नागालैण्ड में भरत गांधी राजनीति अथवा वसूली के शिकार?

नागालैण्ड में भरत गांधी राजनीति अथवा वसूली के शिकार?

भारत गांधी को किसी केन्द्रीय सुरक्षा बल की सुरक्षा में दिल्ली अथवा लखनऊ लाया जाए तभी उनका बचना सम्भव है नहीं तो वे भी अपने सहयोगियों की तरह जेल से निकलने पर अपहृत कर लिए जाएंगे।

नागालैण्ड में भरत गांधी की सुरक्षा खतरे में

नागालैण्ड में भरत गांधी की सुरक्षा खतरे में

उन्हें जेल में रख कर नागालैण्ड सरकार ने उनके संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया है। जब उनके दल के सहयोगी शिवाकांत गोरखपुरी व नवीन कुमार उनकी रिहाई के लिए दीमापुर पहुँचे तो जिस होटल में वे ठहरे थे वहां से 19 मई को शाम 4 बजे उनका अपहरण कर उन्हें दीमापुर से बाहर एक अतिवादी संगठन के कैम्प में लाया गया।

Bharat Gandhi’s Security Under Threat in Nagaland

Bharat Gandhi’s Security Under Threat in Nagaland

By putting him in jail the Nagaland government has violated his Constitutional and democratic rights. His party colleagues, Shivakant Gorakhpuri and Naveen Kumar, who went to secure his release were kidnapped from a Dimapur hotel on 19 May and taken to a camp of an insurgent group where a demand to pay Rs. 1 crore was made to them.

सरकार के कोरोना वायरस महामारी से निपटने में अक्षमता के लिए उच्च-पदों पर आसीन लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए

सरकार के कोरोना वायरस महामारी से निपटने में अक्षमता के लिए उच्च-पदों पर आसीन लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए

जैसे-जैसे पिछले 3 माह बीते हैं यह उतना ही स्पष्ट होता जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में सरकार लगभग हर मापदण्ड पर असफल रही है. न केवल सरकार, कोरोनावायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते फैलाव को रोकने में असमर्थ रही है बल्कि उसके ही कारण देश के अधिकाँश लोगों को संभवतः सबसे बड़ी अमानवीय त्रासदी झेलनी पड़ी है.

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) 22 मई को अखिल भारतीय श्रमिक हड़ताल का समर्थन करती है और मांग करती है कि सरकार श्रम कानूनों के सभी परिवर्तनों को तुरंत वापस ले

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) 22 मई को अखिल भारतीय श्रमिक हड़ताल का समर्थन करती है और मांग करती है कि सरकार श्रम कानूनों के सभी परिवर्तनों को तुरंत वापस ले

ये परिवर्तन उन कुछ मूल अधिकारों और संरक्षणों को भी छीन लेंगे, जो हमारे देश में दशकों से चली आ रही नवउदारवादी और मजदूर विरोधी नीतियों के बावजूद बचे हुए हैं । दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इन उपायों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) में शिकायत दर्ज कराई है।

सरकार के जन-विरोधी रवैये का एक और उदाहरण है राजधानी के दाम पर सिर्फ वातानुकूलित ट्रेन को आरंभ करना

सरकार के जन-विरोधी रवैये का एक और उदाहरण है राजधानी के दाम पर सिर्फ वातानुकूलित ट्रेन को आरंभ करना

लोकतान्त्रिक व्यवस्था में, सिर्फ संपन्न वर्ग के लिए ट्रेन सेवा प्रदान करने का क्या मतलब है? क्या अमीरों को कोरोना वायरस रोग होने का खतरा कम है (जब कि, देश में कोरोना वायरस रोग लाने का ‘श्रेय’ तो विदेशी हवाई यात्रा करने वाले इन अमीर तबके को ही जायेगा). क्या अमीर-संपन्न लोगों की यात्रा करने की ज़रूरत आम जनता से अधिक महत्वपूर्ण है?