15 जून 2020 को “नागालैंड में भरत गाँधी की सुरक्षा खतरे में” विषय पर, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रेस वार्ता को इन वक्ताओं ने संबोधित किया: मनोज झा, सांसद (राष्ट्रीय जनता दल), पंकज पुष्कर, पूर्व विधायक (आम आदमी पार्टी), शिवाकांत गोरखपुरी सचिव वोटर्स इंटरनेशनल पार्टी, डॉ त्रिभुवानेश यादव (भरत गाँधी के भाई), अक्षय कुमार, शिव नारायण शर्मा, डॉ संदीप पाण्डेय, उपाध्यक्ष सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), एवं सञ्चालन किया वरिष्ठ पत्रकार और संस्थापक-संपादक द पब्लिक इंडिया – आनंद वर्धन सिंह ने.
भारत गांधी ने कई किताबें लिखी हैं जिनमें ’लोकतंत्र की पुनर्खोज’ भी शामिल है। उनकी एक पुस्तिका ’वोटरशिप लाओ, गरीबी हटाओ’ के सात संस्करण छप चुके हैं। वे वोटर्स पार्टी इण्टरनेशनल के नेता हैं और जौनपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वे रुपए 6,000 (2016 की कीमतों के आधार पर) प्रति माह हरेक मतदाता को वोटरशिप या पेंशन की मांग करने के लिए जाने जाते हैं। उनका कहना है कि जैसे विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका में सेवा करने वालों को वेतन मिलता है उसी तरह मतकर्ता को भी लोकतंत्र के संचालन के लिए पैसा मिलना चाहिए। कई अर्थशास्त्रियों व राजनीतिक दलों जैसे कांग्रेस पार्टी ने भी न्यूनतम मौलिक आय की वकालत की है हलांकि वह सबसे गरीब 20 प्रतिशत लोगों के लिए ही है।
भरत गांधी की मांग सुनने में सरलीकृत लग सकती है किंतु 2008 में 137 सांसदों ने इसका अनुमोदन कर नियम 193 के तहत संसद में इस पर बहस कराने की मांग की थी। किंतु रहस्यमयी परिस्थितियों में बहस टाल दी गई। फिर इस सुझाव को दीपक गोयल की अध्यक्षता वाली एक 11 सदस्यीय समिति को सौंप दिया गया। 2011 में इस समिति ने भी भरत गांधी के सुझाव पर अपनी मोहर लगा दी और कहा कि इससे देश की कुछ गम्भीर समस्यायों का समाधान हो सकता है। इस समिति ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरू के पूर्व प्रोफेसर भारत झुनझुनवाला से भी सलाह मशविरा किया था।
भारत गांधी ने इस अवधारणा की भी वकालत की है कि राजनीतिक दलों को आम नागरिकों द्वारा दिया गया चंदा संसद में एक वित्त विधेयक पारित करवा ब्याज सहित वापस करवाया जाए। उन्होंने एक विश्व सरकार व ’भौगोलिक सहभागिता एवं शांति हेतु गठबंधन’ की भी वकालत की है क्योंकि उनका मानना है कि गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गैर-बराबरी, अशिक्षा, पर्यावरणीय असंतुलन, सांस्कृतिक पतन, आतंकवाद व कुपोषण जैसी समस्याएं हरेक देश में हैं और यदि कोई देश उपर्युक्त में से किसी भी समस्या के समाधान का दावा कर रहा है तो इसका मतलब यह है कि वह अपनी समस्या अन्य देश या देशों की ओर ढकेल रहा है। उनका मानना है कि इन समस्याओं का हल वैश्विक स्तर पर ही हो सकता है जिसकी वजह से उनके दल के नाम में अंतर्राष्ट्रीय जुड़ा हुआ है।
वोटर्स पार्टी इण्टरनेशनल एक राजनीतिक दल है जो चुनाव लड़ता है। विभिन्न राज्यों के पिछले विधान सभा चुनावों में उनके दल को असम के 7 विधान सभा क्षेत्रों में 50,355, बिहार के सात विधान सभा क्षेत्रों में 44,245, उत्तर प्रदेश के पांच विधान सभा क्षेत्रों में 7,285, झारखण्ड के एक विधान सभा क्षेत्र में 5,099 व दिल्ली के एक विधान सभा क्षेत्र में 314 मत मिले हैं। पिछले एक वर्ष से पार्टी का काम नागालैण्ड में भी शुरू हुआ है।
भारत गांधी को 13 मार्च, 2020 को पार्टी के कार्यकर्ताओं की दीमापुर में एक बैठक से पार्टी की नागालैण्ड प्रभारी चुकी हरालू, पार्टी में सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्रजित बसुमतारी व तीन अन्य सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके ऊपर आरोप यह लगाया गया कि वे रु. 300 का चंदा एकत्र कर रहे थे व लोगों को झूठा आश्वासन दे रहे थे कि उन्हें रु. 6,000 प्रत्येक माह मिलेंगे। सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कार्यकर्ताओ ंकी टोपी पर भारत सरकार का प्रतीक चिन्ह लगा था। उनकी चंदे की रसीद जो देखने में मुद्रा की शक्ल में है के नमूने चुनाव आयोग व भारतीय रिजर्व बैंक को भेजे जा चुके हैं व वहां से कोई आपत्ति नहीं आई है। शेष लोगों को कुछ पूछताछ के बाद एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करा छोड़ दिया गया किंतु भारत गांधी को दस दिनों तक अवैध तरीके से पुलिए हिरासत में रखने के बाद भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं 419, 420, 468 व 471 में न्यायिक हिरासत में दीमापुर जेल भेज दिया गया।
11 मई, 2020 को उच्च न्यायालय की कोहिमा खण्ड पीठ से उन्हें जमानत मिल गई क्योंकि पुलिस उनके खिलाफ कोई चार्ज शीट ही दाखिल नहीं कर पाई जिससे साबित होता है कि भारत गांधी या वोटर्स पार्टी इण्टरनेशनल ने किसी के साथ कोई धोखाधड़ी, आदि नहीं की। उन्हें जेल में रख कर नागालैण्ड सरकार ने उनके संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया है। जब उनके दल के सहयोगी शिवाकांत गोरखपुरी व नवीन कुमार उनकी रिहाई के लिए दीमापुर पहंुचे तो जिस होटल में वे ठहरे थे वहां से 19 मई को शाम 4 बजे उनका अपहरण कर उन्हें दीमापुर से बाहर एक अतिवादी संगठन के कैम्प में लाया गया। उनसे रुपए एक करोड़ की मांग की गई। जब उन्होंने यह रकम देने में असमर्थतता व्यक्त की तो 27 मई को यह कह कर छोड़ दिया गया कि एक हफ्ते में रुपए साढ़े बत्तीस लाख का भुगतान कर दें।
यह स्पष्ट नहीं है कि भरत गांधी स्थानीय राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के शिकार हैं जिसमें स्थानीय संगठन नहीं चाहते कि कोई बाहरी व्यक्ति वहां पैर जमाए अथवा किसी वसूली करने वाले अतिवादी संगठन के? पूर्वोत्तर के राज्यों में कई ऐसे अतिवादी संगठन हैं जो अपने राजनीतिक उद्देश्य से भट चुके हैं तथा अपने अस्तित्व के लिए वसूली करते हैं। कुछ राज्यों में तो प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को इन संगठनों, कई बार एक से ज्यादा, को चंदा देना पड़ता है। इसे सुरक्षा के बदले दिया जाने वाला पैसे, खासकर व्यापारियों के लिए, के रूप में भी देखा जा सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि भरत गांधी के बारे में किसी भ्रामक जानकरी का प्रसार हो गया और एक अतिवादी संगठन ने उसका लाभ उठाने की कोशिश की। वोटर्स पार्टी इण्टरनेशनल कोई पूंजीपतियों के पैसे से चलने वाला दल नहीं है बल्कि इसे आम नागरिक चंदा देते हैं और वह किसी भी किस्म की फिरौती की रकम दे पाने में असमर्थ है।
भारत गांधी को किसी केन्द्रीय सुरक्षा बल की सुरक्षा में दिल्ली अथवा लखनऊ लाया जाए तभी उनका बचना सम्भव है नहीं तो वे भी अपने सहयोगियों की तरह जेल से निकलने पर अपहृत कर लिए जाएंगे।
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डॉ संदीप पाण्डेय, उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)
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