लखनऊ नागरिकों ने हजरतगंज स्थित गांधीजी प्रतिमा पर शिक्षा के सम्प्रदायिकरण के खिलाफ भारी प्रदर्शन किया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० जी.सी. त्रिपाठी को बर्खास्त करने की मांग की.
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने, भारतीय प्रोद्योगिकी संसथान (आईआईटी) के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा अध्यक्ष पद के लिए नामित ५ लोगों को दरकिनार कर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े बीएचयू के कुलपति प्रो० जी.सी. त्रिपाठी को आईआईटी का अध्यक्ष बनाया. इन्ही प्रो० जी.सी. त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई आईआईटी बीएचयू की बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स की बैठक में गांधीवादी समाजवादी और मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में पढ़ाने के अनुबंध को, बेबुनियाद आरोपों के कारण समय अवधि से पहले ही समाप्त कर दिया.
न सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों का सम्प्रदायिकरण हो रहा है बल्कि उनकी गुणवत्ता के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. आरएसएस जैसे संगठनों से जुड़े कम योग्यता के लोग शैक्षणिक संस्थानों पर महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किये जा रहे हैं. भारत के विश्वविद्यालय खस्ता हालत में हैं और यह उनको चौपट करने की साजिश है. आरएसएस नहीं चाहती कि तार्किक ढंग से सोचने-समझने वाले समाज का निर्माण हो, वो समाज को पीछे की ओर ले जाना चाहती है जहाँ लोग अपनी गरीबी, बेरोज़गारी, गैर-बराबरी, शोषण जैसे मुद्दों को भूल कर मंदिर मस्जिद, गाय जैसे मुद्दों में ही उलझे रहें.
पिछले कुछ महीनो से हम देख रहे हैं कि शिक्षा का सम्प्रदायिकरण बढ़ता जा रहा है, और आईआईटी से डॉ संदीप पाण्डेय का हटाया जाना इसी क्रम का एक उदहारण है. देश में साम्प्रदायिकता का माहौल बनाया जा रहा है. कभी इंसान के खाने का मुद्दा हो, महिलाओ के पहनावे का मुद्दा हो, जैसी हर चीज़ों पर साम्प्रदायिकता का रंग भरा जा रहा है. इस प्रकार की साम्प्रदायिक घटनाएँ लगातार बढ़ती चली जा रही हैं. मानवाधिकार मुद्दों पर कार्य करने वाली सभी संस्थाएं बहुत चिंतित हैं लेकिन केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर कोई गंभीरता नहीं दिख रही है.
साम्प्रदायिकता और शिक्षा के निजीकरण में भी सीधा सम्बन्ध है (और पितृसत्ता का भी). विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के स्तर पर शिक्षा के निजीकरण का हर प्रयास रोका जाना चाहिए.
हम केंद्र सरकार और भारत के राष्ट्रपति से जो बीएचयू के ‘विजिटर’ हैं उनसे अनुरोध करते हैं कि बीएचयू के कुलपति प्रो० जी.सी. त्रिपाठी को बिना विलम्ब बर्खास्त करें और अन्य सभी शैक्षणिक संस्थानों से वो लोग भी बर्खास्त हों जो शिक्षा के सम्प्रदायिकरण की प्रक्रिया में नियुक्त किये गए हैं. हमारे बेहतर कल के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि शैक्षणिक संस्थानों को सम्प्रयिकरण से मुक्त किया जाए.
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