गांधी की डेढ़ सौंवी सालगिरह : एक विनम्र सुझाव
प्रेम सिंह
गांधी की डेढ़ सौंवी सालगिरह को लेकर काफी चर्चा है. इस अवसर पर केंद्र सरके की ओर से देश और विदेश में भारी-भरकम आयोजन होंगे. इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक विस्तृत राष्ट्रीय समिति का गठन किया है. इसके साथ एक एग्जीक्यूटिव समिति और 6 उपसमितियां बनाई गई हैं. समितियों में केंद्र और प्रांतीय सरकारों के अनेक नेता, विपक्ष के नेता, नौकरशाह, एक-दो गांधीजन और कुछ विदेशी मेहमान शामिल हैं. संसद का एक दिन अथवा एक सप्ताह का विशेष सत्र भी इस मौके पर बुलाया जाएगा.
केंद्र सरकार ने गांधी की डेढ़ सौंवी सालगिरह को ‘ग्लोबल इवेंट’ बनाने का फैसला किया है. विदेशों में स्थित सभी भारतीय मिशन कार्यक्रमों का आयोजन और प्रचार-प्रसार करेंगे. 2 अक्तूबर 2018 से शुरु होने वाले विविध कार्यक्रमों की विस्तृत सूची सामने आ चुकी है. सारा साल या दो साल तक पूरा देश गांधीमय होगा. मसलन, इस बार के गणतंत्र दिवस की हर झांकी गांधी का संदेश लिए होगी. नोबेल पुरस्कार प्राप्त विद्वानों के व्याख्यानों से लेकर ‘रियलिटी शो’ के रंगारंग कार्यक्रम इस ‘ग्लोबल इवेंट’ का हिस्सा हैं. ‘ग्लोबल इवेंट’ की थीम सरकार ने सांप्रदायिक सौहार्द रखी है, और लक्ष्य देश के युवाओं तक गांधी की विचारधारा पहुंचाना.
देश में विमूढ़ता का जो विराट पर्व चल रहा है उसमें गांधी की डेढ़ सौंवी सालगिरह के इस महायोजन पर कुछ भी कहने का कोई मतलब नहीं है. गांधी के बारे में भी कुछ कहने का कोई मतलब नहीं है. यह भी कहने की आवश्यकता नहीं है कि देश और विदेश के लिए अभी तक का बचा-खुचा गांधी इस डेढ़ सौंवी सालगिरह के उत्सव में एकबारगी दम तोड़ जाएगा, और वैश्वीकरण के दौर का एक नया गांधी पैदा होगा.
अलबत्ता एक कार्यक्रम की चर्चा हम करना चाहते हैं. इस कार्यक्रम का आईडिया शायद पिछले दिनों दिवंगत हुए नारायण देसाई से लिया गया है. जीवन की कला सिखाने के लिए मशहूर श्रीश्री रविशंकर नाम के ‘अध्यात्मिक गुरु’ इस अवसर पर ‘गांधी-कथा’ सुनाएंगे. कहने को जग्गी वासुदेव, मुरारी बापू और ब्रह्मकुमारियों का नाम भी ‘गांधी-कथा’ सुनाने वालों में रखा गया है, लेकिन प्रमुखता रविशंकर की ही है. राष्ट्रीय समिति ने कार्यक्रमों के बारे में नागरिकों के सुझाव मांगे हैं. हमारा विनम्र सुझाव, बल्कि प्रार्थना है कि समिति कम से कम ‘गांधी-कथा’ का कार्यक्रम न करे. सुधी नागरिकों को भी गांधी को ‘पुराण’ बनाने की इस चेष्टा को रोकने का सुझाव सरकार को देना चाहिए.