भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के 99% मामले दर्ज नहीं होते। जो मामले दर्ज होते हैं और अंततः सुनवाई तक पहुंचते हैं, उनमें 30% से कम मामलों में सजा होती है। हाशिए पर रहने वाले वर्गों की महिलाएं विशेष रूप से हिंसा से प्रभावित और न्याय से वंचित होती हैं। भारत की 30% महिलाओं ने घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसके अलावा अधिकांश मामले दर्ज ही नहीं किए जाते हैं। वैवाहिक हिंसा की शिकार लगभग 90% महिलाएँ मदद भी नहीं मांगतीं। सरकार ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने से इनकार कर दिया यह दावा करते हुए कि इसका वैवाहिक संस्था पर प्रभाव पड़ेगा।
लैंगिक असमानता बढ़ रही है। दक्षिणपंथी विचारधारा द्वारा नारीवाद पर लगातार हमला किया जा रहा है। महिलाओं के प्रति द्वेष, नफरत, और हिंसा व्यापक हुई है।
प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा दर्शनशास्त्र की प्रोफेसर और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति हैं। वह साझी दुनिया की संस्थापक हैं और पांच दशक से सामाजिक कार्यकर्ता रहीं हैं। वह सिद्दीकी कप्पन के लिए जमानतदार बनीं और बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के खिलाफ भी लड़ीं।