काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से काशी विद्यापीठ तक
22 मार्च, 2015, दिन में 9 बजे से 1 बजे तक
छात्रों-प्रोफेसरों-नागरिकों की पदयात्रा
नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपने विवादास्पद भू-अधिग्रहण अध्यादेश, 2014, में नौ संशोधनों के बावजूद इस बिल का मूल चरित्र किसान विरोधी ही बना हुआ है। इसलिए हम इसका विरोध करते हैं और मांग करते हैं निम्न कारणों से इसे अस्वीकृत किया जाए।
– भले ही सरकार अपने लिए ही भूअर्जन करे किंतु 70 प्रतिशत किसानों की सहमति के प्रावधान को खत्म करना गलत है।
– बिना सामाजिक प्रभाव आंकलन के भू-अधिग्रहण नहीं होना चाहिए।
– स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा रहा है कि सिंचित बहुफसली जमीन अधिग्रहित नहीं की जाएगी, जो खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है।
– प्रत्येक विस्थापित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की बात पहले भी रही है किंतु भारत में अभी तक किस परियोजना में ऐसा हुआ है? जो बात कही नहीं जाती वह है कि योग्यता होने पर हीे नौकरी मिलेगी।
– पांच साल तक भूमि का कोई उपयोग न होने पर वह किसान को लौटा दी जाएगी को संशोधन में शामिल नहीं किया गया है।
– औद्योगिक गलियारे के नाम सड़क या रेल लाइन के दोनों तरफ 1 कि.मी. भूमि जो कितना भी लम्बा हो सकता है ली जा सकती है।
– सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश कि मुआवजा न्यायालय में या बैंक खाते में दिया जाए अब अनिवार्य नहीं है।
– यदि कोई अधिकारी कुछ गलत करता है तो उसके विभाग की अनुमति के बगैर उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सके इस प्रावधान को भी शामिल नहीं किया गया है।
यानी सरकार ने अधिनियम में सुधार के नाम पर इसे और जन विरोधी बना दिया है। यदि सरकार को जमीन चाहिए ही तो पहले से अधिग्रहित जमीन, विशेष आर्थिक क्षेत्र के नाम पर अधिग्रहित जमीन, बंद पड़े उद्योगों की जमीन, रेल, सेना व अधिकारियों के अंग्रेजों के जमाने में बने बंगलों की अतिरिक्त जमीनें पहले ली जाएं।
किसान तो पहले से ही पीडि़त है। उसको अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता, खाद, पानी मिलने में दिक्क्त आती है, प्रकृति के प्रकोप का शिकार बनता है और कर्ज न चुका पाने पर आत्महत्या भी कर लेता है। जिस विकास में किसान की भागीदारी होनी चाहिए वह उसकी कीमत पर क्यों किया जाना जरूरी है?
किसान विरोधी भू-अधिग्रहण बिल को वापस करवाने की मांग को लेकर हम आचार्य नरेन्द्र देव जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय व काशी विद्यापीठ दोनों के ही कुलपति रहे की स्मृति में एक पदयात्रा का आयोजन कर रहे हैं।
निवेदकः साझा संस्कृति मंच, लोक समिति, प्राकृतिक कृषि अभियान, इंडियन पीपुल्स फ्रंट, भगत सिंह छात्र मोर्चा, समाजवादी जन परिषद, सोशलिस्ट छात्र सभा, सोशलिस्ट किसान सभा व सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)
सम्पर्कः नंदलाल, 9415300520, वल्लभाचार्य पाण्डेय, 9415256848, रमन पंत, 9415910034, संजय, 9415301240, महेश विक्रम सिंह, 9415353120, चिंतामणि सेठ, 9450857038, आकाश गुप्ता, 7752958215, नवनीत पाण्डेय, 8004497758, मोनीश बब्बर, 8953988126, नीलोत्पल कांत, 9453892004, धनंजय त्रिपाठी, 7376848410, रोहित, 7505947346