प्रेस विज्ञप्ति | २८ सितम्बर २०२१
वर्धा राष्ट्रीय अधिवेशन में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के २०२१-२०२३ के पदाधिकारी निर्वाचित
सितम्बर २०२१ में महाराष्ट्र के वर्धा में सम्पन्न हुए सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय अधिवेशन में, साम्प्रदायिक फ़ासिवाद के ख़िलाफ़, समाजवादी लोकतांत्रिक शक्तियों के एकजुट होने का आह्वान हुआ। वर्तमान में, न सिर्फ़ हमारे सामवैधानिक मूल्यों का दरकिनार किया जा रहा है बल्कि लोकतांत्रिक और धर्म-निरपेक्ष मूल्यों का भी पतन हो रहा है। इसीलिए यदि हमारे सामवैधानिक मूल्यों को बचाना है और उन्हें सही मायनों में हक़ीक़त में परिवर्तित करना है तो भारतीय जनता पार्टी जैसी साम्प्रदायिक फ़ासिवादी ताक़तों के बनाम एक देश व्यापी विकल्प मज़बूती के साथ खड़ा करना होगा। इसी दिशा में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) पूर्ण समर्पण के साथ प्रयासरत है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय अधिवेशन में, विकास के हर मापदंड में मोदी सरकार की असफलता पर गहरी चिंता व्यक्त की। मोदी सरकार कोविड महामारी की रोकधाम में भी बेहद असफल रही है और सरकार की असंतोषजनक तैयारी और अकुशल प्रबंधन के कारणवश जनता को अनेक प्रकार की बड़ी कष्टदायक मानव त्रासदी झेलनी पड़ी है। सरकारी असफलता के कारण ही अत्यंत तीव्र आर्थिक मंदी और ऊपर से बढ़ती महंगाई का प्रकोप भी जनता झेल रही है, बेरोज़गारी और खाद्य-असुरक्षा दस गुणा बढ़ चुकी है। अमीर और गरीब के मध्य जो ग़ैर बराबरी थी वह महामारी के दौरान और अधिक बढ़ी, चंद उद्योगपति अधिक अमीर हुए और अधिकांश जनता ग़रीबी में धंसी।
विश्व बैंक के आँकड़े देखें तो २०२० में कोविड के कारण हुई आर्थिक मंदी के चलते, दुनिया में सबसे ज़्यादा नवजात बच्चों की मृत्यु भारत में हुईं हैं (२६७,००० बच्चों में से ९९,६४२ भारत में मृत हुए)। नवजात बच्चों का मृत्यु दर ७% बढ़ गया। राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, २०२१ के ८ महीनों में, महिला के ख़िलाफ़ अपराध की शिकायतें ४६% बढ़ गयीं (इनमें से आधी से ज़्यादा शिकायतें भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश से आयी थीं)।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय अधिवेशन में यह माँग पुरज़ोर रूप से उठी कि ज़रूरी सरकारी सेवाएँ मज़बूत हों, सहकारिता वर्ग सशक्त किया जाए और नयी आर्थिक नीति बनायी जाए जिससे कि आर्थिक और अन्य संसाधनों को सभी के साथ, सामाजिक न्याय के अनुरूप बराबरी से साझा किया जा सके।
यह कितनी विडम्बना है कि मोदी सरकार एक ओर तो गंगा की संरक्षा का ढोल पीटती है पर दूसरी ओर यह सरकार बिलकुल समवेदनहीन है उन लोगों के प्रति जो अटूट निष्ठा के साथ गंगा बचाने के लिए समर्पित हैं। मैत्री सदन के साधु अनेक सालों से गंगा की अविरलता और निर्मलता बचाने के लिए निरंतर माँग कर रहे हैं और अनेक उपवास कर चुके हैं जिसमें कुछ का जीवन भी आहुति चढ़ गया – पर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया कि गंगा को बचाने के लिए उनकी माँग पूरी की जा सके। शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इन्स्टिटूट की अगस्त २०२१ की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण भारत की ४०% जनता की औसत सम्भावित जीवन आयु ९ साल कम हो गयी है। वायु में कैन्सर उत्पन्न करने वाले कणिका तत्व, पूरी दुनिया में सबसे अधिक मात्रा में भारत में हैं पर सरकार पर्यावरण बचाने के बजाय (उद्योग वर्ग को लाभान्वित करने के लिए) जो पहले से हमारे देश में क़ानूनी प्रावधान थे उन्हें भी कमजोर करने की दिशा में बढ़ रही है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय अधिवेशन ने माँग की कि किसान विरोधी सभी ३ क़ानून तुरंत सरकार वापस ले। चंद बड़े उद्योग को लाभ पहुँचाने के लिए, मोदी सरकार इन किसान विरोधी क़ानूनों को लागू करने के लिए अड़ी हुई है पर लाखों करोड़ों किसान का हित नहीं सर्वोपरि रख रही। भारत में हमारी खाद्य नीति ऐसी होनी चाहिए जिसके केंद्र में खाद्य संप्रभुता और सामाजिक न्याय हो जिससे कि भू-अधिकार उसी का हो जो खेती-मजदूरी करे। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय अधिवेशन ने सर्व सहमति से माँग की कि उद्योग द्वारा प्रचारित फ़ॉर्टिफ़ायड खाद्य उत्पाद (fortified food) पर सरकार रोक लगाए, और इसके बजाए स्थानीय पौष्टिक विकल्प को बढ़ावा दे।
सरकारी सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगनी अनिवार्य है। सबके लिए समान शिक्षा या सबके लिए समान स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना कैसे पूरा होगा जब सरकार निजीकरण और बेहिसाब मुनाफ़ाख़ोरी की खुली छूट देगी?
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित अन्य प्रस्ताव इस प्रकार हैं:
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* जैसा कि पंचायती प्रशासनिक समितियों में होता है, वैसे ही राज्य विधान सभा और राष्ट्रीय संसद में भी, महिलाओं के लिए ५०% आरक्षण लागू किया जाए।
* लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोता पटेल को हटाया जाए और उनके द्वारा ज़बरदस्ती लागू किए गए सभी ‘बदलाव’ पर तुरंत रोक लगे।
* व्यापक भू-सुधार क़ानून को लागू किया जाए जिससे कि भू-अधिकार, श्रमिक और किसान-मज़दूर का हो और कोई भी बेघर न रहे।
* भूमि, और खेती-बाग़ान सब पर ऊपरी अधिकतम सीमा निर्धारित की जाए और ऊपरी अधिकतम आय भी तय हो जिससे कि डॉ राम मनोहर लोहिया के बताए हुए सिद्धांत (सबसे अधिक और कम आय में १:१० अनुपात से अधिक अंतर न हो) का क़ानूनी अनुपालन हो।
* राजनीति में गुंडागर्दी और काले धन को बेमतलब करने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी चुनाव लड़ रहे लोगों का सारा खर्च सरकार उठाए, और हर चुनाव लड़ने वाली प्रत्याशी को प्रतिनिधित्व वोट के आधार पर चयनित किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन हटायी जाएँ और चुनाव काग़ज़ वाले वोट डाल कर हों जैसे कि हर विकसित देश में होता है। सरकारी नीतियाँ जो चुनाव में काले धन, भ्रष्टाचार आदि को बढ़ावा देती हैं जैसे कि इलेक्टोरल बॉंड आदि, उनको तुरंत ख़त्म किया जाए।
* ४ लेबर कोड वापस लिए जाएँ। उद्योग हित नहीं, बल्कि सभी श्रमिकों के अधिकार और हित को केंद्र में रख कर, सारे श्रम क़ानून मज़बूत किए जाएँ।
* आज़ाद तिब्बत के संघर्ष को सरकार पूरा समर्थन दे और संयुक्त राष्ट्र में, पैलेस्टायन की तरह तिब्बत को भी अब्ज़र्वर का दर्जा देने की माँग का समर्थन करे।
* सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) माँग करती है कि नागालैंड सम्बंधित लम्बे समय से चलते हुए विवाद को समाप्त करने के संदर्भ में, नैशनल सोशलिस्ट काउन्सिल ओफ़ नागालैंड (आईएसएसी-मुईवह) और सरकार के मध्य हस्ताक्षरित २०१५ के फ़्रेम्वर्क अग्रीमेंट का, सरकार मान रखें।
* सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) म्यांमार में चल रहे जनता के संघर्ष का समर्थन करती है और वहाँ लोकतंत्र को स्थापित करने की माँग करती है।
* सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और बच्चों के अधिकार के समर्थन में है, और वैश्विक अपील करती है कि तालिबान सरकार के साथ मिल कर अफ़ग़ानिस्तान में लोकतंत्र स्थापित हो।
२०२१-२०२३ तक निर्वाचित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के पदाधिकारी:
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* राष्ट्रीय अध्यक्ष: पूर्व सांसद और अधिवक्ता थमपन थामस
* राष्ट्रीय उपाध्यक्ष:
– राम स्वरूप मंत्री (मध्य प्रदेश)
– अधिवक्ता एस राजसेखरन नायर (केरल)
– एस नूरल अमीन (तेलंगाना)
– गौतम कुमार प्रीतम (बिहार)
* राष्ट्रीय महासचिव:
– डॉ संदीप पांडेय
– अधिवक्ता जया विंध्याला (तेलंगाना)
– हरिंदर मनशहिया (पंजाब)
* राष्ट्रीय सचिव:
– फ़ैसल खान (दिल्ली)
– डॉ पीहु परदेसी (महाराष्ट्र)
* कोषाध्यक्ष: रविंद्र (उत्तर प्रदेश)
* राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति:
– वीजेंद्र कुमार (बिहार)
– एमए बेग (तेलंगाना)
– बंदना पांडेय (दिल्ली)
– डॉ शुचिता कुमार (हरियाणा)
– जगदीश तिरोडकर (महाराष्ट्र)
– सुरेखा अदम (महाराष्ट्र)
– जयंती पंचाल (गुजरात)
– ज्योतिन्द्र एन यादव (गुजरात)
– सागरिका बनर्जी (पश्चिम बंगाल)
– पुखरामबाम लमज़िंगबा ख़ुमान (मणिपुर)
केंद्रीय संसदीय बोर्ड अध्यक्ष: अधिवक्ता मो० शोएब (उत्तर प्रदेश)
स्थान: सेवाग्राम