किसान आत्महत्या मुक्त प्रदेश बनाने की जरूरत
किसान मजदूर विरोधी कानून बनाने वालों को सबक सिखाए, 28 विधानसभा क्षेत्रों के मजदूर और किसान
इंदौर। आज किसान संघर्ष समिति की 276 वी किसान पंचायत किसान संघर्ष समिति के मालवा निमाड़ क्षेत्र संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री रामस्वरूप मंत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुई । श्री रामस्वरूप मंत्री ने किसान पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार हो या केंद्र की मोदी सरकार दोनों ही सरकारों से किसान आचीज आ चुके हैं । मध्य प्रदेश के कई जिलों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कर्ज से मुक्ति मिल नहीं रही है, उल्टे फसल खराब होने के कारण किसानों के सामने जीवन मरण का प्रश्न है । ऐसे में सरकार केवल झूठे वादे कर रही है । फसल बीमा की राशि भी मिल नहीं रही है । किसान अफसरशाही और लालफीताशाही का शिकार हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि किसान संघर्ष समिति और अन्य किसान संगठन व्यापक रूप से किसान विरोधी नीतियों का पूरजोर तरीकें से विरोध करें , ताकि मध्यप्रदेश में भी हरियाणा और पंजाब की तरह तेज आंदोलन हो और इस किसान विरोधी सरकार को जमींदोज किया जा सके।
किसान पंचायत को संबोधित करते हुए किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि 14 अक्टूबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आव्हान पर देश भर में एमएसपी अधिकार दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश कि 28 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले चुनाव में किसानों मजदूरों को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए किसान मजदूर विरोधी कानून के विरोध में वोट देकर भाजपा को सबक सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार जब एमएसपी और मंडी यथावत रखने की बात कह रही है तब पूरे प्रदेश में 1925 रू की जगह 1200 से 1500 सौ रुपए प्रति क्विंटल गेहूं बिक रहा है तथा मक्का 1760 की जगह 700रू. प्रति क्विंटल बिक रहा है । यदि किसानों ने सतत आंदोलन करने में ढिलाई बरती तो किसान,किसानी और गांव का खात्मा निश्चित है।
छिंदवाड़ा से किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष एड.आराधना भार्गव ने कहा कि किसानों के सामने समस्याएं ही समस्याएं हैं। फसल खराब होने से उसके पास पैसा नहीं है और खाद बीज की भी समस्या आ रही है। उनका कहना है कि शिवराज सरकार किसानों को वोट बैंक मानकर ऐसी ऐसी घोषणाएं कर रही है जिनका पूरे मध्यप्रदेश के किसानों से कोई लेना देना नहीं है। उपचुनाव में फायदे के लिए बाजरे का समर्थन मूल्य घोषित कर दिया गया है, जबकि मक्का और सोयाबीन का नहीं । उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार किसानों को वोट बैंक ना समझे, किसान देश की रीढ़ है ।
कटनी से किसंस के उपाध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य डॉ एके खान ने बताया कि कटनी के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के नाम से फर्जी तरीक़े से केसीसी ऋण बैंकों से लिया गया है जिसकी वसूली अब किसानों से की जा रही है। उड़द की चार हजार तथा गेंहूँ की एक हजार रुपये प्रति क्विंटल से खरीद कर किसानों से लूट की जा रही है। रायसेन के किसंस के प्रदेश सचिव श्रीराम सेन ने बैठक में बोलते हुए कहा कि किसान आत्महत्या लगातार बढ़ रही है कल ही रायसेन जिले के सुनहरा गांव के कृष्ण मुरारी लोधी ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। रायसेन जिले में हुई इस घटना के खिलाफ किसान संघर्ष समिति द्वारा कल ज्ञापन देकर परेशान किसान परिवार को पचास लाख रुपए मुआवजा एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की मांग की जाएगी ।श्री राम सेन का कहना था कि सरकार भ्रम फैला रही है और इस भ्रम को तोड़कर उपचुनाव में मुद्दा बनाया जाना चाहिए ।
विदिशा से किसंस के जिलाध्यक्ष राजेश तामेश्वरी ने कहा कि पूरे जिले में फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है और खेत को वापस बोवनी लायक बनाए जाने के लिए जो मजदूरी लगी वह भी नहीं मिली। 2 क्विंटल सोयाबीन का बीज बोने वाले किसानों को उपज में एक क्वीटल सोयाबीन भी नहीं मिला वहीं सरकार झूठी घोषणाएं कर हवाई वादे कर किसानों को गुमराह कर रही है । आर्थिक तंगी से बदहाल किसान आत्महत्या को मजबूर है जिसकी जिम्मेदार सरकार है।
रीवा से किसंस के इंद्रजीत सिंह के कहा कि किसान कल्याण योजना में भेदभाव पूर्ण तरीके से गिने चुने लोगों के खाते में दो-दो हजार रूपये की राशि ट्रांसफर की गई हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी में पहली बार किसान की उपज के दाम में इतनी गिरावट आई हैं। 1925 रू प्रति क्विंटल का गेंहू 900-1000 रू में बेचना पड़ रहा है। रीवा से जिलाध्यक्ष त्रिनेत्र शुक्ला ने कहा कि उनके गांव की आबादी 18 सौ है जहां सिर्फ पांच लोगों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिला है। झाबुआ जिले से किसंस के प्रदेश सचिव राजेश बैरागी ने कहा कि पंजाब हरियाणा के किसानों द्वारा किसान बिलों का पूरजोर तरीके से विरोध किया जा रहा है इन बिलों का विरोध मध्यप्रदेश में न हो इससे बचने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को चुप कराने के उद्देश्य से किसान कल्याण योजना के तहत चार हजार रुपये प्रत्येक किसान के खाते में डालने की झुठी घोषणा की है। 10प्रतिशत किसानों के भी खाते में चार हजार रुपये नहीं आए है। अब पोर्टल भी बंद कर दिया गया है।किसान अपना काम छोड़कर पटवारी एवं तहसील के चक्कर लगा रहे है ।पोर्टल नहीं चलने का बहाना बनाया जा रहा है जिससे किसानों में भारी रोष व्याप्त है। मुलताई से किसान संघर्ष समिति के महामंत्री भागवत परिहार ने कहा कि सरकार सुनियोजित ढंग से किसान को कार्पोरेट का गुलाम बनाना चाहती है। किसानों को इतना मजबूर कर दिया जाए की वह स्वयं अपने आपको कार्पोरेट के हवाले कर दे।
बैठक में योगेश तिवारी, डॉ नेपाल सिंह, गोपाल डामोर, लीलाधर चौधरी, डॉ राजकुमार सनोडिया आदि पदाधिकारियों के भी विचार व्यक्त किये।
भागवत परिहार
किसंस कार्यालय प्रभारी
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