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फादर स्टैन स्वामी का भीमा कोरेगांव की घटना से कोई लेना देना ही नहीं था जिसमें उन्हें अभियुक्त बनाया गया था। 84 वर्षीय इस इसाई पादरी का दोष सिर्फ इतना था कि वह आदिवासी अधिकारों की बात करता था, झारखण्ड के पत्थलगढ़ी आंदोलन का समर्थक था जो संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासियों को प्रदत्त विशेष अधिकारों की मांग कर रहा था व उन्होंने चार हजार से ज्यादा झारखण्ड की जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई हेतु उच्च न्यायालय में याचिका दायर की हुई थी। जाहिर है वे सरकार की आंखों की किरकिरी बने हुए थे। वे सिर्फ हमारे संविधान में आदिवासियों के लिए विशेष प्रावधानों या उनके लिए बनाए गए कानूनों जैसे पंचायत (अनुसूवित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 और अनुसूचित जाति व अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 को आदिवासियों के हित में लागू कराने की मांग कर रहे थे। उनकी यही मांग उस सरकार के लिए भारी पड़ रही थी जो नव उदारवादी नीतियों के तहत जंगल व जंगल के संसाधन जैसे खनिज तेजी से देशी-विदेशी निजी कम्पनियों को सौंपने को आतुर है।
नौ महीने जेल में रहने के बावजूद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उनसे एक बार भी पूछ ताछ नहीं की इससे बड़ा और क्या प्रमाण हो सकता है कि सरकार के पास उनके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं था।
हमारे देश में पुलिस का एक आम तरीका है कि निर्दोष लोगों को फंसा कर उन्हें वर्षों जेल में डाल देती है। खासकर गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जिसके तहत फादर स्टैन स्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था में जमानत मिलना बड़ा मुश्किल है और प्रक्रिया ही सजा हो जाती है। यह कानून न्याय के आम सिद्धांत कि दोषी साबित होने तक आरोपी निर्दोष माना जाता है के विपरीत है। इसमें निर्दोष साबित होने तक आरोपी दोषी माना जाता है और आरोपी को निर्दोष सिद्ध करने की जिम्मेदारी भी खुद की होती है। गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत पिछले कुछ वर्षों में मात्र 2.2 प्रतिशत आरोपी ही दोषी साबित हुए हैं। यानी इस कानून के तहत ज्यादातर निर्दोष लोग ही फंसाए जा रहे हैं।
हम मांग करते हैं कि फादर स्टैन स्वामी को फर्जी ढंग से फंसाने वाले व उनको नौ महीने बिना वजह जेल में रख कर मार डालने के लिए जिम्मेदार लोग चिन्हित हों और कानून उनके खिलाफ कार्यवाही करे। अन्यथा भारत की आपराधिक न्याय व्यवस्था का काम करने का तरीका यही बना रहेगा कि निर्दोष या पीड़ित को ही आरोपी बना कर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे कई वर्षों के लिए जेल में डाल दो। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक कलंक की बात है।
फादर स्टैन स्वामी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उन तमाम निर्दोष लोगों को जो फर्जी मामलों में फंसाए गए हैं के मुकदमे जल्द निपटा कर उन्हें रिहा किया जाए।
मोहम्मद अहमद खान, 7309081166, सोशलिस्ट युवजन सभा
संदीप पाण्डेय, फोनः 0522 2355978, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)