प्रेस विज्ञप्ति
दिनांकः 30 सितम्बर, 2018
एक साधू को मरने के लिए छोड़ दिया है तथाकथित हिंदुत्ववादी सरकार ने
स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जो पहले भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान कानपुर में प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल के नाम से सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं गंगा के संरक्षण हेतु मांग को लेकर आज मातृ सदन, हरिद्वार में 101 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। 9 अक्टूबर, 2018, नवरात्र के पहले दिन, से उन्होंने पानी छोड़ने का भी संकल्प लिया हुआ है। उमा भारती आकर स्वामी सानंद मिल चुकी हैं व नितिन गडकरी पत्र लिख चुके हैं। किंतु भारतीय जनता पार्टी सरकार जो गंगा सफाई पर रु. 7,000 करोड़ से ऊपर खर्च कर चुकी है, जिसके बावजूद गंगा पहले से गंदी हुई है, की रुचि सिर्फ सीवेज ट्रीटमेण्ट संयंत्रों व रिवर फ्रंट, जिसका सफाई से कोई लेना देना नहीं है, के निर्माण में है। उत्तराखण्ड में चार धाम परियोजना के तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ को चार लेन राजमार्ग से जोड़ा जा रहा है। यह सर्वविदित तथ्य है कि निर्माण की परियोजना में खूब भ्रष्टाचार होता है। भाजपा की सरकार में भी भ्रष्टाचार का जबरदस्त बोलबाला है। पहले नेता, अफसर व ठेकेदार भ्रष्टाचार के पैसे की बंदरबांट करते थे। अब उसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों का भी हिस्सा है। उ.प्र. के पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने जब यह आरोप लगाया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया।
स्वामी सानंद की मांग है कि गंगा अविरल व निर्मल बनी रहे। यानी गंगा में किसी भी शहर का गंदा पानी (सीवेज) व किसी भी किस्म का औद्योगिक कचरा न डाला जाय। इससे गंगा निर्मल बन सकती है। इसी तरह गंगा पर कोइ भी बांध न बनाने से गंगा की अविरलता भी बनी रहेगी। किंतु क्या नितिन गडकरी गंगा पर होने वाले निर्माणों को रोकने का निर्णय ले सकते हैं? ज्ञात हो कि पिछली सरकार में जयराम रमेश जब पर्यावरण मंत्री थे तो स्वामी सानंद ने अनशन करके भागीरथी के पहले 100 कि.मी. को पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करवा लिया था। वही काम अब वे पूरी गंगा की लम्बाई के लिए करवाना चाहते हैं।
स्वामी सानंद को सरकार ने गंगा पर कानून बनाने के लिए एक मसौदा दिया है। किंतु स्वामी सानंद के अनुसार इसमें कई कमियां हैं। जैसे यह मसौदा गंगा के विशेष चरित्र, जिसकी वजह से उसका पानी कभी सड़ता नहीं, की बात नहीं करता। वह गंगा और अन्य नदियों में कोई भेद नहीं करता। स्वामी सानंद का मानना है कि शुरुआत गंगा के विशेष चरित्र को मान कर करनी होगी। नदी के दोनों तरफ के 1000 के.मी. क्षेत्र कर संरक्षण करना होगा। यह काम सरकार द्वारा प्रस्तावित गंगा सुरक्षा कोर से नहीं बल्कि गंगा के प्रति संवेदनशील लोगों से कराना चाहिए।
संजय सिंह
सांसद, राज्य सभा (आम आदमी पार्टी) सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)