योगी आदित्यनाथ के चार साल के कार्यकाल में नागरिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आज़ादी, संवैधानिक नैतिकता के पतन और लोकतांत्रिक मूल्यों के ह्रास के लिए न केवल देश के भीतर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की गई।

योगी आदित्यनाथ के चार साल के कार्यकाल में नागरिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आज़ादी, संवैधानिक नैतिकता के पतन और लोकतांत्रिक मूल्यों के ह्रास के लिए न केवल देश के भीतर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की गई।
रिहाई मंच ने योगी आदित्यनाथ के बयान को देश पर मनुवादी व्यवस्था थोप कर दलितों और पिछड़ों को दास बनाने का षणयंत्र बताया
सोशलिस्ट किसान सभा द्वारा आने वाले दिनों में जो किसान पंचायतें आयोजित की जा रही हैं उनका विवरण निम्न प्रकार से है।
In this video, Dr Sandeep Pandey speaks about the Kisan Andolan and the condition of cows in Uttar Pradesh and other states.
पूरे देश ने देखा है कि किस तरह से केन्द्र सरकार ने संसद से बिना बहस या मतदान के तीन कृषि सम्बंधित विधेयक जल्दीबाजी में पारित करवाए।
सोशलिस्ट किसान सभा एवं संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में रविवार २१ फ़रवरी २०२१ को भरावन, जिला हरदोई स्थित विद्या मंदिर इण्टर कॉलेज के मैदान में दिन में १२ बजे से एक किसान पंचायत आयोजित की जाएगी
On 26 January hundreds of villagers had assembled at an enclosure surrounded by Gram Sabhas Lalamau Mawai, Parsa and Baheria of Sandila Tehsil in Hardoi district.
In this episode, Dr. Sandeep Pandey speaks about how villagers and farmers mobilized stray cattle and tried taking them to the CM’s house on 26th January as a form of protest against state policies.
गांवों में लोग खुले घूम रहे पशुओं से परेशान हैं। ये पशु फसलों को चर जाते हैं। सरकार की तरफ से जो गौशालाएं खुलवाई गई हैं उनमें पशुओं को ठीक से रखने की व्यवस्था नहीं है।
These animals graze crops standing in fields. The cow sheds which have been started by the government are non-functional. There is no arrangement to feed them.