केंद्र सरकार ने क्रिसमस की महत्ता घटाने की नीयत से 25 दिसंबर 2014 को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाने का बेहूदा फैसला किया है। इस फैसले के तहत केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री इस अवसर पर सभी स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में प्रतियोगिताएं आयोजित करने का निंदनीय फरमान जारी कर चुकी है।
यह स्वागत योग्य है कि भाजपा अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाना चाहती है। लेकिन उसे सरकारी सत्ता का इस्तेमाल एक ऐसे विरल दिन की महत्ता कम करने के लिए नहीं करना चाहिए जो केवल ईसाइयों के लिए ही नहीं, पूरी मानवता के लिए खास मायने रखता है।
इसके पहले भी यह सरकार महात्मा गांधी के जन्मदिन को महज सफाई का दिन बना कर उसकी महत्ता घटाने का काम कर चुकी है। 2 अक्तूबर को गजेटिड अवकाश होता है। सरकार ने उस दिन कर्मचारियों को जबरन कार्यालयों में बुला कर उनके संवैधानिक अधिकार का हनन किया। किसी पार्टी अथवा सरकार का कोई भी नेता, वह कितना ही बड़ा क्यों न हो, गजेटिड अवकाश के दिन कर्मचारियों को कार्यालय में आने का आदेश नहीं दे सकता।
सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि मौजूदा अमीरपरस्त सरकार का यह फैसला, जाने-अनजाने, जीजस क्राइस्ट के गरीबों के हक में दिए गए संदेश को दबाने का हो सकता है। क्रिसमस गरीबों के सबसे पहले पैरोकार का जन्मदिन है जिसने कहा कि सुईं के छेद से हाथी निकल सकता है, लेकिन अमीर आदमी को ईश्वर की शरण नहीं मिल सकती।
साथ ही सरकार का यह फैसला उसके तेजी से लागू किए जा रहे सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भी हो सकता है। सोशलिस्ट पार्टी की मांग है कि भाजपा सरकार क्रिसमस की महत्ता को कम करने और इस तरह भारतीय नागरिकों, खास तौर पर अल्पसंख्यक ईसाइयों की भावनाओं को आहत करने के लिए राष्ट्र से माफी मांगे।
डा. संदीप पांडे
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता