किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीरता दिखाए सरकार: किसान संगठन ने प्रधानमंत्री के नाम दिया ज्ञापन

किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीरता दिखाए सरकार: किसान संगठन ने प्रधानमंत्री के नाम दिया ज्ञापन

प्रधानमंत्री के नाम भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि हम भारत के किसान, देश की किसान जनता के सामने उत्पन्न गम्भीर समस्याओं, जो कोविड-19 महामारी और लगातार चले लाॅकडाउन की स्थिति में और बढ़ गयी हैं, को सम्बोधित करने व उनका हल निकालने में आपकी सरकार की लगातार विफलता पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए आपसे आग्रह करते हैं कि निम्न समस्याओं को हल करने के लिए तुरन्त कदम उठाए जाएं।

निजी कम्पनियों पर तीन वर्षों के लिए मुनाफा कमाने पर रोक क्यों नहीं?

निजी कम्पनियों पर तीन वर्षों के लिए मुनाफा कमाने पर रोक क्यों नहीं?

अरुंधती धुरू व संदीप पाण्डेय | यदि मजदूरों से बलिदान की अपेक्षा की जा सकती है तो अन्य लोगों, खासकर पूंजीपति वर्ग से क्यों नहीं जिसके पास अपनी जरूरत से ज्यादा जमा की हुई कमाई है। यदि मजदूरों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे न्यूनतम काम के घंटे अथवा न्यूनतम मजदूरी जैसे अपने अधिकारों को छोड़ दें तो पूंजीपति वर्ग से यह क्यों नहीं कहा जा सकता कि वह अगले तीन वर्षों के लिए अपना मुनाफा छोड़ दे।

क्या प्रवासी मजदूरों के लिए कोई ‘वंदे भारत’ कार्यक्रम है?

क्या प्रवासी मजदूरों के लिए कोई ‘वंदे भारत’ कार्यक्रम है?

रूबीना अयाज़ व संदीप पाण्डेय | कोरोना का संकट तो पूरी दुनिया में है और तालाबंदी भी दुनिया के अधिकतर देशों ने लागू की लेकिन जिस तरह मजदूरों की सड़कों पर अपने अपने साधनों से घर जाने की होड़ लगी हुई है वह पूरी दुनिया में किसी और देश में दिखाई नहीं पड़ी। ऐसा क्यों हुआ?

Pro-Corporate Thrust of Economic Package Flies in the Face of ‘Atma-Nirbharta!

Pro-Corporate Thrust of Economic Package Flies in the Face of ‘Atma-Nirbharta!

Pictures of migrant workers who have lost their livelihoods struggling to go back to their home towns – walking hundreds of kilometres in the scorching heat of the summer sun, with children, elderly and meagre belongings – are something that history will remember as a shameful period when lakhs of fellow human beings were allowed to face such indignities while the ‘powers-that-be’, watched on.