१८.०४.२०२१
अब यह स्पष्ट है कि कोरोना मूलतः संक्रमित व्यक्ति के पास जाने से ही फैलता है, किसी चीज को छूने से नही. इसलिए हमें बार बार हाथ धोने या सैनिटाइज करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ खाने के पहले या बाहर से घर आकर हाथ धोना काफी है.
बिना शुद्ध हवा के प्रवाह के संक्रमित व्यक्ति के पास कुछ मिनट रहने से ही हम संक्रमित हो सकते हैं. अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के पास १०-२० सेकंड गए तो आपको कुछ नहीं होगा. लेकिन दिक्कत यह है कि लक्षण दिखने के पहले ही व्यक्ति दूसरों को संक्रमित कर सकता है.
इसलिए घरवालों को छोड़ अन्य लोगों से बिना एसी के, शुद्ध हवा में थोड़ी दुरी रख कर ही मिलना चाहिए. हॉस्पिटल आदि जाने पर आप को डबल मास्क पहनना चाहिए.
घर या ऑफिस में जो आपको सहयोग देने के लिए काम करते हैं, उनसे आपको या उनको आपसे खतरा नहीं है अगर आप इन्ही नियमों का पालन करे – शुद्ध हवा, मास्क, व कुछ फीट की दूरी
ऑक्सीजन लेवल
जहाँ भी घर में बुजुर्ग हो या और कोई बिमारी वाले युवा हों, वहां एक पल्स ओक्सिमीटर रख सकते हैं. थर्मामीटर की तरह यह आपका ऑक्सीजन लेवल बताता है. ९५ के नीचे ऑक्सीजन होते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें व ९० के नीचे होते ही तुरंत हॉस्पिटल में भरती हों, बिना देरी किये.
वैक्सीन
ज्यादातर वैक्सीन ७० से ९० प्रतिशत प्रभावी है. मतलब अगर १०० वैक्सीन न लेने वालों को कोरोना होता है तो वैक्सीन लेने वालों में १० से ३० लोगों को ही होगा. उससे बड़ी बात है कि वैक्सीन लेने वालों को *गंभीर बीमारी का खतरा नहीं के बराबर* है, कम से कम कुछ समय के लिए तो.
लेकिन यह प्रतिरोधक क्षमता भी वैक्सीन के *दुसरे डोज लेने के ३ सप्ताह बाद* ही आयगी. तब तक आपको पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए.
इसीलिए कई लोगों को वैक्सीन के पहले डोज के बाद भी बीमारी हो गयी है.
हॉस्पिटलाइजेशन
अगर आपको किसी अन्य कारण से होस्पिटलाइज होना हो तो हॉस्पिटल जाने के पहले ही अपनी कोरोना जांच करा ले. अन्यथा वहां आपको कोरोना सस्पेक्ट वार्ड में रखा जाएगा और पॉजिटिव आने से उस बिमारी का इलाज़ भी न हो पायेगा जिसके लिए आप जाने वाले थे. पॉजिटिव आने पर अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह कर कदम उठा सकते हैं.
अगर आपके प्रियजन कोविड आइसीयू में हो तो मांग करे कि आपको प्रतिदिन पता हो कि क्या इलाज़ चल रहा है और उसे किसी दुसरे डॉक्टर से क्रॉस चेक करें.
बीमार या सिर्फ पॉजिटिव
कोरोना पॉजिटिव का अर्थ ये नहीं है कि आप बीमार हैं. इसका अर्थ यह है कि आपके शरीर में वायरस के टुकड़े पाए गएँ है. ये टुकड़े जीवित भी हो सकते हैं और मृत भी. आपके लक्षण भी महत्वपूर्ण हैं. WHO का कहना कि आरटी पीसीआर रिपोर्ट में CT count जरूर बताई जाए. ३० के ऊपर की count में जीवित वायरस होने कि संभावना बहुत कम है, अतः सामान्य सावधानिया रखना पर्याप्त होगा. सिर्फ अपने लक्षणों पे नज़र रखे व कुछ भी बिगड़ते ही डॉक्टर से संपर्क करें.
बच्चे
यद्यपि बच्चों के संक्रमण के कुछ केस आये हैं लेकिन ज्यादातर बच्चों को न कोरोना होता है न उनसे फैलता है. बच्चे का पॉजिटिव आने का अर्थ सिर्फ इतना है कि उसके शरीर में वायरस के टुकड़े हैं. इसका अर्थ यह नहीं है कि वे बीमार हैं. सिर्फ लक्षणों पे नज़र रखे व सामान्य सावधानिया रखें.
रेम्डेसिविर
(WHO व हिंदुजा हॉस्पिटल के प्रसिद डॉक्टर जरीर उद्वाडिया के बयान पर आधारित, आप अपने डॉक्टर से सलाह ले – https://youtu.be/DfpQOEpOmVM )
पुर देश में आज रेम्डेसिविर की कमी है और महँगी भी काफी है. याद रखे कि रेम्डेसिविर से जिनको फायदा होता है वे औसत तीन दिन जल्दी ठीक होते हैं, लेकिन मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आती.
बाकि विडियो का सार नीचे है, लेकिन सिर्फ डॉक्टरों के लिए, आम आदमी के लिए नहीं:
Anticoagulants definitely seem to help and are non-controversial.
Dexamethasone / steroids definitely seem to help; but CAN HURT in case of early stage patients who have no need of respiratory support. Patients initiated on Dexamethasone in week 2 of symptoms see most benefit. So, don’t take in mild cases, don’t take too early.
Remdesivir if given quite early to patients on oxygen helps with recovery time but no impact on fatality rate. Remedesivir + Baricitinib seems to help a bit more.
Inhaled Interferon may help a bit- Farivipiravir may help a bit- Tocilizumab does not seem to help. Real risk of sepsis.
Plasma Therapy does not seem to help.
Antibiotics (Azithromycin, Doxycycline, etc) do not seem to help.
Ivermectin does not seem to help
HCQ: no impact.
Antivirals (Lopinavir etc) do not seem to help.