आज हम ऐसी वैश्विक महामारी के दौर से गुजर रहे हैं जिसका जल्दी अंत नजर नहीं आ रहा है। कोविड ने स्वास्थ के साथ साथ आम जन जीवन को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। बड़े पैमाने पर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है जिसस पहले से कमजोर स्वास्थ व्यवस्था अब पूरी तरह चरमरा गई है। ऐसी परिस्थिति में देश के हर नागरिक को अपने साथी देशवासी की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
हम एक नागरिक के तौर पर और एक राजनीतिक दल के रूप में जरूरतमंद लोगों की सहायता करके अपने दायित्वों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
पिछले साल 2020 में , हमने लॉकडाउन के दौरान , विस्थापित मजदूरों के लिए, जिनका काम बंद हो गया था और वो शहरों में फंस गए थे ,के लिए तीन प्रदेशों, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल में 23 सामुदायिक रसोईयां चलायी गईं।
इस साल , 2021 में कोविड की दूसरी लहर में हमने फिर से लोगों की मदद करने के अपने प्रयास शुरू कर दिये हैं। इस साल शुरू कामों की सूची इस प्रकार है –
- 680 परिवारों को लखनऊ में और 100 परिवारों को मुरादाबाद में राशन के पैकेटों का वितरण किया गया।
- मरीजों को ऑक्सीजन सिलेडर से मदद की गई । लखनऊ , कानपुर , सीतापुर और उन्नाव में बीस लोगों को इन सिलिंडर से मदद मिली। इनमे 11 दस लीटर वाले सिलेडर थे और 3 बड़े जंबो साइज सिलिडर थे।
- फोन द्वारा मरीजों को डॉक्टरी सलाह (teleconsultation) की सेवा दी जा रही है जिसमे 8 डॉक्टर स्वेच्छा से सहयोग कर रहे हैं और इसका ,अब तक 105 से ज्यादा लोगों ने लाभ उठाया है।
- कार्यकर्ताओं को 70 ऑक्सीमीटर और 60 थर्मल स्कैनर उपलब्ध कराए गए ताकि वे अपने क्षेत्रों में कोविड के मामलों की पहचान कर सकें।
- कार्यकर्ताओं को विटामिन की गोलियां और संबंधित दवाये उपलब्ध कराई गई जिसे वे फोन सेवा से डाक्टर की सलाह के उपरांत मरीज को दे सकें।
- 8000 हाथ से बने मास्क का बस्तियों में वितरण किया गया है।
- विभिन्न शहरों में 22 ऑक्सीजन कंसट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं जो इस प्रकार हैं – उत्तर प्रदेश के गोंडा (2), कन्नौज,आजमगढ़, प्रतापगढ़ , कानपुर (2), वाराणसी (2), हरदोई , सीतापुर, बाराबंकी, उन्नाव, गोरखपुर, बस्ती , मुरादाबाद, लखनऊ, चंदौली(2), लखीमपुर , बलिया जिले में और प० बंगाल में नाडिया। आगे और जिलों के ग्रामीण अंचलों में “घर पर आइसोलेशन” केंद्रों पर मरीजों के लिए और कंसट्रेटर, दवा और डॉक्टर की सलाह ( फ़ोन पर) उपलब्ध कराए जाने का प्रयास हो रहा है।
यद्यपि जैसे जैसे महामारी की तीव्रता घट रही है लोगों को स्वास्थ सुविधाओं से ज्यादा खाने पीने की व्यवस्था कर पाना मुश्किल हो रहा है, विशेष रूप से जो दैनिक मजदूरी और छोटे रोजगार करने वाले जिनकी कमाई लॉक डाउन के कारण बंद हो गई है। इसलिए पिछले साल की तरह हम दोबारा से सामुदायिक रसोइयों को शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं।
- सलमान रैनी, अध्यक्ष (लखनऊ), सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) | 9335281976
- डॉ संदीप पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया) | 0522 235 5978