इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले कि सरकारी वेतन पाने वालों, जन प्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ें को लागू कराने हेतु 6 जून, 2016 से लखनऊ में अनिश्चितकालीन अनशन
18 अगस्त, 2015 को उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकारी तनख्वाह पाने वाले व जन प्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से पढ़ाने के फैसले के क्रियान्वयन हेतु उ.प्र. सरकार को निर्देश दिए थे। यह व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2016-17 से लागू हो जानी चाहिए थी। सरकार ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया है।
देश में दो तरह की शिक्षा व्यवस्थाएं लागू हैं। पैसे वाले अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेज रहे हैं जहां बड़ा शुल्क लिया जाता है और जहां से निकलने के बाद बच्चा उच्च शिक्षा पूरी कर कहीं न कहीं नौकरी पा जाता है अथवा अपना कुछ काम शुरू कर सकता है।
जिनके पास इन निजी विद्यालयों में पढ़ाने का पैसा नहीं वे अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने के लिए अभिशप्त हैं जहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इन विद्यालयों के बच्चे आगे चल नकल करके अपनी परीक्षा देने को मजबूर होते हैं। नतीजा यह होता है कि कक्षा आठ तक आते आते भारत के आधे बच्चे विद्यालय से बाहर हो जाते हैं या शिक्षा पूरी होने पर भी बेरोजगार हैं।
भारत के सरकारी विद्यालयों को ठीक करने का एकमात्र उपाय यही है कि सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने जाएं। इस वर्ग के बच्चों के जाने से सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी और फिर गरीब के बच्चे को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी।
दुनिया में जहां भी सभी बच्चे शिक्षा पाए हैं वह सरकारी शिक्षा व्यवस्था व समान शिक्षा प्रणाली और पड़ोस के विद्यालय से ही सम्भव हुआ है।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) पहले भी इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन कर चुकी है और 18 अप्रैल से 23 अप्रैल, 2016 तक इस मुद्दे पर लखनऊ में सामाजिक कार्यकर्ता मजहर आजाद के अनशन का समर्थन भी किया।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) की यह भी मांग है कि इस देश में चुनाव लड़ने वा सरकारी नौकरी हेतु आवेदन के लिए सरकारी विद्यालय से पढ़ा होना अनिवार्य शर्त हो। इसी तरह सरकारी वेतन पाने वालों व जन प्रतिनिधियों व उन पर आश्रित लोगों के लिए सरकारी चिकित्सालय में इलाज कराना भी अनिवार्य हो।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में सभी निजी संस्थानों के सरकारीकरण के पक्ष में हैं जिससे सभी नागरिकों को शिक्षा व चिकित्सा का लाभ एक समान व मुफ्त मिल सके।
समय बीतता जा रहा है और उ.प्र. सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। अतः 6 जून, 2016 से मैंने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के निर्णय को लागू कराने के लिए लखनऊ में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने का फैसला लिया है।
यह संघर्ष इस देश के संसाधनों व सुविधाओं को अपने हक में कर लेने वाली व्यवस्था के खिलाफ है जो गरीबों को वंचित बना कर जीने के लिए मजबूर किए हुए है।
संदीप पाण्डेय
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)
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