आगजनी का मामला संदिग्ध , बेगुनाहों को फंसाया गया ●लोकमोर्चा और सोशलिस्ट पार्टी ने जारी किया संयुक्त बयान ●भदेठी मामले की हाईकोर्ट के जज की निगरानी में हो निष्पक्ष जांच -संदीप पांडेय ● भदेठी हिंसा को सांप्रदायिक रंग दे रहे संघ -भाजपा और मुख्यमंत्री योगी
लखनऊ, 13 जून 2020, जौनपुर जिले के सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के भदेठी गांव में बच्चों के विवाद में हिंसा को संघ – भाजपा और मुख्यमंत्री योगी साम्प्रदायिक रंग देकर नफरत की राजनीति कर रहे हैं। घटना के वायरल वीडियो को देखने पर मुसलमानों पर दलितों की मढ़ई में आगजनी के आरोप संदेह के घेरे में आ गए हैं। हाईकोर्ट के जज की निगरानी में भदेठी हिंसा मामले की निष्पक्ष जांच हो। उक्त वक्तव्य आज जारी संयुक्त बयान में लोकमोर्चा के संयोजक अजीत सिंह यादव व सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मैग्सेसे अवार्डी संदीप पांडेय ने दिया.
लोकमोर्चा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कल जौनपुर के भदेठी गांव में स्थानीय लोगों से बातचीत कर घटना की जांच की थी । आज उक्त जांच रिपोर्ट लोकमोर्चा संयोजक को प्राप्त हुई। जिसके बाद लोकमोर्चा और सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने आज संयुक्त बयान जारी किया ।
नेताद्वय ने कहा कि भदेठी मामले को लेकर पुलिस की यह कहानी संदिग्ध प्रतीत होती है कि 300 से अधिक मुस्लिम पक्ष के लोगों ने दलित बस्ती पर हमला कर मढ़हियों में आग लगा दी। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या हमला करती तो घायलों की संख्या बहुत अधिक होती।
घटना के वायरल वीडियो में मात्र 8-10 युवक दिखाई दे रहे हैं और उनका पहनावा मुसलमानों जैसा नहीं दिखता। वीडियो में एक आदमी आग लगाने के कृत्य को स्वीकार करता हुआ सुनाई देता है और कहता है कि उसने आग लगाकर गलती की । जाहिर है आगजनी की घटना मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए अंजाम दी गई । संघ -भाजपा और खुद मुख्यमंत्री योगी ने मामले को साम्प्रदायिक रंग देकर ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए इसे एक अवसर के बतौर लिया है। भय और आतंक पैदा करने के लिए बेगुनाहों पर फर्जी मुकदमें लाद कर जेल भेजने के बाद आनन फानन में उनपर गैंगेस्टर एक्ट और एनएसए लगाने का एलान मुख्यमंत्री योगी ने किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वास्तविक घटना यह है कि विगत 9 जून को जौनपुर जनपद में सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के भदेठी गांव की दलित बस्ती में मुस्लिम पक्ष के कुछ लड़के गए थे।दलित पक्ष के बच्चों से मामूली बात को लेकर कहासुनी हो गई थी। विवाद बढ़ जाने पर दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए और मारपीट शुरू हो गई। इसमें मुस्लिम पक्ष के जैद, प्लावर, नवीद समेत 6 व दलित पक्ष के तीन बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजनों ने घायलों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया।
उसके बाद यह आरोप कि एक समुदाय के 300 से अधिक लोगों ने दलित बस्ती पर हमला करके आधा दर्जन मड़हों को आग के हवाले कर दिया निराधार है । चूंकि इतने बड़े हमले में न किसी को चोट आई और न कोई घायल हुआ इससे भी इस कहानी पर संदेह पैदा होता है।
पुलिस प्रशासन ने बिना किसी निष्पक्ष जांच के संघ- भाजपा नेताओं के इशारे पर एकतरफा कार्यवाही की और 58 नामजद और 100 अज्ञात पर गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर 38 लोगों को जेल भेज दिया। पुलिस आतंक के चलते गांव के मुसलमान घरों को छोड़ कर भाग गए हैं।
पुलिस प्रशासन भाजपा के इतने दबाब में है कि गंभीर तौर पर घायल 6 मुस्लिम युवकों की कोई रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि जेल भेजे गए लोगों में सपा नेता जावेद सिद्दीकी भी शामिल हैं। जिनके बारे में स्थानीय गांव वासियों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक विद्वेष के कारण जौनपुर सदर विधायक और राज्य मंत्री गिरीश यादव के इशारे पर फंसाया गया है। जावेद सिद्दीकी और उनका परिवार शांतिप्रिय सामाजिक परिवार के बतौर जाना जाता है । इस घटना से उनका दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था ।
लोगों ने बताया कि जावेद सिद्दीकी का परिवार क्षेत्र में सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहता है ।आजमगढ़ और जौनपुर जिलों के बॉर्डर पर नदी पर उनके द्वारा लाखों रुपया निजी खर्च कर पुल बनबाया गया है जिससे इलाके के लाखों लोगों को सहूलियत हुई है।
नेता द्वय ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी और भाजपा ने केवल सम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भदेठी हिंसा मामले पर इतनी तेजी दिखाई है जबकि प्रदेश में हिंसा और अपराध की अन्य घटनाओं पर कोई संज्ञान तक नहीं लिया। प्रतापगढ़ जनपद के गोविंदपुर गांव में सवर्ण सामंती ताकतों द्वारा सत्ता के संरक्षण में पटेल बिरादरी के किसानों मजदूरों के परिवारों पर बर्बर हमला किया गया , घरों में आगजनी की गई , महिलाओ से बदसलूकी की गई लेकिन 8 दिन तक पीड़ितों की एफआईआर तक दर्ज नहीं कि गई और मुख्यमंत्री योगी ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
उन्होंने कहा कि सभी न्याय पसंद नागरिकों को संघ-भाजपा और मुख्यमंत्री योगी की साम्प्रदायिक नफरत की राजनीति को शिकस्त देने के लिए सच का साथ देना चाहिए।
उन्होंने मांग की है कि भदेठी हिंसा मामले की हाईकोर्ट के जज की निगरानी में निष्पक्ष जांच हो , बेगुनाहों पर लगे मुकदमें हटाये जाएं उन्हें जेल से रिहा किया जाए। बेगुनाहों पर एनएसए और गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमें लगाने की प्रक्रिया को रोका जाए। गंभीर घायल मुस्लिम युवकों की एफआईआर दर्ज कराई जाए।
अजित यादव, ईमेल: ajitjsm@gmail.com