंध लगा दिया जाए?

गाय से दूध निकालने पर ही क्यों न प्रतिबंध लगा दिया जाए?

– संदीप पाण्डे नरेन्द्र मोदी दुनिया में घूम-घूम कर विदेशी पूंजी आकर्षित करने की कोशिश में लगे हैं। हमारे सामाजिक मानक दुनिया में सबसे खराब देशों की श्रेणी में होने के बावजूद वे भारत की छवि एक उभरते हुए मजबूत आर्थिक एवं सैन्य शक्ति के रूप में बनाने हेतु मेहनत कर रहे हैं। भारत में […]

Another Naga Accord: Now Let’s Make It Work

Another Naga Accord: Now Let’s Make It Work

by Rajindar Sachar The recent accord that was signed between the Centre and the largest faction of the National Socialist Council of Nagaland NSCN (IM) is welcome. The group has given up its demand for a sovereign state outside India. A pact has been signed between Government of India and Naga faction of NSCN (I.M.). […]

स्वतंत्रता दिवस के कर्तव्य: आत्मालोचन का दिन

– प्रेम सिंह (डा. प्रेम सिंह का यह लेख ‘समय संवाद’ स्तंभ के अंतर्गत मासिक पत्रिका ‘युवा संवाद’ के सितंबर 2013 अंक में प्रकाशित हुआ था। आपके पढ़ने के लिए इसे स्वतंत्रता दिवस पर फिर जारी किया गया है।) पिछले स्वतंत्रता दिवस के ‘समय संवाद’ और उसके आगे-पीछे हमने जो लिखा, इस स्वतंत्रता दिवस पर […]

Chandra Shekhar’s Unforgettable Resistance to Globalisation

by Prem Singh Saturday 14 July 2007 As the first phase of liberalisation in India drew to its completion, Chandra Shekhar, on August 9, 2000, the 58th anniversary of the ‘Quit India’ Movement, launched the Vikalp Abhiyan— a protest march against the forces of globalisation. On this occasion he observed: “Our country, forgetting the vision […]