7 दिसंबर 2018

प्रेस रिलीज़

देश के गले में मरा हुआ सांप है अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा

सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि मोदी सरकार अगस्तावेस्टलैंड का मुद्दा रफाल विमान सौदे के घोटाले की काट के तौर पर निकाल कर लाई है, न कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए। भाजपा नेताओं ने कहा भी है कि अब कांग्रेस और उसके गांधी-नेहरू परिवार के सामने गंभीर संकट उपस्थित होगा। समझने की बात यह है मोदी सरकार और ज्यादातर मीडिया जनता को यह नहीं बता रहे हैं की भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते यह सौदा यूपीए सरकार ने ही रद्द कर दिया था। एक रद्द हुए सौदे के दलाल जेम्स क्रिश्चियन मिशेल को पकड़ने के लिए सीबीआई, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रवर्तन निदेशालय और खुद प्रधानमंत्री ने अपनी ताकत लगा दी ताकि रफाल विमान सौदा घोटाला और जनहित के जरूरी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। वास्तव में सरकार की प्राथमिकता विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को लाने की होनी चाहिए थी।

अगस्तावेस्टलैंड के मामले में सरकार और उसकी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई का कहना है कि मिशेल के माध्यम से भारत की तत्कालीन यूपीए सरकार के नेताओं को 300 करोड़ की रिश्वत दी गई और देश के खजाने को 2666 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यह सौदा देश के वीवीआईपी की सुरक्षा के लिए 12 हेलीकाप्टर खरीदने के लिए 3600 करोड़ रुपए में हुआ था। आरोप है कि ब्रिटेन और इटली की संयुक्त कंपनी अगस्तावेस्टलैंड और उसकी मूल कंपनी फिनमेकैनिका ने 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकाप्टर की बजाय 4500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकाप्टर पर भारत को राजी करने के लिए सरकार के अधिकारियों और कांग्रेस के नेताओं को रिश्वत दी। रिश्वत देने वालों में बिचौलिए मिशेल एक था। बाकी दो बिचौलिए कार्लो जेरोसा और गुडो हश्के थे। आरोप यह भी है कि इस तरह से वीवीआईपी सुरक्षा के साथ समझौता किया गया।

यूपीए सरकार में शामिल रहे कांग्रेसी नेता पूरे प्रकरण का तथ्यों सहित दूसरा पहलू प्रस्तुत कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि यह सौदा फरवरी 2010 में 3546 करोड़ रुपए में हुआ था। इस बीच मीडिया की रपटों से पता चला कि इस मामले में गड़बड़ी है। यूपीए सरकार ने फरवरी 2013 में इस सौदे को रद्द कर दिया और जांच बिठा दी। सरकार ने जेपीसी बिठाने का भी प्रस्ताव रखा लेकिन तत्कालीन विपक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी ने उसके लिए मना कर दिया। फरवरी 2014 में यूपीए सरकार ने ही उन दोनों कंपनियों को प्रतिबंधित भी कर दिया। साथ ही सरकार ने इटली की अदालत में उन कंपनियों पर 22.8 करोड़ यूरो का हर्जाने का दावा किया। यूपीए सरकार ने उस सौदे के लिए कंपनियों को 1620 करोड़ दिया था लेकिन उसने 2068 करोड़ रुपए का हर्जाना प्राप्त किया। यूपीए सरकार ने कंपनी के तीन हेलीकाप्टर भी जब्त कर लिए जो आज भी भारत सरकार के कब्जे में हैं। इस तरह 1620 करोड़ के बदले कुल 2954 करोड़ की रिकवरी हुई और सरकार के खजाने को कोई घाटा नहीं हुआ।

मोदी सरकार उन्हीं प्रतिबंधित कंपनियों को विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड से भारत में निवेश करने को बढ़ावा दे रही है। ज़ाहिर है, भ्रष्टाचार से लड़ने का उसका दावा खोखला है।

यह जगजाहिर है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के टूजी, कामनवेल्थ और कोयला घोटाले जैसे बड़े घोटाले हुए। लेकिन उसने अगस्ता के मामले में एहतियात बरती और मामले को एक अंजाम तक ले गई। पर मौजूदा मोदी सरकार उसे जिस प्रकार से पेश कर रही है वह रफाल जैसे 36000 करोड़ रुपए के घोटाले की काट से ज्यादा कुछ नहीं लगता। वह एक मरा हुआ सांप है जिसे राजनीतिक फायदे के लिए मोदी सरकार ने देश के गले में डालने की कोशिश की है।

सोशलिस्ट पार्टी की अपील है कि जनता को गुमराह होने से बचना चाहिए और अगस्तावेस्टलैंड के पूरे मामले को समझते हुए अपनी राय बनानी चाहिए। सोशलिस्ट पार्टी ने उसी वक्त वीवीआईपी सुरक्षा के लिए जनता के धन से इतने महंगे हेलीकाप्टर खरीदने के यूपीए सरकार के फैसले का विरोध किया था।

डॉ. प्रेम सिंह

अध्यक्ष

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