दुबग्गा में सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) द्वारा संचालित सामुदायिक रसोई
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के लखनऊ जिला अध्यक्ष सलमान राईनी ने 22 मार्च, 2020, यानी जिस दिल जनता कफ्र्यू का ऐलान हुआ था उसी दिन से जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद अहमद के साथ अपने दो पहिया वाहन पर निकल जरूरतमंदों को बिस्कुट के पैकट बांटने शुरू कर दिए थे। चूंकि सलमान राईनी युवा फल सब्जी किसान व व्यापारी संगठन के महामंत्री भी हैं उन्होंने तय किया कि वे जिस दर से मण्डी से सब्जी उठाएंगे उसी दर पर बेचेंगे व गाड़ी और मजदूरी का खर्च स्वयं वहन करेंगे। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने तय किया कि वह यह बोझ अपने ऊपर लेगी ताकि सलमान भाई यह काम ज्यादा दिनों तक कर सकें। 27 मार्च से यह काम शुरू हो गया जिसमें 200 से लेकर 500 परिवार तक रोजना लाभान्वित होते हैं व पार्टी रोज का घाटा करीब रु. 2000-4000 वहन करती है। अब प्रशासन ने भी सलमान राईनी से थाना तालकटोरा व सआदतगंज के सील किए गए इलाकों में सब्जी बेचने के काम में मदद ली है। यहां भी सलमान राईनी मण्डी की दर पर ही सब्जियां बेच रहे हैं यानी रु. 20 प्रति किलो में आलू व प्याज और लगभग रुपए 10 प्रति किलो में कद्दू व लौकी।
इसके साथ ही पांच किलो आटा, दो किलो आलू व एक किलो प्याज के पैकेट बना कर भी बांटे जाने लगे। किंतु करीब एक हफ्ते यह काम करने के बाद जब सेक्टर पी, बी.एस.यू.पी., वंसत कुंज, दुबग्गा में बांटते वक्त पैकेट कम पड़ गए और मांगने वालों की तादाद बहुत अधिक दिखाई पड़ी तो हमें यह समझ आया कि यदि पका पकाया खाना लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा तो जरूरतमंदों की बेहतर मदद हो पाएगी। इस तरह पहली सामुदायिक रसोई चलाने का विचार यहां हुआ और पार्टी की संगठन मंत्री जीनत को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद आश्रयहीन आवास योजना, दुबग्गा में उज़मा के माध्यम से, मड़ियांव में गुड़िया व रजिया के माध्यम से, हैदर कैनाल में जनक दुलारी मौर्य के माध्यम से, सहारा अस्पताल गेट संख्या 3 के सामने गौरी यादव के माध्यम से, नई बस्ती, चैधरी गढ़हिया में मेराज राईनी के माध्यम से व हरदोइया देवीगंज गांव, गोसाईगंज के पास, गुड्डी के माध्यम से लखनऊ जिले में सामुदायिक रसोई चलने लगीं। 16 अप्रैल से मीरपुर गांव, जिला बाराबंकी व कन्नौज के तिर्वागंज कस्बे में भी पार्टी की ओर से समुदायिक रसोई शुरू हो गईं। 17 अप्रैल को सीतापुर जिले के चांदपुर-फरीदपुर गांव व कोलकाता शहर में भी सामुदायिक रसोई शुरू हो गईं। प्रत्येक रसोई में 100-250 लोग रोजाना भोजन कर रहे हैं। ज्यादातर जगह एक समय लेकिन कहीं कहीं दो जगह भी भोजन पक रहा है। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) लाॅकडाऊन की अवधि तक इन रसोई को चलाना अपनी जिम्मेदारी मानती है। हमारा मानना है कि भूख की समस्या के हल के लिए गुरूद्वारों में चलने वाले लंगर जैसी व्यवस्था प्रत्येक धार्मिक स्थल या सामुदायिक स्थल पर होनी चाहिए।
जो लोग लाॅकडाऊन की अवधि में अपनी दवा नहीं खरीद पा रहे हैं सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) उनको दवा खरीदवा कर भी दे रही है।
इसके अलावा सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार हेतु भी प्रयास कर रही है। बाराबंकी में असेनी ग्राम सभा में राशन दुकानदार राजाराम यादव की लाॅकडाऊन की अवधि में अंत्योदय कार्ड धारकों, जिनको मुफ्त अनाज मिलना चाहिए था, से रु. 20-100 लेने व पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों से दोगुणा कीमत लेने की शिकायत की गई जिसे सही पाए जाने पर जिलाधिकारी ने दुकान निरस्त किए जाने का आदेश दिया। सीतापुर जिले की चांदपुर फरीदपुर ग्राम सभा से 20 लोगों की ऐसी सूची प्रशासन को सौंपी गई जिनके पास न तो राशन कार्ड था और न ही जाॅब कार्ड जिसकी वजह से वे मुफ्त अनाज मिलने की सुविधा से वंचित हो रहे थे। हमारी शिकायत पर 20 में से 7 परिवार जिनमें महिला प्रमुख का आधार कार्ड व बैंक खाता दोनों थे, के राशन कार्ड बनने की प्रकिया शुरू हो गई है। यह दुर्भाग्य है कि शेष परिवारों में से 5, जिनमें महिला प्रमुख के पति का आधार कार्ड है व एक का बैक खाता भी है व अन्य 13 परिवारों जिनके पास कोई आधार कार्ड नहीं है का राशन कार्ड बनाने से मना कर दिया गया है। जिला हरदोई की पिपरी नारायणपुर ग्राम सभा के तीन परिवारों का राशन कार्ड बनवाने हेतु आॅनलाइन आवेदन किया जा चुका है किंतु राशन दुकानदार ने उन्हें सूचित किया है कि उन्हें तीन महीने बाद ही राशन मिलना शुरू हो सकेगा। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने तीन माह तक प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम राशन कार्ड पर है उसे 5 किलो मुफ्त अनाज देने की घोषणा की है।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) इस मांग की समर्थन करती है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लोकव्यापीकरण किया जाए और कोई भी व्यक्ति जो राशन दुकान पर आता है उसे मुफ्त अनाज दिया जाए। साथ ही जिनके पास राशन कार्ड, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के तहत जारी जाॅब कार्ड, श्रम विभाग द्वारा पंजीकरण पश्चात जारी किए गए श्रमिक कार्ड होें लाॅकडाऊन की अवधि में न्यूनतम मजदूरी की दर से प्रत्येक दिवस की मजदूरी उनके बैंक खातों में डाली जाए। जब संगठित क्षेत्र के लोगों को लाॅकडाऊन की अवधि की तनख्वाह मिलेगी तो असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को उनकी मजदूरी क्यों नहीं?
संदीप पाण्डेय, उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)
सुरभि अग्रवाल, प्रवक्ता, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)
सम्पर्कः 9952076367 (विशाल कुमार)