संदीप पाण्डेय | कोरोना वायरस को रोकने नाम पर प्रचार ज़्यादा है. अयोध्या में राम लल्ला को संस्थानान्तरित करने का धार्मिक अनुष्ठान जारी है.
Appeal for Contributions to Lockdown Relief Effort by Socialist Party (India) in Lucknow
The Socialist Party (India), Lucknow District President Salman Raini is involved in relief work to help daily wage workers, homeless on streets, patients or their caretakers outside hospitals.
“मौजूदा संकट से लोहिया विचार ही देश को उबार सकते हैं”: 110 वी लोहिया जयंती पर आयोजित हुई विचार गोष्ठी
इंदौर। समाजवादी चिंतक और देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नेतृत्व देने वाले डॉ राम मनोहर लोहिया की 110वी जयंती सोशलिस्ट पार्टी इंदौर के आवाहन पर मनाई गई। अंजनी नगर में आयोजित विचार गोष्ठी में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि देश इस समय विकट संकट से गुजर रहा है । दुनिया भर […]
जब मुस्लिम महिलाएं मेरी रक्षक बन गईं
संदीप पाण्डेय | यह बहादुरी तो मैंने दूर से देखी और सुनी थी। किंतु 21 मार्च को तो प्रत्यक्ष मैंने महिलाओं की बहादुरी को देखा।
In the Name of Coronavirus
Sandeep Pandey | Steps taken to check the spread of coronavirus appears merely to be a public relations exercise. Otherwise, how is the Parliament still functioning, when all other public institutions have been closed; why are religious activities in temples of Ayodhya or Gorakhpur still continuing?
Socialist Party (India) Condemns BJP’s Bid to Remove the Word ‘Socialism’ From Preamble
The importance of socialism has never been more apparent than now in the midst of a pandemic that is threatening to upend human life as we know it.
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के स्मृति में विशेष
नीरज कुमार | भगत सिंह की यह निश्चित मान्यता थी कि “व्यक्तियों को नष्ट किया जा सकता है, पर क्रांतिकारी विचारों को नष्ट नहीं किया जा सकता।
डॉ॰ राममनोहर लोहिया के जन्मदिवस पर विशेष
नीरज कुमार | डॉ॰ लोहिया का जीवन और चिंतन दोनों एक प्रयोग था । यदि महात्मा गांधी का जीवन सत्य के साथ प्रयोग था तो डॉ॰ लोहिया का जीवन और चिंतन समतामूलक समाज की स्थापना के लिए सामाजिक दर्शन और कार्यक्रमों के साथ एक प्रयोग था ।
कोविड-19 : चार सुझाव
प्रेम सिंह | वायरस का सामाजिक संक्रमण होता है तो हालत भयावह होंगे. विशाल आबादी, नितांत नाकाफी स्वास्थ्य सेवाएं, अस्वच्छ वातावरण, व्यापक पैमाने पर फैली बेरोजगारी, जर्जर अर्थव्यवस्था जैसे कारको के चलते बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं
राजनीति और धर्म
नीरज कुमार | जब तक धर्म संप्रदायवादी, अलगाववादी कट्टरपंथियों के हाथों में रहेगा, इसका गलत इस्तेमाल होता रहेगा । इसलिए धर्म को नकारने कि नहीं बल्कि उसे सहिष्णु रूप में रखने की जरूरत है ।