प्रेस विज्ञप्ति
दिनांकः 22 अप्रैल, 2018
न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर को क्रांतिकारी श्रद्धांजलि
राजिन्दर सच्चर छात्र जीवन में ही समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हुए एवं आखिर तक उससे प्रतिबद्ध रहे। आप लाहौर में सोशलिस्ट युवजन सभा में सक्रिय रहे। पिता भीमसेन सच्चर स्वतंत्र भारत में दो कार्यकाल पंजाब के पहले मुख्यमंत्री रहे किंतु फिर भी आप कभी सत्ता के नजदीक नहीं गए।
दिल्ली न्यायलय में प्रखर न्यायाधीश रहे और अंततः मुख्य न्यायाधीश भी बने। न्यायमूर्ति एम.एन. वेकटचलैया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से राजिन्दर सच्चर को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की समीक्षा समिति का सदस्य बनाया जिसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके ए.एम. अहमदी थे। इस समिति में राजिन्दर सच्चर का महत्वपूर्ण योगदान रहा लेकिन दुर्भाग्य से इसकी सिफारिशें कभी लागू नहीं की गईं।
राजिन्दर सच्चर ने सर्वोच्च न्यायालय में आतंकवादी गतिविधियां निरोधक अधिनियम के दुरूपयोग की वजह से ऐसे काले कानूनों के खिलाफ वकालत की लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस रहा कि एक काले कानून को हटा कर उसे दूसरे रूप में वापस ले आया गया। राजिन्दर सच्चर जिंदगी भर मानवाधिकार संरक्षण हेतु लड़ते रहे एवं जय प्रकाश नारायण द्वारा स्थापित पी.यू.सी.एल. में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मनमोहन सिंह सरकार ने राजिन्दर सच्चर की अध्यक्षता में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करने हेतु एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया जो सच्चर समिति के नाम से मशहूर हुई। दुर्भाग्य यह है कि इसकी भी ज्यादातर सिफारिशों को केन्द्र व राज्य सरकारों ने नजरअंदाज कर दिया।
राजिन्दर सच्च्र जीवन के अंतिम दिनों तक सक्रिय रहे। 2011 में उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) को पुनर्जीवित किया और दो वर्ष पहले लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए।
जिंदगी भर समाज में अन्याय, अत्याचार, गैर-बराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले राजिन्दर सच्चर अब हमारे बीच नहीं किंतु हम समाजवादी विचार को मानने वाले व्यक्ति व संगठन उनकी विचारधारा व संकल्प को जिंदा रखने का वचन लेकर उनको क्रांतिकारी श्रद्धांजलि देते हैं।
गिरीश कुमार पाण्डेय, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया), 9415402311, उमा शंकर मिश्र, हिन्द मजदूर सभा, 9839129612, राजीव यादव, रिहाई मंच, 9452800752, राम किशोर, पी.यू.सी.एल., 9452242237