सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए समाज में दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों व आदिवासियों या अन्य वंचित समूहों के बराबरी के अधिकार हेतु संघर्ष करती रहेगी। इसीलिए उसकी तरफ से वर्तमान में चल रहे बिहार विधान सभा चुनावों में बिहपुर विधान सभा से उसने गौतम कुमार प्रीतम को अपना उम्मीदवार बनाया है जो लम्बे समय से यह लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम को कमजोर करने की कोशिशों के खिलाफ देशव्यापी बंध में गौतम कुमार प्रीतम भी जेल गए जो उनकी वंचित तबकों के अधिकारों के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता जाहिर करता है। इसके अलावा हाल ही में गौतम कुमार प्रीतम ने कोविड के कारण हुई तालाबंदी के दौरान गांव गांव पहुंच गरीबों को राहत पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बिहार की राजनीति में सामंती तत्व का दबादबा जारी है। एक तरफ पिछड़ों दलितों की राजनीति के नाम पर परिवारवाद हावी है तो दूसरी तरफ नीतिश कुमार साम्प्रदायिक ताकतों के भरोसे राज्य चला रहे हैं। ऐसे में आम जन के पक्ष में राजनीति की सम्भावना कम ही है।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) आम जन के सशक्तिकरण की राजनीति में विश्वास करती है और जाति-धर्म की राजनीति से हट कर आम इंसान के जीवन को प्रभावित करने वालों मुद्दों को प्राथमिकता देती है।
बिहार में गरीबी का मुख्य कारण सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पूरी तरह से जनता तक न पहुंचना है। इसके लिए भ्रष्टाचार व पूरे तंत्र पर सामंती लोगों की गिरफ्त जिम्मेदार है। सरकारी योजनाओं का लाभ पूरी तरह से जनता को मिले और भीख के रूप में नहीं बल्कि अधिकार के रूप में इसके लिए सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) प्रयास करेगी। खासकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली व महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का प्रभावकारी क्रियान्वयन बहुत जरुरी है क्योंकि कोराना काल ने दिखा दिया कि गरीबी व भुखमरी का सामना करने के लिए ये दो योजनाएं अति महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य दो अन्य क्षेत्र हैं जिनकी गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था के बिना किसी भी समाज की प्रगति सम्भव नहीं है। किंतु सरकारी शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था आज चरमरा रही हैं। समान शिक्षा प्रणाली व समान स्वास्थ्य प्रणाली लागू हो, जिसका उपयोग अभिजात वर्ग के लिए भी करना अनिवार्य किया जाए, तभी इनकी गुणवत्ता में सुधार आएगा।
जिस बड़ी संख्या में बिहार से प्रवासी मजदूर देश के बड़े शहरों या औद्योगिक केन्द्रों में रोजगार की तलाश में जाते ह इसके लिए जरूरी है कि बिहार में लघु, कुटीर व मध्यम उद्योग क्षेत्र मजबूत किया जाए ताकि लोगों को घर के पास ही रोजगार उपलब्ध हो। लेकिन मौलिक बात यह है कि किसानों को उनके उत्पाद का लाभकारी मूल्य मिले तथा खेतीहर मजदूर को सम्मानजनक श्रम मूल्य जिसमें वह अपने परिवार का पूरा खर्च, शिक्षा व स्वास्थ्य शामिल कर, बिना किसी कठिनाई के चला सके।
कोसी की बाढ़ से प्रभावित लोगों को सरकार ने जो वायदा किया था वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। कोसी बाढ़ पीड़ितो की समस्या को नजरअंदाज न किया जाए व नेपाल से वार्ता कर कोसी की बाढ़ का कोई स्थाई समाधन ढूंढ़ा जाए।नीतीश कुमार की सरकार पिछले चुनाव में शराबबंदी के मुद्दे पर जीतकर आई थी किंतु सरकार ने यह काम भी ठीक से नहीं किया। इस बार नीतीश शराबबंदी की बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने या तो मान लिया है कि उनका शराबबंदी का कार्यक्रम सफल रहा अथवा यह मान लिया कि वह शराब को रोक पाने में वह अक्षम हैं। यह तो जनता तय करेगी कि सच क्या है।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) जातिवादी, साम्प्रदायिक, परिवारवादी, सामंती व भ्रष्ट राजनीति का विकल्प प्रस्तुत करने के लिए मैदान में है व जनता से अपेक्षा करती है वह ऐसी ताकत को मजबूत करेगी।
- गौतम कुमार प्रीतम, राष्ट्रीय महासचिव, 9162064070
- पन्नालाल सुराना, राष्ट्रीय अध्यक्ष, 9423734089
- लुबना सर्वथ, महासचिव, तेलंगाना, 9963002403
- संदीप पाण्डेेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, 022 23850827, 0522 22355978
- संचालन: राजीव यादव (रिहाई मंच सामाजिक कार्यकर्ता)