A Question of Knowledge and Practice

A Question of Knowledge and Practice

Vidushi Prajapati, Ekta Tomar and Sandeep Pandey | The case of wrongful removal of Safai Karamcharis is a perfect example of the dual character of bourgeoisie spaces such as the law university where under the garb of being the upholder of egalitarian principles, it has time and again committed labour laws and human rights violations.

ज्ञान और अमल का प्रश्न

ज्ञान और अमल का प्रश्न

विदुषी, एकता तोमर, संदीप पांडेय | शैक्षिक समुदाय का क्या दायित्व बनता है, विशेष रूप से एक विधि विश्वविद्यालय में, जब विश्वविद्यालय की स्थापना के वर्ष, 2008 से कार्यरत सफाई कर्मचारियों को ठेका परिवर्तन के चलते निष्ठुरता से हटा दिया जाता है। विश्वविद्यालय अपने इस अमानवीय कार्य को सही ठहराने के लिए यह तर्क देता है कि चूँकि ये श्रमिक किसी ठेकेदार के आधीन काम कर रहे थे, इसलिए विश्वविद्यालय इनके प्रति जवाबदेह नहीं है। वह मजदूरों द्वारा लगायी गयी खून-पसीने की मेहनत को एक क्षण में भूल जाता है, मानों उनसे एकदम अनजान हो।

निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित

निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित

सुरभि अग्रवाल, शोभा शुक्ल, बाॅबी रमाकांत व संदीप पाण्डेय | जो लोग दैनिक मजदूरी कर के अपना जीवन यापन करते हैं, सरकार उनकी वास्तविकता से कितनी अनभिज्ञ है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार द्वारा घोषित तालाबंदी ने समाज के इस बड़े वर्ग के दृष्टिकोण को मद्देनजर लिया ही नहीं। इनमें से करोड़ों की तादाद में लोग अपने घरों से दूर रहते हैं और दैनिक आय पर ही निर्भर थे।

Let Not Education Suffer

Let Not Education Suffer

Pannalal Surana | Serious efforts will have to be made to restart the schools at least by the last week of June. There are problems and difficulties. In urban areas, classrooms are generally overcrowded. If the time-table of last year is to be followed, social distancing will come to a nought. Some persons have suggested that schools be held in three shifts after trifurcation the class strength.

Desperate Times Call for Radical Measures: COVID-19 and the Need for the Immediate Nationalisation of the Indian Healthcare Sector

Desperate Times Call for Radical Measures: COVID-19 and the Need for the Immediate Nationalisation of the Indian Healthcare Sector

Asmita Verma, Surabhi Agarwal and Bobby Ramakant | What could be a better way to scale up testing and increase hospitalization capacity and access in the country than to nationalise the private health sector? This would be far more effective than trying to negotiate pricing caps with the profit-seeking lobby of private healthcare.

निजी कम्पनियों पर तीन वर्षों के लिए मुनाफा कमाने पर रोक क्यों नहीं?

निजी कम्पनियों पर तीन वर्षों के लिए मुनाफा कमाने पर रोक क्यों नहीं?

अरुंधती धुरू व संदीप पाण्डेय | यदि मजदूरों से बलिदान की अपेक्षा की जा सकती है तो अन्य लोगों, खासकर पूंजीपति वर्ग से क्यों नहीं जिसके पास अपनी जरूरत से ज्यादा जमा की हुई कमाई है। यदि मजदूरों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे न्यूनतम काम के घंटे अथवा न्यूनतम मजदूरी जैसे अपने अधिकारों को छोड़ दें तो पूंजीपति वर्ग से यह क्यों नहीं कहा जा सकता कि वह अगले तीन वर्षों के लिए अपना मुनाफा छोड़ दे।

क्या प्रवासी मजदूरों के लिए कोई ‘वंदे भारत’ कार्यक्रम है?

क्या प्रवासी मजदूरों के लिए कोई ‘वंदे भारत’ कार्यक्रम है?

रूबीना अयाज़ व संदीप पाण्डेय | कोरोना का संकट तो पूरी दुनिया में है और तालाबंदी भी दुनिया के अधिकतर देशों ने लागू की लेकिन जिस तरह मजदूरों की सड़कों पर अपने अपने साधनों से घर जाने की होड़ लगी हुई है वह पूरी दुनिया में किसी और देश में दिखाई नहीं पड़ी। ऐसा क्यों हुआ?