सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि 17 जून से सभी दलों के कार्यकर्ता शहर की विभिन्न बस्तियों मोहल्लों और कालोनियों में जाएंगे तथा लोगों की समस्याएं सुनेंगे। उन को हल करने की कोशिश करेंगे तथा मेहनतकश, गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। यह अभियान 3 जुलाई तक चलेगा
Update on Covid-19 Relief Efforts by Socialist Party (India)
With the leftover money from the donations received for covid relief efforts, a plan is to be devised to provide an impetus to certain marginalised communities. Three such communities were identified in Lucknow: (i) Stonecutters (ii) Dholak Makers (iii) Chikan hand work artisans. These would be given interest free credit for pursuing their businesses.
निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित
सुरभि अग्रवाल, शोभा शुक्ल, बाॅबी रमाकांत व संदीप पाण्डेय | जो लोग दैनिक मजदूरी कर के अपना जीवन यापन करते हैं, सरकार उनकी वास्तविकता से कितनी अनभिज्ञ है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार द्वारा घोषित तालाबंदी ने समाज के इस बड़े वर्ग के दृष्टिकोण को मद्देनजर लिया ही नहीं। इनमें से करोड़ों की तादाद में लोग अपने घरों से दूर रहते हैं और दैनिक आय पर ही निर्भर थे।
राजनीतिक दलों का शासन-प्रशासन पर आरोप: वायरस की आड़ में ओर बढ़ा भ्र्ष्टाचार और दमन
भाकपा, माकपा, समाजवादी पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय महिला फेडरेशन (मध्य प्रदेश), आज़ादी बचाओ आंदोलन ने संभागायुक्त को दिया ज्ञापन, लॉकडाउन के बाद उपजी समस्याओं एवं मज़दूरों के लिए कीं अनेक माँगें
वामपंथी समाजवादी दलों ने की सरकार से मांग : मृतक प्रवासी मजदूरों के परिजनों को ₹500000 मुआवजा दे सरकार
शहर के वामपंथी समाजवादी दलों के कार्यकर्ताओं ने कोरोना संकट को लेकर आयोजित बैठक में कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते देश के करोड़ों मजदूरों को आफत उठाना पड़ी है, और 1000 से ज्यादा मजदूर घर पहुंचने की जद्दोजहद में अपनी जान गवा चुके हैं । इसके लिए पूर्ण रूप से केंद्र और राज्य की सरकार जिम्मेदार है, इसलिए सरकार को जो भी मजदूर राह चलते मौत के शिकार हुए हैं उन्हें तत्काल ₹500000 मुआवजा दिया जाना चाहिए ।
सरकार के कोरोना वायरस महामारी से निपटने में अक्षमता के लिए उच्च-पदों पर आसीन लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए
जैसे-जैसे पिछले 3 माह बीते हैं यह उतना ही स्पष्ट होता जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में सरकार लगभग हर मापदण्ड पर असफल रही है. न केवल सरकार, कोरोनावायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते फैलाव को रोकने में असमर्थ रही है बल्कि उसके ही कारण देश के अधिकाँश लोगों को संभवतः सबसे बड़ी अमानवीय त्रासदी झेलनी पड़ी है.
The Government’s Mishandling Of The Coronavirus Pandemic Must Have Consequences For Those In Its Highest Offices
These oversights indicate the extent to which the powerful are disconnected from the ground realities of our country and point to the dire need for the decentralisation of power and much greater representation of people from marginalised sections of society in public offices.
Let Not Education Suffer
Pannalal Surana | Serious efforts will have to be made to restart the schools at least by the last week of June. There are problems and difficulties. In urban areas, classrooms are generally overcrowded. If the time-table of last year is to be followed, social distancing will come to a nought. Some persons have suggested that schools be held in three shifts after trifurcation the class strength.
How Can Privatisation and Foreign Direct Investment Possibly Make Us a Self-Reliant Nation?
Dr Sandeep Pandey, Surabhi Agarwal, Bobby Ramakant | Self-reliance can only be achieved through policy changes which deprioritise the interests of multinational corporations and adopt a people-centric, decentralised approach to industrialisation that improves local economies, drives job growth and supports public research and innovation.
Letter to Chief Justice, Hyderbad: Lacs of Unregistered Migrants Leaving and Returning to Telangana not Registered Under Inter-State Migrant Workers’ Act
We carry in our heart the guilt of little 12 yr old Jamlo who died out of exhaustion even before she reached her parents in Chattisgarh. It took days for her group to cross Telangana. Why wasn’t she and her group stopped and honoured with redressal of their needs?