चार-सदस्यों की एक टीम ने बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से हुए किसानों को नुकसान का प्रथम-दृष्टा आंकलन करने के लिए बाराबंकी जिले, फ़तेहपुर तहसील के चार गाँव (सरसरवा, कोटवाकला, रसूलपुर हेतम, और चेड़ा वेलहरा) का दौरा किया। इस टीम ने स्वर्गीय किसान अखिलेश वर्मा के परिवार से भी मुलाक़ात की जिनकी 26 मार्च 2015 को दिल का दौरा पड़ने से आकस्मक मृत्यु हो गयी थी। इस टीम ने गाँव के लोगों के साथ खेत आदि पर हुए फसल के नुकसान को देखा और पाया कि:
1. गेहूं, आलू, दाल, और तिलहन की 60% फसल को नुकसान हुआ है।
2. किसी भी सरकारी संस्था की ओर से अभी तक कोई सर्वे नहीं किया गया है। किसी भी बीमा कंपनी ने भी अभी तक यहाँ का दौरा नहीं किया है। किसान परेशान हैं क्योंकि अब अगली फसल का समय निकट आ रहा है और यदि उन्होने नुकसान हुई फसल हटा ली तो निकट-भविष्य में होने वाले सरकारी या बीमा कंपनी के सर्वे में उनको शामिल नहीं किया जाएगा।
3. साधन सरकारी समितियां जो किसानों को ग्राम-स्तर पर यूरिया और बीज आसानी से उपलब्ध कराने के लिए बनाई गईं हैं, वे सक्रिय नहीं हैं। इन्हीं समिति केन्द्रों से ग्राम-स्तर पर फसल की बिक्री भी होनी चाहिए जिससे कि किसान को फसल की सही कीमत मिले। क्योंकि यह साधन सरकारी केंद्र निष्क्रिय हैं, और किसान कोल्ड-स्टोरेज में अनाज रखवाने का आर्थिक व्यय नहीं उठा सकता है, उसको फसल बेचने के लिए शोषण का शिकार होना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, आलू की फसल रुपया 300 प्रति कुंतल तक पर उन्हें बेचने पर विवश होना पड़ता है।
वर्तमान में हमारी संसद में लगभग 200 ऐसे सांसद हैं जो कृषि पृष्ठभूमि से हैं। किसान-संबन्धित समस्याओं पर संसद में लगभग 550 सवाल उठने के बावजूद किसानों को सरकार से और बीमा कंपनी या बैंक से सही समय पर निर्धारित मुआवजा प्राप्त नहीं हो रहा है। किसानों को अनेक सर्वे में तो भाग लेना पड़ रहा है पर इससे उनका लाभ नहीं हो रहा है।
हमारी सरकार से मांग है कि किसानों को मुआवजे का कुछ प्रतिशत राशि तुरंत मिल जाना चाहिए जिससे कि अब कोई और अत्महत्या या तंगी-कठनाई संबन्धित मृत्यु न हो। हमारी सरकार से यह भी विनती है कि किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्जा लिए हुए किसानों को ‘डिफ़ौल्टर’ (कर्जा न देने का दोषी) न घोषित करें, और इसके बावजूद अगले साल कर्ज़ उन्हें दें।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:आलोक सिंह +91-8756-222-696