पिछले 10 साल से नहीं हुआ ऑडिट और वार्षिक प्रतिवेदन भी नहीं सौंपा गया
सोशलिस्ट पार्टी ने पूरे घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की
घोटाले में शामिल है मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के कई बड़े आईएएस अफसर
उन पर हो सकता है 20 से 30 लाख तक का जुर्माना और 2 से 6 साल तक की सजा
इंदौर । मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित बावीस कंपनियों में सैकड़ों करोड़ का घोटाला किया गया है । पिछले 10 से ज्यादा वर्षों से चल रहे इस घोटाले में प्रदेश सरकार के कई सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी सहित मुख्यमंत्री एवं मंत्री भी शामिल हैं। दिल्ली के पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है कि पिछले कई वर्षों से प्रदेश की नवरत्न कंपनियों का तो ऑडिट हुआ है और ना ही वार्षिक रिपोर्ट कंपनी मंत्रालय को सौंपी गई है । सोशलिस्ट पार्टी मध्यप्रदेश ने इस बड़े घोटाले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है तथा सभी दोषी राजनेताओं, बड़े अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही किए जाने का मांग की है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने आज जारी एक बयान में बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने जुलाई 2005 में बावीस से ज्यादा नवरत्न कंपनियां गठित की थी जिसमें प्रमुख रूप से इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन, स्मार्ट सिटी कारपोरेशन, औद्योगिक विकास केंद्र, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, वन विकास निगम ,रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन आदि शामिल है । इन कंपनियों के पिछले कई वर्षों से ना तो ऑडिट हुए हैं, और ना ही कंपनी मंत्रालय को वार्षिक रिपोर्ट भेजी गई है ।
आपने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार में ये कुछ राज्य सरकार के स्वामित्व वाली सरकारी कंपनीज है, जिनके नाम मैं यहाँ लिख रहा हूँ, इन कंपनियों द्वारा अपने शेयर होल्डर को लाभ के पूर्व 20 परसेंट डिविडेंड दिया जाना था । बावीस कंपनियों में सरकार की इक्विटी 1662 . 62 करोड़ है । छह कंपनियों ने तो अपने शेयर होल्डर मध्य प्रदेश सरकार को डिविडेंड दिया है जबकि 16 कंपनियों ने 697 करोड़ 80 लाख रुपए का मुनाफा कमाया केवल वर्ष दो हजार सत्रह अट्ठारह में । लेेेेकिन सरकार को डिविडेंड नहीं दिया ।प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि यह 22 कंपनियां है जिन्होंने ना केवल नियमों का उल्लंघन किया बल्कि करोड़ों रुपए का घोटाला भी किया है ।
- मध्य प्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड
- मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम
- मध्य प्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम जबलपुर
- देश उद्योग केंद्र विकास निगम सागर
- मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन
- मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन
- इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन
- नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट कंपनी
- पीथमपुर ऑटो क्लस्टर
- मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन
- संत रविदास मध्य प्रदेश हस्त शिल्प हथकरघा विकास निगम
- मध्य प्रदेश स्टेट माइनिंग कारपोरेशन
- मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी
- मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी
- मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
- मध्य प्रदेश ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट थे सिलेशन कारपोरेशन
- मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम 18 मध्य प्रदेश स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन
- मध्य प्रदेश होटल कारपोरेशन
- मध्य प्रदेश विक्रम उद्योगपुरी उज्जैन
- मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कारपोरेशन
- मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लार्जेस्ट इन कारपोरेशन
श्री मंत्री ने बताया कि इन 22 कंपनियों में बतौर डायरेक्टर प्रदेश के तमाम बड़े सचिव ,प्रिंसिपल सेक्रेटरी ,चीफ सेक्रेटरी समेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी निदेशक नियुक्त है, और यही लोग जो प्रदेश के सर्वेसर्वा है वो अपनी ही सरकार के बनाये हुए नियम के हिसाब से प्रदेश सरकार को 139.56 करोड़ का डिविडेंड नहीं दे रहे है ?
यदि कंपनीज एक्ट के हिसाब से चले तो कंपनी एक अलग इकाई है और उसके निदेशक गण वहां होने वाली गड़बड़ियों के जवाबदेह है ,दूसरी तरफ राज्य सरकार एक अलग इकाई है ,कानून की परिभाषा में दोनों अलग अलग है जहाँ कंपनीज को डिविडेंड राज्य सरकार को देना है जो कि नहीं दिया गया और प्रदेश सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई गई है।
श्री मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार में कुल 30 कंपनीज वो है जिनका ऑडिट एनुअल रिटर्न पिछले 1 साल से ले कर 14 साल हो चुके है नहीं फाइल किया जा रहा है, इनमे 13 कंपनीज वो है जहाँ प्रदेश सरकार ने इक्विटी ऋण ग्रांट इत्यादि के मद में करीब 8315. 39 करोड़ का निवेश किया हुआ है। यह 8315 करोड़ की रकम आम जनता का पैसा है ,जो कहाँ कैसे खर्च किया जा रहा है ,वो जानने का हक़ प्रदेश की जनता को है ,लेकिन इस सरकार में कही किसी कंपनी में 2 साल, तो कही 4, कही 5 तो कही 10 साल बीत जाने के बाद भी न तो ऑडिट हुआ और न एनुअल रिपोर्ट फाइल की गई और न कंपनी की एजीएम हुई है । 13482. 51 करोड़ की राशि का मिलान नहीं हो रहा है ,होगा भी कैसे जब प्रदेश की 30 सरकारी कंपनीज का ऑडिट नहीं हो रहा है तो हिसाब मिलेगा कैसे सोशलिस्ट पार्टी में पूरे प्रकरण की जांच की मांग करते हुए सवाल किया है कि यदि मुख्यमंत्री और तमाम इन कंपनियों के डायरेक्टर निर्दोष हैं तो आखिर क्यों उन्होंने ऑडिट रिपोर्ट दाखिल नहीं की तथा वार्षिक रिपोर्ट भी दाखिल नहीं की उन्होंने सवाल किया है कि:
1. क्यों 30 सरकारी प्रदेश सरकार स्वामित्व की कम्पनीज का ऑडिट एनुअल रिटर्न्स नहीं भरा जा रहा है ,कई जगह यह 2 से 10 साल तक नहीं भरा गया है ?
2. उक्त सभी कंपनीज के डायरेक्टर्स प्रदेश के आईएएस अधिकारी है जो सचिव ,प्रमुख सचिव ,प्रधान सचिव रैंक के अफसर है ,क्या इन अफसरों को यह नहीं मालूम की हमे इन कंपनीज की ऑडिट और एनुअल रिटर्न्स फाइल करनी चाहिए ?
3 . प्रदेश का वित्त विभाग ,वित्त सचिव ,वित्त मंत्री , मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री उक्त लापरवाही जिसे आप आर्थिक अपराध वाली लापरवाही ,क्यों कर रहे है ?
4. सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी जा चुकी है उसके बावजूद ,यदि कुछ भी नहीं बदला है तो यह मुख्य सचिव और वित्त सचिव समेत मुख्यमंत्री की गलती है
5. केंद्र सरकार का मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स और रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज सवालो के घेरे में है ? उन्होंने अपना दायित्व क्यों नहीं निभाया ? यदि यह कम्पनीज आम व्यापारी की होती तो अब तक बंद कर दी जाती और उनके निदेशकों पर भारी जुर्माना लगता और वो जेल भी जाते, कंपनीज एक्ट में सभी कंपनीज एक समान है ,सरकारी कंपनीज को कोई छूट या विशेषाधिकार हासिल नहीं है ,फिर भी केंद्र सरकार के इस विभाग ने यह लापरवाही क्यों की ??
6 . इन डिफाल्ट कम्पनीज ने क्या केंद्र सरकार को आयकर ,अग्रिम आयकर ,टीडीएस ,जीएसटी का भुगतान किया भी है या नहीं?? इसकी जानकारी बिना ऑडिट और वार्षिक रिटर्न फाइल हुए कैसे पता चलेगी?
7 . केंद्र सरकार का आयकर विभाग भी सवालो के घेरे में है, क्या आयकर विभाग ने कभी यहाँ कोई नोटिस भेजा कोई खोज खबर ली कि यहाँ से टैक्स जमा हुआ या नहीं, ऑडिट एनुअल रिपोर्ट आई या नहीं?
8. जाहिर है रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज से ले कर आयकर विभाग के सैकड़ो लेटर आये हुए होंगे जो इन कम्पनीज के कार्यालय की अलमारियों में रखे होंगे, जिसका कोई जवाब यदि दिया गया है या नहीं दिया तो वो मुख्यमंत्री जी और उनका प्रशासनिक अमला ही बता सकता है
9. इन कम्पनीज में सैकड़ो कर्मचारी कार्यरत होंगे जिनका टीडीएस कटता होगा ,सैकड़ो ठेकेदार होंगे जिनका टीडीएस कटता होगा ,उन्हें रिफंड भी लेना होता होगा ,वो सब चल कैसे रहा है जबकि यहाँ कोई रिटर्न फाइलिंग नहीं हो रही है ?
10. यदि एक मिनट के लिए मान लिया जाए कि टीडीएस और जीएसटी और आयकर सब टाइम से भरा जा रहा है तो सवाल अब भी खड़ा है आपने ऑडिट क्यों नहीं करवाई एनुअल रिटर्न्स फाइल क्यों नहीं किये ?
11. आखिर इन कम्पनीज के हिसाब में वो क्या झोलझाल है जो सरकार छिपाना चाहती है ?
इन्ही सब बिन्दुओ को आधार बना कर पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी ने सीबीआई ,रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज ,मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स से उक्त जानकारी साझा करते हुए उन्हें एक प्रतिवेदन सौंपा है और मांग की है कि यहाँ अविलंब जाँच की जाए , संबंधित डायरेक्टर्स जो प्रदेश सरकार के बड़े आईएएस अधिकारी भी है और खुद मुख्यमंत्री भी है इनमे ,उन पर कम्पनीज एक्ट की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मुकदमा कायम किया जाए , सनद रहे कि इस तरह के मामलात में विभिन्न सेक्शंस का उललंघन हुआ है जिनके लिए हर निदेशक को 20 -30 लाख का जुर्माना और 2 से 6 साल तक की जेल हो सकती है।
सोशलिस्ट पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने कहा है कि इस पूरे मुद्दे को लेकर सोशलिस्ट पार्टी राष्ट्रपति से मांग करती है कि इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और वित्त मंत्री वन मंत्री मुख्यमंत्री सहित जो भी प्रदेश सरकार के बड़े अफसर इस घोटाले में शरीक है उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किए जाए।
रामस्वरूप मंत्री
प्रदेश अध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) मध्य प्रदेश
Ph: 94259023037999952909