लोकसभा में कल पेश किया गया बजट किसानों और बेरोजगारों के साथ मोदी सरकार का एक और बड़ा धोखा है। देश भर के किसान अपनी उपज के लिए लाभाकरी पारिश्रमिक की गारंटी चाहते हैं, लेकिन मोदी सरकार ने उस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है । किसानों के लिए इस बजट में कुछ नहीं है। किसानों को जब तक फसल का वाजिब दाम नहीं मिलेगा, किसान कर्ज मुक्त नहीं होगा। सरकार किसान को बैंकों से कर्ज दिलाकर और कर्जदार बना रही है। मजबूरी में किसान बैंकों से कर्ज लेता है। यदि आमदनी नहीं बढ़ेगी तो कर्ज कहां से चुकाएगा। जब तक सरकार किसान की अनदेखी करती रहेगी, किसान की हालत बदतर होती जाएगी। किसान आत्महत्या करेगा या फिर जमीन बैंक नीलाम करेगा। किसान को तो लुटने की आदत हो गई है, इसे सब मिलकर लूट रहे हैं। आम किसान इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उसकी आय के साधन सीमित हो गए हैं और खर्च बढ़ते जा रहे हैं। सरकार आय दोगुनी करने की बात कर रही है और हो रहा है खर्च दोगुना। समझ नहीं आ रहा है कि किसान क्या करे।
बजट में रोजगार पैदा करने की सबसे जरूरी समस्या पर सरकार ने चुप्पी बनाये रखी है। करोड़ों युवा नौकरी और जीवन यापन के साधनों के लिए प्रधानमंत्री मोदी से पूछ रहे हैं। लेकिन मोदी ने उन्हें हमेशा की तरह पूरी तरह से निराश किया है। रोजगार के अवसर पैदा करने के कोई उपाय इस बजट में नहीं हैं। बजट से उम्मीद थी कि रोजगार के नए अवसर सामने आएंगे। लेकिन युवाओं के लिए बजट में रोजगार पैदा करने वाली कोई भी बड़ी घोषणा नहीं की गई ।
देश में खेती छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उन्हें दूसरी जगह अच्छी नौकरी नहीं मिल रही. सर्विस सेक्टर में उतने नए रोजगार पैदा नहीं हो रहे, जिसकी देश को जरूरत है। ऐसे में एक बड़ी आबादी को बजट से निराशा ही हाथ लगी है।
सोशलिस्ट पार्टी का मानना है, कि बीजेपी सरकार का आम बजट शिक्षा के निजीकरण की तरफ धकेल देने वाला बजट साबित हो सकता है।
मोदी सरकार के इस बजट में मध्यम वर्ग पर कई टैक्स रियायतों की बौछार की गई है ताकि वे मोदी के पक्ष में माहौल बनाने का काम करते रहें ।
श्याम गंभीर
प्रमुख महासचिव
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)