साथियों ,
पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से जूझ रहा हैं । भारत में भी कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा हैं । लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित डेली वेज मजदूर, किसान और गरीब हुए हैं । इन सबके बीच बहुत से सामाजिक, राजनीतिक संगठन लगातार इनके मदद में काम कर रहे हैं । कोई खाना पहुंचा रहा हैं । कोई राशन बाँट रहा हैं । कोई पैसा दे रहा हैं । इन संगठनों के अलावा बहुत से लोग व्यक्तिगत काम भी कर रहे हैं । कई लोग तो ऐसे हैं जो व्यक्तिगत स्तर पर शुरू से सेवा भाव में लगे हैं जो किसी संगठन से कम नहीं हैं । कई संगठन ऐसे हैं जो बिल्कुल खामोशी से राशन भी पहुंचा रहे हैं और खाना भी, जो किसी भी बड़े राजनीतिक और सामाजिक संगठन से कम नहीं हैं । सभी धर्म सभी जाती के लोग एक साथ खड़े हैं । भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भी यह एकता बहुत मजबूत रही हैं, उसके बाद आपातकाल के समय यह एकता देखा जा सकता हैं । अब कोरोना संकट के समय भी सब एकजुटता के साथ खड़े हैं अपने असली दुश्मन कोरोना के खिलाफ।
रोजगार की तलाश में बिहार और उत्तर-प्रदेश से महानगर में आने वाले मुख्यरूप से अकुशल मजदूर होते हैं । नये तरह के उद्योगों में उनके लिए जगह नहीं होती । उद्योगों में नये तरह से स्वचालित मशीनों के कारण मानव-श्रम, खासकर अकुशल श्रम की जरूरत बहुत कम हो गयी है । इसलिए ये मजदूर ढुलाई, सड़क, आवासीय निर्माण-कार्य अथवा घरों और दुकानों में चाकरी जैसे काम ही कर पाते हैं । कुछ लोग रिक्शे, रेहड़ी, ठेले आदि छोटी दूरी में मनुष्य और माल की ढुलाई करते हैं । इनकी कोई स्थायी आवासीय व्यवस्था नहीं होती और ये चींटियों की तरह विकसित होते हैं और नगर की व्यवस्था इन्हें कूड़े-कचरे की तरह साफ करती रहती हैं । लेकिन गरीब लोगों की जिंदा रहने की लालसा इतनी प्रबल होती है की वे इन अमानवीय दबावों के बीच एक जगह से विस्थापित होकर दूसरी जगह स्थापित हो जाते हैं । स्वयं महानगरों की व्यवस्था भी अपनी जरूरत के लिए इनसे निजात नहीं पा सकती ।
इसके अलावा नगर के विस्तार और पौश कॉलोनियों के निर्माण के लिए भी बड़ी संख्या में इन मजदूरों की जरूरत होती हैं । जो प्रायः सबसे कम मजदूरी पर काम करने वाले गरीब लोग होते हैं । महानगरों में सम्पन्न लोगों के घरों में घरेलू काम में कम मजदूरी पर काम करने वालों की भी एक बड़ी आबादी होती हैं । ये लोग प्रायः गंदी बस्तियों, झुग्गियों और फूटपाथ पर गुजारा करने को मजबूर होते हैं । रोज कामाते है और रोज खाते हैं । पूरे महानगर को खुशहाल ज़िंदगी देने में इनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं । मुसीबत के समय महानगर इनसे मुंह मोड़ लेता हैं । क्रोना संकट के समय महानगर छोड़ गाँव की तरफ जाने वाले ये गरीब मजदूर हैं । जिनहोने महानगर को साफ सफाइ से लेकर लोगों को अच्छी ज़िंदगी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । आज वो मजबूरी में हैं । घर में बंद है खाने पीने को पैसे नहीं हैं ।
सोशलिस्ट पार्टी जगह जगह पर इनके मदद में जुटी हैं । सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पन्नालाल सुराणा के नेतृत्व में मुंबई में अभी तक 300 विधवा महिलाओं तक राशन पहुंचाया गया हैं । सोशलिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष संदीप पांडे उत्तर प्रदेश में 16, बंगाल में-1 और बिहार के आरा में-1 कम्यूनिटी कीचेन चला रहे हैं, साथ ही राशन पहुंचाने का काम नौजवान साथियों कर रहे हैं । पुणे में डॉ. अभिजीत वैद्य के आरोग्य सेना के नेतृत्व में लगातार कम्यूनिटी कीचेन चलाया जा रहा हैं साथ ही राशन का वितरण भी हो रहा हैं । दिल्ली सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष तहसीन अहमद और सोशलिस्ट युवजन सभा के अध्यक्ष नीरज कुमार देश के अलग-अलग जगहों पर अभी तक 850 परिवारों तक राशन पहुंचा चुके हैं । राशन का एक किट 450 रूपय का हैं, दिल्ली, बिहार, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश के कई स्थानों पर यह राशन किट पहुंचाया गया हैं । गौतम कुमार प्रीतम के नेतृत्व में बिहार के भागलपुर में पिछले 20 दिनों से जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाने का काम चल रहा हैं । बंगाल के अध्यक्ष तरुण बेनर्जी और सागरिका बेनर्जी के नेतृत्व में कम्यूनिटी कीचेन के साथ-साथ राशन पहुंचाने का काम भी चल रहा हैं । मध्यप्रदेश के अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री के नेतृत्व में वहाँ भी लोगों तक राहत सामाग्री पहुंचाने का काम चल रहा हैं । तेलंगाना की महासचिव डॉ. लुबना के नेतृत्व में राशन सामाग्री जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा रहा हैं ।
इसी तरह देश के अलग अलग राज्यों में सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट युवजन सभा के कार्यकर्ता लॉकडाउन के शुरुआत से ही लोगों की मदद में लगे हैं । आप भी आगे आइये और जरूरतमंद लोगों के सहयोग में मदद कीजिये । आप सबकी मदद इन्हें भूख से मरने से रोक सकती हैं । जो लोग भी मदद करना चाहते हैं वो मुझे कॉल कर सकते हैं ।
श्याम गंभीर
प्रमुख महासचिव
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)
Ph: 9818123939