सोशलिस्ट पार्टी युवा सभा सम्मेलन प्रस्ताव विषय: रोजगार बने मौलिक अधिकार

प्रिय साथियों ,

जैसा की आप सब जानते हैं कि देश में बेरोजगारी एक व्यापक व भयावह समस्या बन चुकी है परंतु  देश की आजादी के सत्तर वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सत्ता में रही सरकारों तथा राजनीति दलों ने इसे मुद्दा बनाया पर मौलिक अधिकार बनाने की जरूरत कभी नही समझी गयी । वर्तमान परिवेश में 6 प्रतिशत से ज्यादा बेरोजगारी दर दर्ज की गई है। 65 प्रतिशत से अधिक युवा आबादी वाले देश में हर वर्ष एक करोड़ नई नौकरियों की आवश्यकता है परंतु उसके अनुपात में नई नौकरियों का अनुपात ना के बराबर है उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवा बेरोजगारी व बेकारी की अवस्था में जीने को मजबूर हैं । वहीं सरकारी क्षेत्र में रिक्त पदों को सरकार भरने में असमर्थता जता रही है तो दूसरी तरफ निजी क्षेत्र में नौकरियां लगातार गिरती अर्थव्यवस्था के कारण पैदा नहीं हो रही हैं । जिससे युवाओं का भविष्य कहीं न कहीं अधर में लटका हुआ है अतः हमें अब सुनिश्चित करना चाहिए कि बेरोजगारी, बेकारी की समस्या के समाधान की दिशा में कुछ ठोस व निर्णायक कदम सरकार के द्वारा उठाया जाए । 

इसी ध्येय के साथ आप सभी प्रिय साथियों का ध्यान आकर्षित करते हुए मैं आज भागलपुर की भाग्यशाली, वैभवशाली, वीर और ऐतिहासिक भूमि  पर आयोजित इस सोशलिस्ट पार्टी के युवा सभा सम्मेलन में इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव आपके समक्ष रखने की अनुमति चाहता हूँ । 

प्रस्ताव:

1: रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए।

2: शिक्षित युवाओं के लिए मनरेगा की तर्ज पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए।

3: भारत सरकार व राज्यों के अंतर्गत रिक्त पड़े 24 लाख सरकारी पदों पर तत्काल भर्तियाँ शुरू की जाए।

4: सरकारी नौकरियों हेतु लगनेवाले आवेदन शुल्क को समाप्त किया जाए।

5: सरकारी विभागों में संविदा, ठेका प्रथा भर्तियों पर तत्काल रोक लगाए जाए तथा समान काम, समान वेतन की दिशा में नियमित भर्तियाँ हों ।

6: सरकारी कार्यों हेतु निकलनेवाली निविदाओं(टेंडर/ठेकों) में युवाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।

भवदीय

मोहम्मद अहमद खान

अध्यक्ष,सोशलिस्ट युवा इकाई (उ.प्र)

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