जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम को हुई बर्बर हिंसा की सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) और सोशलिस्ट युवजन सभा भरसक निंदा करती है. तमाम रिपोर्ट और आँखों-देखा-हाल से यह साफ़ ज़ाहिर है कि यह एक पूर्व-नियोजित योजनाबद्ध तरीके से किया हुआ हमला था जो एक ऐसी भीड़ ने किया जो लाठी, लोहे के डंडों, आदि से लैस थी, और जेएनयू में फीस-वृद्धि के खिलाफ जो छात्र यूनियन के सदस्य और शिक्षक संघर्षरत थे, उनको मारने-पीटने के लिए आई थी. रिपोर्टों से यह भी लगता है कि जेएनयू की सुरक्षाकर्मी और दिल्ली पुलिस ने यह हिंसा रोकने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया बल्कि उलटे जो लोग हिंसा कर रहे थे उनके साथ इनकी संलिप्त्ता लग रही है. तमाम सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र, पत्रकार एवं अन्य नागरिक जो हिंसा की खबर सुन कर जेएनयू परिसर पहुंचे उनको भी हिंसा झेलनी पड़ी. इस हिंसक भीड़ द्वारा नारे जैसे कि, देशद्रोहियों को गोली मारो, की भी खबर है.
देश की राजधानी में सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक, जेएनयू में कानून व्यवस्था का इस तरह जर्जर हाल, जिसके लिए जिम्मेदार लोग शासक वर्ग से सम्बंधित हैं, इस बात का प्रमाण है कि सरकार कैसे तानाशाही और गैर-लोकतान्त्रिक ढंग से शासन कर रही है. सरकार अपने फासीवादी, विभाजनकारी, और गैर-संवैधानिक एजेंडे को लागू करने के लिए इतनी उतावली है कि वह सक्रिय रूप से असहमति की आवाजें दबा रही है, और जो लोकतान्त्रिक व्यवस्था में उसके संकीर्ण और विकृत ‘राष्ट्रीयता’ की परिभाषा से सहमत नहीं हैं, उनको डराने का प्रयास कर रही है. ऐसे समय में यह और भी अधिक प्रासंगिक एवं आवश्यक बन जाता है कि देश के संविधान, कानून और मूल्यों के ऊपर हो रहे प्रहार के विरोध में हर आवाज़ उठे.
जेएनयू में हुई हिंसक घटना तथा पिछले हफ़्तों में हुई बर्बर हिंसा के सन्दर्भ में, हमारी मांग है कि:
• गृह मंत्री अमित शाह इस्तीफ़ा दें
• जेएनयू रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार और कुलपति एम जगदीश कुमार, इस हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए, तुरंत इस्तीफ़ा दें
• इन हिंसा-हादसों की स्वतंत्र न्यायिक जांच हो
• उन पुलिस-कर्मियों के विरुद्ध कारवाही हो जिन्होंने हिंसक भीड़ पर कदम नहीं उठाये बल्कि उलटे बेक़सूर कार्यकर्ताओं को मारा-पीटा
नीरज सिंह, अध्यक्ष, सोशलिस्ट युवजन सभा
सईद तहसीन अहमद, अध्यक्ष (दिल्ली), सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)
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