फरह नाज़ बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। जब आज़मगढ़, संजरपुर में मास्क बनाने का काम शुरू हुआ तो उन्होंने बढ़चढ़ उसमें हिस्सा लिया। कुछ दिनों बाद यह तय हुआ कि मास्क बनाने के लिए दो रूपया प्रति मास्क दिए जाएंगे।
मास्क बनाने का काम महिलाएं ही कर रहीं हैं। फरह को जब भी पैसे देने की बात की जाती तो वह टाल देती। जवाब होता ‘बाद में।’ एक बार उसने सिलाई के पैसे वापस भी कर दिए। इस बीच उसने 1800 से अधिक मास्क की सिलाई की।
हमें अंदाज़ा नहीं था कि उसके मन में क्या चल रहा है। इस बीच लखनऊ से विशाल भाई का फोन आया कि संदीप पांडेय जी मास्क सिलाई करने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन के लिए कुछ देना चाहते हैं। कुल ग्यारह महिलाओं को नौ हज़ार रूपये सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से दिए गए। फरह के हिस्से में एक हज़ार रूपया आया। जब हमने उससे पैसे लेने के लिए कहा तो उसने उसे स्वीकार तो कर लिया लेकिन एक चिट्ठी के साथ उसने पैसे वापस भेज दिए। चिट्ठी उर्दू भाषा में है उसका मूल और हिंदी अनुवाद नीचे दिया जा रहा है-
“आप लोगों के अनुरोध पर सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से प्रोत्साहन के लिए दिए गए एक हज़ार रूपये मैंने शुक्रिया के साथ स्वीकार किया। लेकिन देश में प्राकृतिक आपदा के कारण बड़ी संख्या में लोग राशन के संकट से जूझ रहे हैं। आप लोग जाति–धर्म के भेद किए बिना ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं। मेरा आप लोगों से अनुरोध है कि इस रक़म समेत मास्क की सिलाई में मेरा जो कुछ भी हिस्सा बनता है वह जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च किया जाए। मेरा योगदान बहुत छोटा है। लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप लोग इसे स्वीकार करके मुझे इस सेवा से वंचित नहीं करेंगे”।
धन्यवाद,
फरह नाज़ d/o मो० शाकिर
द्वारा-
मसीहुद्दीन संजरी
रिहाई मंच
80906 96449